क्या है इंसान की बर्बादी के तीन कारण भगवत गीता के अनुसार (ky h insaan ki barbadi ke teen karan bhagwat geeta ke anusar in hindi)

 नमस्कार,


          दोस्तों भगवत गीता दुनिया को दिया गया एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें इंसान के हर प्रश्न, हर समस्या का समाधान मिलता है। इसी प्रकार भगवत गीता में इंसान की बर्बादी के भी तीन प्रमुख कारण बताए गए हैं। आज के इस लेख में कहानी के माध्यम से भगवत गीता के अनुसार इंसान की बर्बादी के तीनों कारणों के बारे में चर्चा करते हैं, तो आएगी शुरू करते हैं।

कहानी ( The Story )

पुराने समय की बात है एक लड़के का जन्म में एक बहुत ही अच्छे शाही परिवार में होता है, परंतु परंपरा के अनुसार छोटी उम्र में ही उस लड़के को ज्ञान प्राप्ति हेतु गुरुकुल में भेज दिया जाता है। वह लड़का बहुत ही होनहार था।



उसने सभी वेद-ग्रंथों का अध्ययन अच्छे से किया। किंतु एक प्राकृतिक आपदा में उसके माता-पिता के साथ उसका पूरा परिवार भी समाप्त हो गया। अब उस लड़के के पास वह राज-पाट भी नहीं रहा। 

तब उस लड़के ने शिक्षा की समाप्ति के बाद यह प्रण लिया कि वह अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई के लिए कार्य करने में ही व्यतीत करेगा और सन्यास ले कर ध्यान लगाने के लिए हिमालय पर चला गया।

वह अपने जीवन से बहुत खुश था। हिमालय से बौद्धिक विकास कर वापस आने पर अन्य लोग उसके पास शिक्षा लेने के लिए आया करते थे। सन्यासी लोगों की समस्याओं का समाधान भी किया करता था। सन्यासी ऐसे ही धीरे-धीरे प्रसिद्ध होने लगा।


According to Bhagavad Gita there are three causes of ruin



जहां पर सन्यासी रहता था, वहां का राजा बहुत क्रूर व कठोर हृदय वाला व्यक्ति था। वहां के राजा को जब यह बात पता चली तो वह उस सन्यासी से मिला। सन्यासी से मिलकर राजा इतना प्रभावित हुआ कि उसने अच्छाई की राह पर चलने की ठान ली।


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राजा ने सोचा जिस व्यक्ति के साथ कुछ समय बिताने पर ही मेरी जिंदगी में इतना बदलाव आ सकता है, यदि यह मेरे साथ ही रहने लगी तो मेरी जिंदगी कितनी बदल जाएगी। राजा ने सन्यासी से महल में चलने का अनुरोध किया। 

सन्यासी राजा की बात से सहमत होकर महल में आ गया। वहां पर सन्यासी को शाही कक्ष में शाही भोजन परोसा गया। तब सन्यासी ने भोजन ग्रहण करने के पश्चात वापस जाने की आज्ञा मांगी।

राजा ने अनुरोध किया कि आप चाहे तो मैं यहां बगीचे में आपके लिए कुटिया की व्यवस्था कर सकता हूं। आप जब तक चाहे आप वहां रह सकते हैं। सन्यासी ने पुनः राजा के अनुरोध को स्वीकार कर लिया। राजा ने सन्यासी के लिए एक कुटिया बना और एक सेवादार को नियुक्त कर दिया।

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एक दिन वह सेवादार बीमार हो गया और फिर कुछ दिन नहीं आया तब सन्यासी को भोजन देने वाला वहां कोई नहीं था। एक दिन जब राजा-रानी सन्यासी से मिलने पहुंचे तो सन्यासी ने राजा से कहा तुम कितने गैर जिम्मेदार हो और साथ में यह भी कहा कि जब जिम्मेदारी उठा नहीं सकते थे तो जिम्मेदारी ली क्यो?

