गौतम बुद्ध की जीवनी व उनसे जुड़ी प्रेरणादायक कहानियां (Gautam Buddha ki jeevani or unse judi prachalit kahaniya in hindi)

 नमस्कार,


              दोस्तों आज के समय में शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो महावीर या महात्मा गौतम बुद्ध के बारे में ना जानता हो। गौतम बुद्ध का जीवन संपूर्ण मानव जाति के लिए एक आदर्श है। गौतम बुद्ध के जीवन के आदर्शों को यदि हम थोड़ा सा भी अपनी जिंदगी में अमल में लाते हैं तो हमारे जीवन की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है।

आज के इस लेख में हम महात्मा गौतम बुद्ध की जीवनी व उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रेरणादायक कहानियों व उनसे मिलने वाले सबक के विषय में बात करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं हमारा आज का लेख।

महात्मा गौतम बुद्ध की जीवनी
(Gautam Buddha ki jeevni)


आज से लगभग 2500 साल (563 ईसा पूर्व) पहले की बात है। लोगों का मानना है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के 9 वे अवतार थे। महात्मा गौतम बुद्ध का जन्म महाराज शुद्धोधन व उनकी महारानी महामाया के यहां पर हुआ था। गौतम बुद्ध का संबंध शाक्य वंश के क्षत्रिय से था। गौतम बुद्ध का जन्म लुंबिनी नामक स्थान पर हुआ था। जो आज के समय नेपाल के अंतर्गत आता है।




गौतम बुद्ध के जन्म के 7 दिन पश्चात ही उनकी माता का निधन हो गया था। जिसके कारणवश उनका पालन- पोषण उनकी मौसी प्रजापति गौतमी के द्वारा किया गया।


महात्मा गौतम बुद्ध की जीवनी व उनके जीवन से जुड़ी कुछ प्रेरणादायक कहानियों व उनसे मिलने वाले सबक
गौतम बुद्ध 



गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ हुआ करता था। बचपन में ही संतो के द्वारा ज्योतिष ज्ञान के माध्यम से सिद्धार्थ की जन्म कुंडली का अध्ययन करने पर पाया गया कि सिद्धार्थ या तो एक बहुत बड़े राजा बनेंगे या फिर एक बहुत ही विख्यात संत या सन्यासी

तब गौतम बुद्ध के पिता ने कहा कि मैं तो अपने बेटे को राजा के रूप में ही देखना चाहता हूं। इस पर संतों ने उन्हें जवाब दिया यदि आप इन्हें राजा बनाना चाहते हैं तो इन्हें बूढ़े व्यक्तियों, सूखे पत्ते, मृत व्यक्तियों व सन्यासी लोगों से दूर रखना होगा।


संतों ने कहा कि आपको सिद्धार्थ को दुख और तकलीफों से दूर रखना होगा ताकि इसके मन में वैराग्य उत्पन्न ना हो सके। सिद्धार्थ के पिता शुद्धोधन के द्वारा बिल्कुल ऐसा ही किया गया। उनके द्वारा राजमहल के अंदर ही सिद्धार्थ के लिए सारी व्यवस्था उपलब्ध कराई गई तथा उन्हें राजमहल से बाहर नहीं जाने दिया गया।19 साल की उम्र में गौतम बुद्ध का विवाह राजकुमारी यशोधरा के साथ हुआ।

एक समय की बात है जब सिद्धार्थ को किसी कारणवश राजमहल से बाहर जाना पड़ा। तब सिद्धार्थ ने रास्ते में कुछ चीजों को देखा। जिनमें से सर्वप्रथम उन्होंने एक बूढ़े व्यक्ति को देखा। उस व्यक्ति को देखकर उन्होंने अपने सारथी से पूछा यह कौन है? तब सारथी ने कहा यह एक बूढ़ा व्यक्ति है। जवानी के बाद हर इंसान को बूढ़ा होना ही पड़ता है।

आगे चलकर सिद्धार्थ ने जो दूसरी चीज देखी वह थी बीमार व्यक्ति। उन्होंने अपने सारथी से फिर पूछा यह कौन है ? सारथी ने जवाब में कहा यह एक बीमार व्यक्ति है। तब सिद्धार्थ ने पूछा क्या कोई भी व्यक्ति बीमार हो सकता है? तब सारथी ने जवाब में कहा हां कोई भी व्यक्ति बीमार हो सकता है।




तीसरी चीज जो सिद्धार्थ ने देखी वह थी मृत्यु शैया अर्थात अर्थी। तब फिर उन्होंने अपने सारथी से पूछा यह क्या है ? तब सारथी ने जवाब दिया यह मृत्यु शैय्या है, जो भी व्यक्ति इस संसार में जन्म लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है।

आगे चलकर सिद्धार्थ को एक सन्यासी दिखाई दिया। पूछने पर सारथी ने जवाब दिया यह अपने सुखों का त्याग कर ईश्वर भक्ति में अपने जीवन को व्यतीत करते हैं।

उस दिन बूढ़े व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, मृत्यु शैय्या व संन्यासी को देखकर सिद्धार्थ के मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया था। सिद्धार्थ ने सोचा जब जन्म, मृत्यु, दुख व तकलीफ सभी के साथ होती है तो मैं अपना जीवन राजमहल में क्यों व्यर्थ गवा रहा हूं ? मुझे इस संसार के रहस्य को जानने में अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। तब सिद्धार्थ ने उसी दिन रात में अपने घर का परित्याग कर दिया।

