नमस्कार,
दोस्तों हमारे हिंदू धर्म में शायद ही कोई व्यक्ति ऐसा होगा जो कि हनुमान जी से परिचित ना हो। दोस्तों हनुमान जी अजर, अमर, चिरंजीवी व इस कलयुग के साक्षात देवता हैं। हनुमान जी कलयुग की जागृत देवताओं में से एक हैं।ऐसा माना जाता है कि राम जी ने हनुमान जी को धर्म की रक्षा करने हेतु मृत्युलोक में रहने का आदेश दिया था। आज के इस लेख में हम हनुमान जी की वाणी कही जाने वाली पुस्तक कलिहनुवाणी (kalihanuvani) के विषय में बात करेंगे।
![]() |
(Kalihanuvani kitab ka rahasya) |
कहां जाता है कि हनुमानजी प्रत्येक 41 साल के बाद श्रीलंका में उपस्थित जंगलों में रहने वाले मातंग समुदाय से मिलने के लिए आते हैं और उन्हें अपने ज्ञान के द्वारा कृतार्थ करते हैं। तो चलिए अब जानते हैं आखिर कलिहनुवाणी क्या है?
कलिहनुवाणी किताब का रहस्य
(Kalihanuvani kitab ka rahasya)
कलिहनुवाणी पुस्तक हनुमान जी द्वार मातंग समुदाय को दिए गए ब्रह्म ज्ञान से संबंधित है। जिसे उनके ही एक भक्त जो की कनाडा के टोरंटो शहर का है के द्वारा लिखा गया है।
(और पढ़े:- जानिए किन 5 परिस्थितियों में हमें चुप या मौन रहना चाहिए )
2014 के समय की बात है जब जुलाई के महीने में आखिरी बार हनुमान जी श्रीलंका के जंगलों में मातंग समुदाय के पास आए थे। उसके बाद कुछ दिनों तक हनुमान जी ने मातंग समुदाय के लोगों को ब्रह्म ज्ञान दिया और फिर वहां से चले गए। अब हनुमान जी पुनः मातंग समुदाय के लोगों के बीच 2055 में आएंगे।
कलिहनुवाणी पुस्तक की रचना कैसे हुई ?
(Kalihanuvani book ki rachna kese Hui)
एक व्यक्ति जो कि कनाडा के टोरंटो शहर में रहता था। वह एक विदेशी था तथा उसके परिवार यहां पर भारत में रहता था। टोरंटो का वह नागरिक अपनी पत्नी को पहले ही खो चुका था। कुछ समय बाद किसी बीमारी से ग्रसित होने के कारण वह अपने पुत्र को भी खो देता है जिसके पश्चात वह भारत वापस आ जाता है।
जब वह भारत आता है तो उसे यहां की संस्कृति के बारे में कुछ ज्ञान नहीं होता है। अपने पुत्र की मृत्यु हो जाने के बाद वह अंदर से पूर्णत: शून्य को प्राप्त कर लेता है। एक समय की बात है जब वह अपने भाई के साथ गाड़ी चला कर जा रहा था। तो उसने अपने दाहिने हाथ की ओर दूसरी गाड़ी के ऊपर एक अद्भुत दृश्य को देखता है।
वह देखता है कि उस गाड़ी पर हनुमान जी का एक बहुत बड़ा ध्वज लगा हुआ है व उस पर कोई बहुत बड़ा व्यक्ति हवा में उड़ रहा है। कुछ समय बाद पुनः देखने पर वह व्यक्ति वहां से ओझल हो जाता हैं।
उस ध्वज पर जो व्यक्ति उड़ रहा था वह और कोई नहीं बल्कि हनुमान जी ही थे। जब उस व्यक्ति ने ध्वज वाली गाड़ी को आगे जाकर रुकवाया तो गाड़ी के अंदर एक सिद्ध महापुरुष बैठे हुए थे।
उस व्यक्ति ने उन महापुरुष को पूरी घटना के बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने तुम्हे साक्षात सूक्ष्म शरीर में दर्शन दिए हैं। इस घटना के पश्चात उस व्यक्ति का जीवन पूरी तरह बदल जाता है।
