क्या है हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों का रहस्य जानिए विस्तार से (ky h hanuman ji ki asht siddhiyo ka rahasya janiye vistar se)

 नमस्कार,


              दोस्तों आप में से जाने कितने लोग रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करते होंगे। हनुमान चालीसा के अंतर्गत आने वाली चौपाई "अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता" का पाठन तो सभी लोग करते हैं  पर क्याआप उनअष्टसिद्धियों के बारे में जानते है।


1. अणिमा 2. महिमा 3. गरिमा 4. लघिमा 5. प्राप्ति 6. प्रकाम्य 7. ईशित्व 8. वशित्व
Asht siddhiyo ke naam



इस चौपाई का अर्थ यह है कि माता जानकी अर्थात् सीता माता को राम भगवान की मुद्रिका देने व श्री राम जी का समाचार मैया तक पहुंचाने पर माता ने हनुमान जी को अष्ट सिद्धि व नव निधियों का वर प्रदान किया था।

(और पढ़े :- हनुमान बाहुक की संपूर्ण जानकारी)

क्या आप जानते हैं यह अष्ट सिद्धियां क्या है? आज के इस लेख में हम सिर्फ हनुमान जी को वरदान स्वरूप प्राप्त अष्ट सिद्धियों के बारे में ही बात करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

अष्ट सिद्धियों के नाम
(Asht siddhiyo ke naam)


1. अणिमा

2. महिमा

3. गरिमा

4. लघिमा

5. प्राप्ति

6. प्रकाम्य

7. ईशित्व

8. वशित्व



जानिए अष्ट सिद्धियों के बारे में विस्तार से
(Janiye ashat siddhiyo ke bare me vistar se)


अब हम सभी आठों सिद्धियों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, तो चलिए शुरू करते हैं।

1. अणिमा (anima)


जिस सिद्धि का नाम सर्वप्रथम आता है उसका नाम है अणिमा। अणिमा का अर्थ है अणु के समान आकार वाला। इस सिद्धि के प्रयोग के द्वारा आप अपने शरीर के आकार को अणु के समान छोटा कर सकते हैं। इस सिद्धि का प्रयोग हनुमान जी ने लंका में प्रवेश के दौरान किया था।


गोस्वामी तुलसीदास जी ने सुंदरकांड में भी लिखा है

"मसक समान रूप कपि धरी,
लंकहि चलेऊ सुमिरि नरहरी"

जिसका अर्थ है कि भगवान हनुमान जी ने लंका में प्रवेश करते समय मसक अर्थात मच्छर के समान छोटा सा रूप धारण कर लिया और लंका की तरफ श्री राम जी का स्मरण कर चलने लगे। इसी सूक्ष्म स्वरूप को धारण कर हनुमान जी ने लंका का निरीक्षण भी किया था। इस प्रकार अणिमा सिद्धि स्वरूप को छोटा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है।

2. महिमा (mahima)


महिमा सिद्धि हनुमान जी को प्राप्त दूसरी सिद्धि है। इस सिद्धि के अनुसार कोई भी अपने शरीर को अत्यंत विशाल रूप में बदल सकता है। जब हनुमान जी समुद्र पार करके लंका की तरफ आगे बढ़ रहे थे तब सुरसा नामक राक्षसी उन्हें अपना भोजन बनाना चाहती थी।

सुंदरकांड की चौपाई में तुलसीदास जी ने लिखा है

"जस-जस सुरसा बदनु बढ़ावा
तासु दून कपि रुप दिखावा"।

अर्थात जब सुरसा ने हनुमान जी को भोजन बनाने के लिए अपने मुख का आकार बढ़ाया वैसे ही हनुमान जी ने अपने शरीर का आकार को 2 गुना बढ़ा लिया। और फिर अणिमा सिद्धि के द्वारा मुंह के अंदर प्रवेश कर पुनः हनुमान जी मुख के बाहर आ गए।


3. गरिमा (garima)


तीसरे नंबर पर जो सिद्धि आती है उसे हम गरिमा कहते हैं। इस सिद्धि के माध्यम से कोई भी अपने शरीर का भार कई गुना तक बढ़ा सकता है। गरिमा सिद्धि का उपयोग हनुमान जी ने महाभारत में भीम के अहंकार को तोड़ने के लिए किया था।

(और पढ़ें :- हनुमान जी का अतिप्रिय पाठ सुंदरकांड की महिमा, लाभ व फायदे, पढ़ने की विधि)

हनुमान जी ने अपने पूछ का भार कई गुना बढ़ाकर महाबली भीम से उसे हटाने के लिए कहा पर भीम हनुमान जी की पूंछ को हिला भी नहीं सके।

4. लघिमा (laghima)


लघिमा का अर्थ होता है लघु अर्थात हल्कालघिमा सिद्धि चतुर्थ सिद्धि है जो हनुमान जी को प्राप्त है। लघिमा सिद्धि का उपयोग करके कोई भी अपने शरीर के वजन को लघु अर्थात कई गुना हल्का बना सकता है। लघिमा सिद्धि का उपयोग हनुमान जी ने अशोक वाटिका में पेड़ के पत्तों पर बैठने के लिए किया था।

5. प्राप्ति (prapti)


हनुमान जी को प्राप्त पांचवी सिद्धि का नाम है प्राप्ति। इस सिद्धि के उपयोग से व्यक्ति पशु-पक्षियों की भाषा को समझने योग्य हो जाता है। वह जो चाहता है उसे तुरंत ही प्राप्त कर लेता है। इसका प्रयोग हनुमान जी अन्य पशु-पक्षियों से बातचीत करने के लिए उपयोग में लेते थे।

6. प्रकाम्य (prkamya)


छठवीं सिद्धि जिसे प्रकाम्य कहा जाता है। इस सिद्धि की मदद से व्यक्ति आकाश में उड़ने, पाताल में रहने व अपनी इच्छा अनुसार कहीं भी विचरण करने में समर्थ हो जाता है। इसी सिद्धि के द्वारा हनुमान जी आकाश पाताल व पृथ्वी पर विचरण कर सकते थे।


7. ईशित्व (ishitaw)

सातवीं सिद्धि ईशित्व हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है इस सिद्धि के कारण व्यक्ति पर सभी देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है साथ ही यह सिद्धि नेतृत्व की क्षमता भी प्रदान करती है।

8. वशित्व (washitv)


सबसे अंतिम सिद्धि जिसका नाम वशित्व है। इसी सिद्धि के प्रभाव से हनुमान जी अपनी इंद्रियों तथा मन को जीत सकते हैं। वशित्व सिद्धि के प्रभाव से व्यक्ति किसी भी प्राणी को अपने वश में कर सकते हैं।

तो आज हमने हमारे इस लेख में अष्ट सिद्धियों के बारे में विस्तार से जाना। आशा करती हूं हनुमान जी की अष्ट सिद्धियों से जुड़ी हर जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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