नमस्कार,
दोस्तों आज की आधुनिक दुनिया में कई तरह के बदलाव हुए हैं जिनका असर हमारी दिनचर्या रहन-सहन आदि पर भी हुआ है। इस बदलाव के कारण ही हमारे खाने-पीने की आदतें, खाना खाने का समय, भोजन में पकने वाले व्यंजनों व हमारे खाना खाने के नियमों में भी काफी अंतर आ गया है।
एक वह समय था जब हम खाना खाते समय नीचे जमीन पर बैठकर आसन या लकड़ी के पटो पर बैठकर खाना खाया करते थे। लेकिन आज के समय हम डाइनिंग टेबल पर बैठकर भोजन करते हैं। ऐसे ही न जाने कितने बदलाव हैं जो जाने अनजाने में हमारी भारतीय संस्कृति के अंदर आ चुके हैं।
आज के इस लेख के अंतर्गत हम खाना खाने के नियमों व भोजन करने के सही तरीको के बारे में जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।
भारतीय संस्कृति के अनुसार भोजन करने के नियम व तरीके
1.) भारतीय संस्कृति के अनुसार व्यक्ति को दिन भर में केवल 2 बार ही भोजन करना चाहिए। क्योंकि भोजन को पचाने के लिए ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा प्रयोग में लाया जाता है। यदि हम दिन भर कुछ ना कुछ खाते रहते हैं तो हमारे शरीर भोजन को पचाने में ही व्यस्त रहेगा और हमें हर समय भारीपन व आलस्य का एहसास होगा।
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भोजन के नियम |
इसके साथ ही हमारे शरीर की अत्याधिक ऊर्जा खाना पचाने में खर्च हो जाएगी। जिसके कारण हम अन्य कार्यो में अधिक ऊर्जा का उपयोग नहीं कर पाएंगे। जिससे हम हमारा सर्वश्रेष्ठ उस कार्य को नहीं दे पाएंगे।
2.) जिस भोजन से शरीर को भारीपन व आलस्य महसूस होता है। भारतीय संस्कृति में इस प्रकार का भोजन ना करना ही उत्तम बताया गया है।
3.) भोजन को हमेशा अपने हाथों से स्पर्श करके ही खाना चाहिए। भोजन को खाने के लिए चम्मच आदि का प्रयोग बहुत कम करना चाहिए। जब हम भोजन को हाथों से छूकर खाते हैं तो हमारे मस्तिष्क तक यह संकेत पहुंच जाता है कि भोजन आने वाला है। जिससे कि खाना पचाने के लिए सहायक अम्लों का स्त्राव मस्तिष्क अच्छे से कर सकता है।
साथ ही हाथ से खाना खाने पर हमें यह पता चल जाता है कि खाना कितना गर्म है या ठंडा है।
4.) भारतीय संस्कृति के अनुसार जब भी आप भोजन करने बैठे तो उस भोजन की थाली को देखकर धन्यवाद जरूर करें। उस ब्रह्मांड का धन्यवाद करें जिसने आपकी थाली में इतना सुंदर भोजन परोसा है।
साथ ही खाना बनाने वाले, उसको उगाने वाले किसान, सभी का धन्यवाद जरूर करें। ऐसा करने से भोजन करने से पहले आपका मन शांत हो जाएगा।
5.) खाना खाने के लिए हमेशा नीचे जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर बैठना चाहिए। इस प्रकार की बैठक व्यवस्था से व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोजन करने से बच जाता है।
6.) भारतीय संस्कृति के अनुसार सुबह सूर्योदय के पश्चात पहली बार जब भोजन करे तब ज्यादा से ज्यादा जितना आपको भूख है उतना भोजन करें। वही रात के समय कम से कम भोजन करना चाहिए।
सूर्योदय के ढाई घंटे बाद तक हम जो कुछ भी खाते हैं वह हमारे शरीर में सबसे ज्यादा अवशोषित होता है और जल्दी भी पच जाता है। इस समय जठराग्नि की क्रियाशीलता सर्वाधिक होती है।
5.) खाना खाने के लिए हमेशा नीचे जमीन पर आसन बिछाकर पालथी मारकर बैठना चाहिए। इस प्रकार की बैठक व्यवस्था से व्यक्ति जरूरत से ज्यादा भोजन करने से बच जाता है।
6.) भारतीय संस्कृति के अनुसार सुबह सूर्योदय के पश्चात पहली बार जब भोजन करे तब ज्यादा से ज्यादा जितना आपको भूख है उतना भोजन करें। वही रात के समय कम से कम भोजन करना चाहिए।
सूर्योदय के ढाई घंटे बाद तक हम जो कुछ भी खाते हैं वह हमारे शरीर में सबसे ज्यादा अवशोषित होता है और जल्दी भी पच जाता है। इस समय जठराग्नि की क्रियाशीलता सर्वाधिक होती है।
वहीं शाम के समय हमारे शरीर में खाना पचाने की शक्ति कम हो जाती है। इसीलिए सूर्यास्त से पूर्व भोजन करने की सलाह दी गई है।
7.) भोजन को जितना हो सके उतना अधिक चबाकर खाना चाहिए। भोजन का पाचन मुंह से ही शुरू हो जाता है। भारतीय शास्त्र ग्रंथों में भोजन को कम से कम 32 बार चबाने के लिए कहा गया है।
8.) भारतीय संस्कृति के अनुसार हो सके तो एक समय का भोजन परिवार के सभी सदस्य साथ में मिलकर जरूर करें।
आइए अब जानते हैं उन गलतियों के बारे में जो हमें भोजन करते समय नहीं करना चाहिए।
1.) हमें कभी भी गुस्सा, चिड़चिड़ा या तनाव के साथ भोजन नहीं करना चाहिए। इन सभी विकारों के साथ किया गया भोजन ठीक से पचता नहीं है जो बाद में शरीर में रोग उत्पन्न करता है।
2.) हमें जब तक भूख ना लगे भोजन नहीं करना चाहिए। बिना भूख लगने पर किया गया भोजन जहर के समान होता है।
3.) हमें कभी भी दो अलग-अलग तासीर के भोज्य पदार्थों का सेवन साथ में नहीं करना चाहिए। इसलिए आयुर्वेद में विरुद्ध आहार के बारे में बताया गया है।
4.) खाना खाने के तुरंत बाद कार्य करने की अनुमति भारतीय संस्कृति में नहीं हैं। यही कारण है कि हमारे यहां खाना खाकर मजदूरों को थोड़ा वक्त आराम करने के लिए दिया जाता है।
5.) उपवास का ना करना भी बहुत बड़ी गलती है। हर व्यक्ति को महीने में 1 दिन उपवास जरूर रखना चाहिए। जिसमें उसे फलों का जूस, पानी आदि ग्रहण करना चाहिए। उपवास हमारे शरीर की क्रियाविधि को सुचारू रूप से चलाने में मदद करता है।
तो दोस्तों अब अब आप भी भोजन करने की बहुत सी आदत और गलतियों के बारे में जान गए होंगे।
आशा करती हूं आपको क्या है भारतीय संस्कृति के अनुसार भोजन करने का सही तरीका, नियम व गलतियों के बारे में हमारी है जानकारी पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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