वह हिंदू अध्यात्म से जुड़ जाता है और हनुमान जी की भक्ति करने लगता है। किसी के द्वारा पता लगने पर कि श्रीलंका के मातंग समुदाय में हनुमान जी स्वयं आते हैं। वह व्यक्ति ने श्रीलंका जाने का मन बना लेता है।
(और पढ़े :- रामायण से जुड़े 7 सबक जो आपकी जिंदगी बदल दे)
हनुमान जी की कृपा से वह व्यक्ति श्रीलंका के मातंग समुदाय तक पहुंचने में सफल हो जाता है। वह व्यक्ति कुछ समय तक मातंग समुदाय के साथ में रहता है। वह उनकी भाषा को समझने का प्रयास करता है।
उस व्यक्ति को मातंग समुदाय द्वारा यह बताया जाता है कि हनुमान जी हर 41 वर्ष के बाद यहां आते हैं और मातंग समुदाय को ज्ञान का उपदेश देकर जाते हैं। जिसे समुदाय के लोग एक पुस्तक के रूप में लिखकर सुरक्षित रखते हैं। इस पुस्तक को मातंग समुदाय के लोगों द्वारा हनुपुस्तिका कहा जाता है।
(और पढ़ें:- गौतम बुद्ध की जीवनी व उनसे जुड़ी प्रेरणादायक कहानियां )
हनुपुस्तिका को पहले इंग्लिश में अनुवाद किया गया था। जिसका नाम The Immortal Talks रखा गया। यह पुस्तक दो भागों The Immortal Talks 1 व The Immortal Talks 2 में उपलब्ध हैं। किंतु हिंदी में इसे एक साथ कलिहनुवाणी पुस्तक के रूप में बनाया गया है।
जापान के उस नागरिक के कारण ही हनुमान जी के द्वारा मातंग समुदाय को दिया गया ज्ञान आज कलिहनुवाणी पुस्तक के रूप में हम आम लोगों तक पहुंचा पाया है। कलिहनुवाणी पुस्तक में कुल 13 अध्याय हैं।
तो दोस्तों यदि आप हनुमान जी से जुड़े रहस्य व हनुमान जी के ज्ञान को जो कि उन्होंने मातंग समुदाय को प्रदान किया था के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इस पुस्तक कलिहनुवाणी पुस्तक को अमेजॉन (Amazon) से खरीद कर जरूर पढ़ें। यह पुस्तक सिर्फ अमेजॉन पर ही उपलब्ध है।
दोस्तों आशा करती हूं कलिहनुवाणी पुस्तक के रहस्य पर आपको हमारी यह जानकारी पसन्द आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
हनुपुस्तिका को पहले इंग्लिश में अनुवाद किया गया था। जिसका नाम The Immortal Talks रखा गया। यह पुस्तक दो भागों The Immortal Talks 1 व The Immortal Talks 2 में उपलब्ध हैं। किंतु हिंदी में इसे एक साथ कलिहनुवाणी पुस्तक के रूप में बनाया गया है।
जापान के उस नागरिक के कारण ही हनुमान जी के द्वारा मातंग समुदाय को दिया गया ज्ञान आज कलिहनुवाणी पुस्तक के रूप में हम आम लोगों तक पहुंचा पाया है। कलिहनुवाणी पुस्तक में कुल 13 अध्याय हैं।
तो दोस्तों यदि आप हनुमान जी से जुड़े रहस्य व हनुमान जी के ज्ञान को जो कि उन्होंने मातंग समुदाय को प्रदान किया था के बारे में जानना चाहते हैं तो आप इस पुस्तक कलिहनुवाणी पुस्तक को अमेजॉन (Amazon) से खरीद कर जरूर पढ़ें। यह पुस्तक सिर्फ अमेजॉन पर ही उपलब्ध है।
दोस्तों आशा करती हूं कलिहनुवाणी पुस्तक के रहस्य पर आपको हमारी यह जानकारी पसन्द आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
0 टिप्पणियाँ