नमस्कार,
दोस्तों जब भी बात हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के विषय में आती है तो सर्वाधिक प्रिय देवता जिन्हें बच्चे बूढ़े सभी पूजते हैं उनमें हनुमान जी का नाम सर्वोपरि होता है। वैसे तो हनुमान जी को प्रसन्न करने का सबसे साधारण और सरल उपाय है हनुमान चालीसा का पाठ करना।
इसके अलावा भी हनुमान जी को हनुमान अष्टक, बजरंग बाण, सुंदरकांड आदि के माध्यम से प्रसन्न किया जा सकता है। किसी बीमारी में या वात रोग से पीड़ित व्यक्ति को हनुमान बाहुक का पाठ लाभ पहुंचाता है।
आज के इस लेख में हम हनुमान जी के एक और शक्तिशाली पाठ जो कि 200 वर्षों से भी अधिक पुराना माना गया है के बारे में बात करेंगे। जी हां दोस्तों में बात कर रही हूं हनुमान पचासा के बारे में।
आज के इस लेख में हम जानेंगे कि हनुमान पचासा की रचना किसने की? हनुमान पचासा की रचना कैसे हुई? हनुमान पचासा की रचना के पीछे का इतिहास? हनुमान पचासा पाठ करने का महत्व या फायदे? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।
हनुमान पचासा की रचना किसने की
(Hanuman pachasa ki rachna kisne ki in Hindi )
बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध कवि मान ने हनुमान पचास की रचना की थी। कवि मान द्वारा रचित यह रचना हनुमंत पचासा लगभग 200 वर्ष पुरानी है। इसका प्रकाशन गीता प्रेस गोरखपुर के हनुमान अंक में किया गया है।
हनुमान पचासा का पाठ करने का महत्व या फायदे
(Hanuman pachasa ka path karne ka mahatw ya fayde in Hindi)
हनुमान पचासा का पाठ करने से व्यक्ति को बहुत लाभ पहुंचता है। जिनमें से कुछ का वर्णन हम आपको इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं।
1.) हनुमान पचासा का पाठ करने वाले व्यक्ति की सुरक्षा स्वयं हनुमानजी करते हैं। जिसके कारण वह व्यक्ति सभी संकटों से सुरक्षित रहता है।
2.) हनुमंत पचासा का पाठ करने से व्यक्ति के शत्रु का नाश होता है साथ ही शत्रुओं से सुरक्षा भी प्रदान होती है।
3.) हनुमंत पचासा का पाठ करने से व्यक्ति को भौतिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है।
4.) हनुमान पचासा का लगातार 50 दिन तक पाठ करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
5.) हनुमंत पचासा का पाठ करने से घर की सभी नकारात्मकता दूर हो जाती है।
हनुमान पचासा की रचना के पीछे का इतिहास
(Hanuman pachasa ki rachna ke peeche ka itihas in Hindi)
आज से लगभग 200 से 250 वर्ष पूर्व बुंदेलखंड के सुप्रसिद्ध कवि मान द्वारा हनुमान पचासा की रचना की गई थी। हनुमंत पचासा की रचना के पीछे की कथा कुछ इस प्रकार है।
मध्य प्रदेश के चरखारी राज्य में राजा अमानसिंह के दरबारी कवि मान जो कि हनुमान जी के बड़े भक्त हुआ करते थे। जो कि काकरी नामक स्थान की पहाड़ी पर बने हनुमान बने एक हनुमान मंदिर में हनुमान जी की पूजा अर्चना किया करते थे।
दरबारियों में कवि मान को बहुत अधिक मान सम्मान मिलने के कारण कवि मान के प्रतिद्वंदियों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी थी। इन्हीं प्रतिद्वंदियों में एक अन्य कवि ओकरा थे जो कि बहुत अच्छी कविताएं लिखा करते थे। उन्हें अपनी कविता पर बहुत अहंकार था।
दरबारियों में कवि मान को बहुत अधिक मान सम्मान मिलने के कारण कवि मान के प्रतिद्वंदियों की संख्या में बढ़ोतरी होने लगी थी। इन्हीं प्रतिद्वंदियों में एक अन्य कवि ओकरा थे जो कि बहुत अच्छी कविताएं लिखा करते थे। उन्हें अपनी कविता पर बहुत अहंकार था।
एक बार कवि मान और कवि ओकरा के बीच श्रेष्ठ कौन है इसकी श्रेष्ठता निर्धारित करने के लिए दोनों कवियों के बीच एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें यह तय किया गया कि दोनों काकनी के हनुमानजी के सामने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ करेंगे तथा जिस कवि के पाठ के कारण हनुमान जी की प्रतिमा में कोई परिवर्तन दिखाई देगा उसे श्रेष्ठ कवि माना जाएगा।
प्रथम दिवस कवि ओकरा ने अपनी कविता का पाठ हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मुख करना आरंभ किया। परंतु हनुमान जी की प्रतिमा में कोई परिवर्तन नहीं हुआ।
द्वितीय दिवस जैसे ही कवि मान ने अपनी कविता का पाठ हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मुख किया तो हनुमान जी की पाषाण की प्रतिमा में कंपन्न उत्पन्न होने लगा और हनुमान जी की प्रतिमा की गर्दन जिस तरफ कवि मान बैठे हुए थे उस तरफ झुक गई।
यह परिवर्तन जो कि हनुमान जी की प्रतिमा में हुआ था आज तक जो का त्यों बना हुआ है इस प्रकार हनुमान जी ने कवि मान को श्रेष्ठ कवि होने का पद प्रदान किया।
हनुमान पचासा क्या है
(Hanuman pachasa ky hai in Hindi)
कवि मान और कवि ओकरा के बीच खुद को श्रेष्ठ साबित करने की प्रतियोगिता में कवि मान ने जो रचना हनुमान जी की प्रतिमा के सम्मुख सुनाई थी उसी काव्य को हम हनुमान पचासा के नाम से जानते हैं।
हनुमान पचासा का लगातार 50 दिन तक पाठ करने से व्यक्ति पर हनुमान जी की विशेष कृपा होती है। हनुमान पचासा आपको गीता प्रेस गोरखपुर की काव्य कृति हनुमान अंक में मिल जाएगी। जिसका पाठ कर आप हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
(और पढ़ें:- ध्यान क्या है ध्यान करने के फायदे क्या है)
आशा करती हूं आपको हनुमान पचासा पर हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ रहने के लिए धन्यवाद।
आशा करती हूं आपको हनुमान पचासा पर हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ रहने के लिए धन्यवाद।
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