नमस्कार,
दोस्तों आप सभी ने सिद्धियों के बारे में कहीं ना कहीं, कुछ ना कुछ जरूर सुन रखा होगा। बात जब सिद्धियों की आती है तो उसमें सर्वप्रमुख अष्टसिद्धियो का उल्लेख किया जाता है।जी हां दोस्तों मैं उन्हीं अष्टसिद्धियों की बात कर रही हूं जिसका वरदान माता सीता ने बजरंगबली मतलब हमारे हनुमान जी को अपने आशीष या वरदान स्वरुप प्रदान की थी।
परंतु क्या आप जानते हैं इन अष्ट सिद्धियों के अलावा भी अन्य 16 प्रकार की सिद्धियां हैं जिनको कोई भी साधक कठिन तपस्या या साधना से प्राप्त कर सकता है। इन सिद्धियों प्राप्त कर साधक असंभव से असंभव से कार्य को भी संभव बना सकता है।
तो चलिए उन 16 सिद्धियों के रहस्य के बारे में बारे में जानने से पहले सिद्धी क्या होती हैं? सिद्धी का अर्थ क्या है? सिद्धी कितने प्रकार की होती हैं आदि विषयों पर चर्चा कर लेते हैं।
सिद्धि का अर्थ
(Siddhi ka arth ky hai in Hindi)
16 सिद्धियों के बारे में जानने से पहले हम सिद्धि शब्द के बारे में जान लेते हैं। सिद्धि शब्द का सामान्य अर्थ होता है — सफलता।
सिद्धि का अर्थ किसी कार्य विशेष के क्षेत्र में पारंगत होने से लिया जाता है। अधिकांश लोगों का मानना है कि सिद्धि तंत्र शास्त्र का हिस्सा है और सामान्य जन के द्वारा इन्हें प्राप्त करना संभव नहीं है।
परंतु योग, साधना व आत्म नियंत्रण के माध्यम से कोई भी मनुष्य इसे आसानी से प्राप्त कर सकता है।
सिद्धियों के प्रकार
(Siddhiyo ke prakar in Hindi)
सिद्धियां सामान्य रूप से दो प्रकार की होती है परा और अपरा।
1) परा : - परा वह सिद्धि है जिसके द्वारा परलोक यानी स्वर्ग आदि लोको के सुख साधनों के बारे में जाना जाता है।
सिद्धियां सामान्य रूप से दो प्रकार की होती है परा और अपरा।
1) परा : - परा वह सिद्धि है जिसके द्वारा परलोक यानी स्वर्ग आदि लोको के सुख साधनों के बारे में जाना जाता है।
2) अपरा सिद्धि : - अपरा सिद्धि स्वप्न की बुद्धि से उत्पन्न होती है तथा निराकार तक का ज्ञान देती है।
16 चमत्कारिक सिद्धियां
(16 chamtakarik siddhiya in Hindi)
आज के इस लेख में हम 16 चमत्कारिक सिद्धियों जिनका वर्णन हिंदू धर्म ग्रंथों में किया गया है पर चर्चा करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं :
1.) वाक् सिद्धि :- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस सिद्धी का संबंध हमारे बोलने की कला से हैं। इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला साधक जो कुछ भी कहता है वह घटित हो जाता है। प्राचीन काल में सिद्ध ऋषि-मुनियों में यह सिद्धियां होती थी और इसी कारण यह शाप या वरदान देने में सक्षम होते थे।
वाक् सिद्धि प्राप्त होने के बाद सिद्ध पुरुष द्वारा बोले गए शब्द अर्थपूर्ण, व्यवहारिक और अलौकिक शक्तियों से भरे होते हैं।
2.) दिव्य दृष्टि सिद्धि : - जिस साधक को दिव्य दृष्टि की सिद्धि प्राप्त हो जाती है वह मनुष्य वह सब कुछ देख सकता है जो एक साधारण मनुष्य कभी नहीं देख सकता। ऐसा व्यक्ति किसी का भी भूत, वर्तमान और भविष्य देख सकता है।
3.) प्रज्ञा सिद्धि :- प्रज्ञा सिद्धि के माध्यम से व्यक्ति में स्मरण शक्ति अदभूत तरीके से विकसित हो जाती है। तथा मनुष्य के मस्तिष्क का हर वह हिस्सा जागृत हो जाता है जिसमें असीमित ज्ञान बटोरने की क्षमता होती है।
इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति ब्रह्मण के हर कण का ज्ञान अपनी बुद्धि में समा सकता है।