राजा ने सन्यासी से क्षमा मांगी। एक बार राजा को राज्य से पुनः बाहर जाना पड़ा। तब राजा ने रानी को निर्देश दिया कि सन्यासी की सभी जरूरतों का ध्यान रखा जाए। एक बार रानी नहाने गई और सन्यासी के लिए भोजन भिजवाना भूल गई। तब सन्यासी को क्रोध आया और वह खुद ही महल में जा पहुंचा।

According to Bhagavad Gita there are three causes of ruin
भगवत गीता

रानी की अद्भुत सुंदरता को देखकर वह चकित हो गया। सन्यासी रानी की सुंदरता पर मोहित हो गया और बिना कुछ खाए पिए अपनी कुटिया में ही पड़ा रहा। जब राजा वापस आकर सन्यासी से मिलने गए तो राजा ने देखा कि सन्यासी जी बहुत ही कमजोर हो गए हैं।

तब सन्यासी ने कहा कि मैं आपकी पत्नी (रानी) के मोह में पड़ गया हूं और उसके बिना जिंदा नहीं रह सकता। राजा उस सन्यासी को अपने साथ महल में ले आया। तब राजा ने रानी को सन्यासी जी की मदद करने के लिए कहा। रानी समझ गई कि उसे क्या करना है ?


तब रानी उस सन्यासी के साथ कुटिया में रहने आई तो रानी ने कहा हमें रहने के लिए घर चाहिए ? सन्यासी राजा के पास गया है राजा ने उसे घर दे दिया। 

रानी ने फिर सन्यासी से से कहा कि क्या आपको ज्ञात है कि आप क्या थेऔर क्या बन गए हैं? रानी ने कहा आप एक ज्ञानी थे, जिसके कारण राजा आपको आपकी जरूरत की हर वस्तु उपलब्ध कराते थे। किंतु आज आप अपनी वासना के कारण मेरे अर्थात रानी के गुलाम बन गए हैं।

तब सन्यासी को अपनी गलती का एहसास हुआ। तब उस सन्यासी ने कहा कि मैं अभी आपको राजा के पास सौप कर आता हूं। तब रानी ने प्रश्न किया जब उस दिन  आपको भोजन नहीं मिला था तो आप क्रोधित हो गए थे ? तभी से मैंने आपके व्यवहार में परिवर्तन महसूस किया हैं?

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तब सन्यासी ने जवाब में कहा जब मैं जंगलों में था तो मुझे कई दिनों तक खाना नहीं मिलता था परंतु महल में मुझे सुविधाएं मिली। फिर मुझे इनके प्रति लगावमोह उत्पन्न हुआ और फिर इन्हें पाने का लालच उत्पन्न हो गया। 

और जब यह नहीं मिले तो क्रोध उत्पन्न हो गया।इसके बाद सन्यासी राजा और रानी से क्षमा मांग कर वापस लौट गया।

कहानी का सार
(The Essence Of The Story)


मनुष्य की इच्छा पूरी नहीं होने पर क्रोध उत्पन्न होता है और अगर इच्छा पूरी हो जाती है तो लालच बढ़ता जाता है ।

भगवत गीता के अनुसार बर्बादी के तीन कारण
(According to Bhagavad Gita there are three causes of ruin)


दोस्तों श्रीमद्भागवत गीता के अध्याय 16 के 21 वें श्लोक में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि काम, क्रोध,लोभ यह तीनों ही किसी इंसान की बर्बादी के प्रमुख कारण है। 

इसलिए व्यक्ति को इन तीनों चीजों से बचकर रहना चाहिए। जब सन्यासी इन विकारों में फंस सकता है तो हम तो साधारण मनुष्य हैं।

इसलिए अपने विकारों को अपने वश में रखने के लिए हमें ध्यान अर्थात मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए।

तो दोस्तों कैसी लगी आपको इंसान की बर्बादी के तीन कारण भगवत गीता के अनुसार पर हमारी यह सीख जरूर बताइएगा ।

धन्यवाद।


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