नमस्कार ,
दोस्तों कलयुग में कुछ जाग्रत देवता है जो आज भी धरती पर लोगों के संकटों को दूर करने के लिए उपस्थित हैं। उन्हीं में से एक है पवन पुत्र, रामदूत हनुमान जी।
जी हां दोस्तों हनुमान जी कलयुग के समय भी लोगों की और धर्म की रक्षा के लिए इस धरती पर विराजित है। आज हम हनुमान जी को प्रसन्न करने वाले व सभी संकटो को दूर करने वाले एक बहुत ही अद्भुत व चमत्कारिक पाठ हनुमान अष्टक की महिमा के बारे में बात करेंगे। तो आइए जानते हैं हनुमान अष्टक की महिमा के बारे में और भी बहुत कुछ।
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Hanuman Ashtak |
हनुमान अष्टक क्या है?
(What is Hanuman Ashtak in hindi)?
हनुमान अष्टक का पाठ करने से पहले आपको यह जानना बहुत ही आवश्यक है कि हनुमान अष्टक क्या है? हनुमान अष्टक की रचना कैसे हुई? आदि।
दोस्तों बचपन में हनुमान जी द्वारा जब सूर्य को निगल लिया गया था और इंद्र की प्रहार द्वारा जब हनुमान जी को क्षति पहुंचाई गई थी। तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी से क्षमा प्रार्थना कर उन्हें अनेक वरदान दिए।
चूकि हनुमान जी, जो बचपन से ही थोड़े नटखट व शरारती थे तब एक ऋषि जो की तपस्या में लीन थे हनुमान जी उन्हें परेशान करने लगे। तब उन ऋषि के द्वारा हनुमान जी को यह श्राप दिया गया कि तुम अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हो इसलिए तुम अपनी सारी शक्तियों को भूल जाओगे।
इसके बाद हनुमान जी द्वारा क्षमा याचना करने पर ऋषि ने कहा कि जब कोई भी तुम्हें अपनी शक्तियों को याद दिलाएगा तो तुम्हें फिर से अपनी शक्तियों का स्मरण होगा और तुम उनका उपयोग भी कर पाओगें।
इस प्रकार दोस्तों हनुमान अष्टक में हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया जाता है। जब हनुमान जी अंगद व जामवंत जी के साथ सीता जी की खोज करने गए थे तब जामवंत जी द्वारा भी हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया गया था।
संकटमोचन हनुमान अष्टक की रचना किसने की?
(Sankatmochan Hanuman Ashtak ki rachna kisne ki in hindi)
संकट मोचन हनुमान अष्टक की रचना पंडित गोस्वामी तुलसीदास जी ने की है। इसमें 8 पद है इसलिए इसे संकट मोचन हनुमान अष्टक के नाम से जाना जाता है।
संकट मोचन हनुमान अष्टक के फायदे
(Sankatmochan Hanuman Ashtak k fayde in hindi)
हनुमान जी के सभी पाठ कष्टों को दूर करने वाले हैं। हनुमान अष्टक का पाठ करने से भी मनुष्य को निम्न लाभ होते हैं।
- व्यक्ति के आत्मविश्वास व मनोबल में वृद्धि होती है।
- मनुष्य को संकटों से मुक्ति मिलती है।
- हनुमान अष्टक का पाठ करने से घर में सुख व शांति बनी रहती है।
- मनुष्य के काम हनुमान अष्टक का पाठ करने से बनने लगते हैं।
- शत्रु का निवारण होता है।
- रचनात्मक शक्ति का विकास होता है।
- ग्रहों की स्थिति का दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।
हनुमान अष्टक पाठ की पूजन विधि
( Hanuman Ashtak path ki poojan vidhi in hindi)
हनुमान अष्टक का पाठ करने के लिए स्नान आदि से निवृत्त होकर आप हनुमान जी व श्री राम जी के चित्र के सामने आसन लगाकर बैठ जाइए। इसके बाद राम नाम का स्मरण करके हनुमान चालीसा व हनुमान अष्टक का पाठ शुरू कीजिए।
हनुमान जी को घी या चमेली के तेल का दीपक, लाल पुष्प व भोग के लिए गुड़ चना या बेसन के लड्डू अर्पित कीजिए। इसे आप नियमित या 21 दिन का संकल्प लेकर भी कर सकते हैं।
हनुमान अष्टक का पाठ
(Hanuman asthak ka path)
बाल समय रवि भक्षि लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो।।
देवन आनि करी विनती तब,
छांड़ि दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 1।।
बालि की त्रास कपीस बसै गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महा मुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन विचार विचारों।।
कै द्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 2।।
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौं हम सों जु,
बिना सुधि लाए इहां पगु धारो।।
हेरि थके तट सिंधु सबै तब,
लाय सिया सुधि प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 3।।
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसि सों कहि सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाय महा रजनीचर मारो।।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभु मुद्रिका सोक निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 4।।
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्रान तजे सुत रावन मारो।
लै गृह वैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोन सु बीर उपारो।।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 5।।
रावण जुद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फांस सबै सिर डारो।
श्री रघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो।।
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बन्धन काटि सुत्रास निवारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 6।।
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देविहिं पूजि भली विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मंत्र विचारो।।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 7।।
काज किए बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारों।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसों नहिं जात है टारों।।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो।।
को नहिं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो।। 8।।
दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर।।
आशा करती हूं क्या है हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) पाठ की महिमा, फायदे औऱ पूजन विधि से संबंधित यह जानकारी आपको आपको पसंद आई होगी।
धन्यवाद।
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