कौन सी है भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाएं जानिए विस्तार से (Kaun si hai Bhagwan Krishna ki 16 kalayen janiye vistar se in hindi)

 नमस्कार, 

             दोस्तों आप सभी ने भगवान विष्णु के अवतारों के बारे में सुन रखा होगा। जिसमें से कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण संपूर्ण अवतार थे। उनमें संपूर्ण 16 कलाएं मौजूद थी। वही भगवान राम 12 कलाओं से युक्त अवतार माने जाते हैं।

तो दोस्तों आज के इस लेख में हम भगवान श्री कृष्ण की संपूर्ण 16 कलाओं के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।


भगवान श्री कृष्ण संपूर्ण अवतार थे। उनमें संपूर्ण 16 कलाएं मौजूद थी। वही भगवान राम 12 कलाओं से युक्त अवतार माने जाते हैं।



ऐसा कहा जाता है कि सामान्य मनुष्य में भी कम से कम 5 से लेकर 8 कलाएं उपस्थित होती है। जो व्यक्ति अति विशिष्ट होते हैं या जो भगवान का अवतार माने जाते हैं उनमें 10 से ऊपर कलाएं पाई जाती है। चलिए अब चलते हैं, भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाओं की ओर।

भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाएं (bhagwan shree krishna ki 16 kalayen)


1.) श्री संपदा :- श्री कृष्ण में उपस्थित 16 कलाओं में से प्रथम कला का नाम है श्री संपदा। जिस भी व्यक्ति के अंदर यह कला पाई जाती है वह मनुष्य पैसों का धनी होता है। इसके साथ ही वह मनुष्य मन, वचन और कर्म से भी धनी होता है।

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इस प्रकार के व्यक्ति के पास यदि कोई व्यक्ति किसी भी प्रकार की आशा लेकर आते हैं तो इस कला से संपन्न व्यक्ति उन्हें कभी निराश नहीं करते हैं। इस कला से संपन्न व्यक्ति के पास माता लक्ष्मी का स्थाई निवास माना जाता है।

2.) भू संपदा :- दूसरी कला जिसके बारे में हम जानेंगे उसका नाम है भू संपदा। इस कला से संपन्न व्यक्ति एक बहुत बड़े भू- भाग का स्वामी होता है। इस कला से युक्त व्यक्ति बहुत बड़े भू- भाग पर अपना अधिकार रखने के योग्य होते हैं।

3.) कीर्ति संपदा :- श्री कृष्ण में उपस्थित 16 कलाओं में से तीसरी कला का नाम है कीर्ति संपदा। कीर्ति से आशय ख्याति, प्रसिद्धि से है। ऐसा व्यक्ति जो कीर्ति संपदा से युक्त होता है। 

वह देश व दुनिया में काफी लोकप्रिय व विश्वसनीय होता है। इस प्रकार के व्यक्ति जन कल्याण के कार्य में हमेशा लगे रहते हैं।




4.) वाणी सम्मोहन :- जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है चौथी कला जिसके बारे में हम बात करेंगे वह है वाणी सम्मोहन। इस कला से युक्त व्यक्ति की आवाज में एक अलग ही प्रकार का सम्मोहन पाया जाता है।

इस प्रकार के व्यक्ति जब बोलते हैं तो सभी लोगों को अपनी बातों से सम्मोहित कर लेते हैं। ऐसे व्यक्तियों पर मां सरस्वती की विशेष कृपा होती है।

5.) लीला :- लीला कला से युक्त व्यक्ति तेजस्वी व चमत्कारी होते हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों को देखने मात्र से खुशी का अनुभव होता है। ऐसे लोग जहां पर भी मौजूद होते हैं वहां का वातावरण अपने आप सकारात्मक हो जाता है।

6.) क्रांति :- क्रांति कला से युक्त व्यक्ति के चेहरे पर एक अलग तरह का तेज दिखाई देता है, जिसे देखकर लोग अपने आप को उनके प्रति समर्पित कर देते हैं।




7.) विद्या :- श्री कृष्ण में उपस्थित कलाओं में सातवें नंबर पर जो कला है उसका नाम है विद्या। जो व्यक्ति विद्या कला से युक्त होते हैं उनमें अनेक प्रकार के गुण पाए जाते हैं। ऐसे व्यक्ति वेद-शास्त्रों के ज्ञाता होते हैं। ये संगीत, कला आदि के भी अच्छे जानकार होते हैं।

8.) विमला :- विमला का अर्थ है छल, कपट व भेदभाव से पूरी तरह रहित होना। ऐसा व्यक्ति जो विमला कला से युक्त होता है वह निष्पक्ष, छल- कपट रहित होता है। ऐसे व्यक्ति किसी में भेदभाव नहीं करते हैं।

9.) उत्कर्षणी :- उत्कर्षणी से आशय ऐसे व्यक्ति से ही जो अपने द्वारा किसी और व्यक्ति को भी प्रेरित करने की क्षमता रखता हो। उत्कर्षणी कला से युक्त व्यक्ति दूसरे लोगों को भी सही जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं।


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10.) नीर-क्षीर विवेक :-
नीर से आशय पानी  व क्षीर से आशय दूध से हैं। नीर-क्षीर विवेक कला से व्यक्ति दूध का दूध और पानी का पानी करने में सक्षम होता है। अर्थात ऐसे व्यक्ति सही व गलत का संपूर्ण ज्ञान रखता है, और हमेशा सही निर्णय लेने की क्षमता रखते हैं।

11.) कर्मण्यता :-
कर्मण्यता लीला से युक्त व्यक्ति कर्म के सिद्धांत को पूरी तरह से मानने वाले होते हैं। इस प्रकार के लोग कर्मठ होते हैं। यह केवल भाग्य के भरोसे नहीं बैठते हैं।

12.) योगशक्ति :- योगशक्ति की कला से युक्त व्यक्ति जोड़ने की कला में निपुण होते हैं। वे योग शक्तियों द्वारा आत्मा को परमात्मा से जोड़ने के प्रयास में लगे रहते हैं।

13.) विनय :- विनय अर्थात नम्रता ऐसे व्यक्ति जो बड़े पदों पर आसीन होने के बाद भी विनम्र रहते हैं जिनमें अहंकार का भाव नहीं होता है विनय कला से युक्त होते हैं। 




14.) सत्य को धारण करना :- हर व्यक्ति में सत्य को धारण करने की क्षमता नहीं होती है, किंतु जो व्यक्ति इस कला से युक्त होते हैं वह सत्य को धारण करते हैं और कठिन से कठिन परिस्थिति में भी सत्य का मार्ग नहीं छोड़ते हैं। 

15.) आधिपत्य :- इस कला से संपन्न व्यक्ति में ऐसे गुण पाया जाते है कि सभी लोग उसका आधिपत्य सहर्ष स्वीकार करते हैं। इनके आधिपत्य में सुरक्षा का भाव होता है। 

16.) अनुग्रह :- अनुग्रह कला से युक्त व्यक्ति हमेशा दूसरों के कल्याण के बारे में सोचता रहता है। वह लगातार परोपकार के कार्यों में लगा रहता है। 

आशा करती हूं भगवान श्री कृष्ण की 16 कलाओं की विस्तृत जानकारी पर (Kaun si hai Bhagwan Krishna ki 16 kalayen janiye vistar se in hindi) आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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