4.) दूरश्रवण सिद्धि :- दूरश्रवण सिद्धि जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है इस सिद्धि को प्राप्त करने वाले साधक या मनुष्य की सुनने की क्षमता और क्षेत्र असीमित हो जाता है।
वह व्यक्ति भूतकाल में घटित हुए किसी भी बातचीत की आवाज को पुनः सुन सकता है। केवल इतना ही नहीं उसमें एक सुई तक के गिरने की आवाज को सुनने की क्षमता विकसित हो जाती है।
5.) जलगमन सिद्धि :- जलगमन का अर्थ है - जल की सतह पर भ्रमण करना। जलगमन सिद्धि प्राप्त होने के बाद कोई भी मनुष्य पानी की सतह जैसे नदी, तालाब या समुद्र पर आसानी से चल सकता है। भारत में बहुत से संतो को लोगों ने इस सिद्धि का प्रयोग करते देखा है उदाहरण के लिए देवहरा बाबा आदि।
6.) वायुगमन सिद्धि :- वायुगमन सिद्धि प्राप्त होने के बाद सिद्ध पुरुष का वायु पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है । वह केवल अपने शरीर को हल्का कर वायु में उड़ सकता हैं, बल्कि अपने शरीर का सूक्ष्म रूप धारण कर एक जगह से दूसरे जगह या एक लोक से दूसरे लोक की दूरी कुछ ही पलों में तय कर सकता है।
7.) अदृश्यकरण सिद्धि :- अदृश्य का अर्थ है नजर ना आना। अदृश्यकरण सिद्धि के अंतर्गत कोई भी मनुष्य अपने शरीर का रूप धारण कर लोगों की नज़रों से ओझल हो सकता है। वह इतना सूक्ष्म हो सकता है कि लोगों की सामान्य नजरे उसे से देख ना सकें।
8.) विषोका सिद्धि :- इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात मनुष्य में रूप बदलने की क्षमता विकसित हो जाती है। वह व्यक्ति जब चाहे अपना रूप बदल कर अपनी पहचान को छुपा सकता है।
9.) देवक्रियानुदर्शन सिद्धि :- मान्यता है कि सिद्धि की प्राप्ति होने के बाद मनुष्य दैवीय शक्तियों से संपर्क कर सकता है।
5.) जलगमन सिद्धि :- जलगमन का अर्थ है - जल की सतह पर भ्रमण करना। जलगमन सिद्धि प्राप्त होने के बाद कोई भी मनुष्य पानी की सतह जैसे नदी, तालाब या समुद्र पर आसानी से चल सकता है। भारत में बहुत से संतो को लोगों ने इस सिद्धि का प्रयोग करते देखा है उदाहरण के लिए देवहरा बाबा आदि।
6.) वायुगमन सिद्धि :- वायुगमन सिद्धि प्राप्त होने के बाद सिद्ध पुरुष का वायु पर पूरी तरह नियंत्रण हो जाता है । वह केवल अपने शरीर को हल्का कर वायु में उड़ सकता हैं, बल्कि अपने शरीर का सूक्ष्म रूप धारण कर एक जगह से दूसरे जगह या एक लोक से दूसरे लोक की दूरी कुछ ही पलों में तय कर सकता है।
7.) अदृश्यकरण सिद्धि :- अदृश्य का अर्थ है नजर ना आना। अदृश्यकरण सिद्धि के अंतर्गत कोई भी मनुष्य अपने शरीर का रूप धारण कर लोगों की नज़रों से ओझल हो सकता है। वह इतना सूक्ष्म हो सकता है कि लोगों की सामान्य नजरे उसे से देख ना सकें।
8.) विषोका सिद्धि :- इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात मनुष्य में रूप बदलने की क्षमता विकसित हो जाती है। वह व्यक्ति जब चाहे अपना रूप बदल कर अपनी पहचान को छुपा सकता है।
9.) देवक्रियानुदर्शन सिद्धि :- मान्यता है कि सिद्धि की प्राप्ति होने के बाद मनुष्य दैवीय शक्तियों से संपर्क कर सकता है।
10.) कायाकल्प सिद्धि :- कायाकल्प का अर्थ है शरीर में बदलाव लाना। इस सिद्धि के साथ मनुष्य की शक्तियां वक्त के साथ क्षीण नहीं होती लेकिन उसका नश्वर शरीर जर्जर हो जाता है।
इस सिद्धि को प्राप्त करने के पश्चात कोई भी व्यक्ति अपने शरीर को फिर से युवा और आकर्षक बना सकता है। जिससे उसमें नवीनीकरण की क्षमता विकसित हो जाती है।
11.) सम्मोहन सिद्धि :- सम्मोहन का अर्थ है - किसी को अपने वश में करना या उसके सोचने समझने की क्षमता पर काबू पाना।