सिद्धार्थ द्वारा घर का परित्याग करने पर वह जंगल की ओर चल दिए। वर्षों की तपस्या के पश्चात उन्हे 35 वर्ष की आयु में बोधि वृक्ष (पीपल) के नीचे, बोधगया बिहार में पूर्णिमा के दिन ज्ञान की प्राप्ति हुई। जिसके बाद सिद्धार्थ से वह गौतम बुद्ध बन गए।




गौतम बुद्ध ने अपने धर्म का प्रचलन पाली भाषा में किया। लगभग 483 ईसवी पूर्व 80 साल की उम्र में काशी में निरंजना नदी के निकट उनकी मृत्यु हो गई। बौद्ध धर्म में इसे महापरिनिर्वाण कहाजाता है। आज बौद्ध धर्म बहुत ही व्यापक रूप से फैला हुआ है। बौद्ध धर्म चीन, थाईलैंड, ताइवान आदि जगह अपनाया जाता है।

गौतम बुद्ध की प्रचलित कहानियां
(Gautam Buddha ki prachalit kahaniya)


भगवान बुद्ध के जीवन में बहुत सी घटनाएं हुई जो आज कहानियों के रूप में प्रचलित है। गौतम बुद्ध के जीवन की कहानियों से हम सब कुछ सीख कर उन्हें अपने जीवन में उतार कर अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। तो चलते हैं शुरू करते हैं कुछ प्रेरणादायक कहानियां और उनसे मिलने वाले सबक की ओर।

कहानी 1


एक समय की बात थी। जब एक स्त्री ने गौतम बुद्ध को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया। लेकिन उसके पति को गौतम बुद्ध को भोजन पर आमंत्रित करना पसंद नहीं आया। क्रोधवश उस व्यक्ति ने गौतम बुद्ध को बहुत भला बुरा कहा और उनके मुख पर थूक दिया। इतना सब होने के पश्चात भी गौतम बुद्ध वहां से मुस्कुराते हुए चल दिए।




उस व्यक्ति को जब अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह भगवान बुद्ध के पास माफी मांगने के लिए पहुंचा। तब गौतम बुद्ध ने कहा तुमने मेरे साथ जो भी किया वह कल किया था और आज एक नया दिन है। मैं कल को याद नहीं रखता और जब मुझे याद ही नहीं कल क्या हुआ तो इसलिए आपको माफी मांगने की कोई आवश्यकता नहीं है।

सबक  :-


समझदार व्यक्ति पुरानी बातों को पकड़कर नहीं बैठता है। उसके लिए हर दिन नया होता है। वह हर दिन एक नई शुरुआत करता है।

कहानी 2


गौतम बुद्ध के साथ हमेशा उनके कुछ अनुयायियों चलते थे। एक बार किसी एक गांव की वेश्या ने गौतम बुद्ध को अपने घर अतिथि सत्कार के लिए आमंत्रित किया। गौतम बुद्ध के अनुयायियों ने तो वेश्या का अतिथि सत्कार स्वीकार नहीं किया परंतु गौतम बुद्ध ने वेश्या का अतिथि सत्कार स्वीकार कर लिया।

गौतम बुद्ध पूरी रात उस वेश्या के घर रुके। सुबह उठकर जब गौतम बुद्ध बाहर आते हैं तो लोग देखते हैं कि वह वेश्या भी सन्यासी कपड़े पहन कर उनके साथ बाहर आई है। तब भगवान बुद्ध ने कहा मेरी पवित्रता उस वेश्या से ज्यादा महान थी। जिसके कारण वेश्या भी सन्यासी बनने को मजबूर हो गई।

सबक :-

ज्ञानी और सही लोगों की संगत से जीवन व्यर्थ होने से बच जाता है।

कहानी 3


एक समय की बात है जब भगवान गौतम बुद्ध को एक व्यक्ति जोर-जोर से सभी गांव वालों के सामने गालियां देने लगा व अपशब्द कहने लगा। किंतु गौतम बुद्ध पर उसकी किसी भी बात का कोई असर नहीं हुआ। वह मुस्कुरा कर आगे बढ़ गए।

तब गांव वालों ने पूछा कि उस आदमी ने आपका इतना अपमान किया क्या आपको इसका जरा भी बुरा नहीं लगा ? तब भगवान बुद्ध ने कहा उस आदमी ने मुझे जो भी गालियां दी या अपशब्द कहे मैंने उसे स्वीकार ही नहीं किया। जिसके कारण उसके अपशब्द पुनः उसी के पास चले गए।

सबक :-


जिस व्यक्ति ने अपने मन को जीत लिया उसके लिए मान-सम्मान, हार-जीत, सर्दी-गर्मी सब समान होता है। हमें अनावश्यक किसी पर भी क्रोध नहीं करना चाहिए।


आशा करती हूं भगवान गौतम बुद्ध की जीवनी व उनकी जीवन से जुड़ी प्रचलित कहानियां से जुड़ा यह लेख आपको पसंद आया होगा। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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