सम्मोहन सिद्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति किसी भी मनुष्य या पशु को अपने वश में करके अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करवा सकता है।
12.) गुरुत्व सिद्धि :- गुरुत्वका अर्थ होता है ज्ञान की गरिमा। ऐसा व्यक्ति असीमित ज्ञान का भंडार और स्त्रोत दोनो होता है, तथा एक गुरु के रूप में उस ज्ञान को पूरे संसार में बाटता हैं।
13.) पूर्णपुरुषत्व सिद्धि :- पूर्णपुरुषत्व का अर्थ है निडर, साहसी और और पराक्रमी होना। ऐसे व्यक्ति को भय छू भी नहीं पाता और उसमें किसी भी बुरी शक्ति या दानव से लड़ने की अदभुत क्षमता होती है।
11.) सम्मोहन सिद्धि :- सम्मोहन का अर्थ है - किसी को अपने वश में करना या उसके सोचने समझने की क्षमता पर काबू पाना।
सम्मोहन सिद्धि प्राप्त करने वाले व्यक्ति किसी भी मनुष्य या पशु को अपने वश में करके अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करवा सकता है।
12.) गुरुत्व सिद्धि :- गुरुत्वका अर्थ होता है ज्ञान की गरिमा। ऐसा व्यक्ति असीमित ज्ञान का भंडार और स्त्रोत दोनो होता है, तथा एक गुरु के रूप में उस ज्ञान को पूरे संसार में बाटता हैं।
13.) पूर्णपुरुषत्व सिद्धि :- पूर्णपुरुषत्व का अर्थ है निडर, साहसी और और पराक्रमी होना। ऐसे व्यक्ति को भय छू भी नहीं पाता और उसमें किसी भी बुरी शक्ति या दानव से लड़ने की अदभुत क्षमता होती है।
14.) सर्वगुण संपन्न सिद्धि :- ऐसा सिद्ध पुरुष संसार के सभी गुणों से संपन्न होता है। उसमें वे सभी भावनाएं होती है जो लोक कल्याण या संसार के हित के लिए आवश्यक है फिर चाहे वह वीरता से जुड़ा हो या दया भाव से। ऐसे मनुष्य तेजस्वी होते हैं और मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाते हैं।
15.) इच्छामृत्यु सिद्धि :- इस सिद्धि पर विजय प्राप्त करने का अर्थ है काल पर विजय प्राप्त करना। ऐसे सिद्ध पुरुष को समय भी नहीं बांध सकता है। वह जब चाहे तब अपना शरीर त्याग कर नया शरीर धारण कर सकते हैं।
ऐसे व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं सताता है क्योंकि वह समय पर विजय पाकर मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर लेता है।
16.) अनुर्मि सिद्धि :- अनुर्मि सिद्धि प्राप्त कर लेने वाले सिद्ध पुरुष पर प्राकृतिक वातावरण मौसम या भूख प्यास का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसा व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता और ना ही उसे भूख प्यास का डर सताता है।
इन सभी सिद्धियों के अलावा भी मार्कंडेय पुराण और गीता में अष्ट सिद्धियों का उल्लेख मिलता है जिसे माता सीता ने हनुमान जी को वरदान स्वरूप प्रदान की थी।
16.) अनुर्मि सिद्धि :- अनुर्मि सिद्धि प्राप्त कर लेने वाले सिद्ध पुरुष पर प्राकृतिक वातावरण मौसम या भूख प्यास का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ऐसा व्यक्ति कभी बीमार नहीं पड़ता और ना ही उसे भूख प्यास का डर सताता है।
इन सभी सिद्धियों के अलावा भी मार्कंडेय पुराण और गीता में अष्ट सिद्धियों का उल्लेख मिलता है जिसे माता सीता ने हनुमान जी को वरदान स्वरूप प्रदान की थी।
जिनके नाम निम्नानुसार हैं -
अष्ट सिद्धियों के नाम
(Asht siddhiyo ke naam)
1. अणिमा
2. महिमा
3. गरिमा
4. लघिमा
5. प्राप्ति
6. प्रकाम्य
7. ईशित्व
8. वशित्व
आशा है अष्ट सिद्धियों के आलावा 16 सिद्धियों के रहस्य पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आयी होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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