जानिए किन 5 परिस्थितियों में हमें चुप या मौन रहना चाहिए (janiye kin 5 pristhithiyo me hame chup ya moun rahna chahiye)

 नमस्कार,


           दोस्तों भगवान ने हम सभी को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने व एक दूसरे से बात करने के लिए बोली प्रदान की है। संसार में कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो बहुत ही कम बोलते हैं और वही कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो बस बिना सोचे समझे बोलते ही रहते हैं। एक इंसान को इस बात का ज्ञान हमेशा होना चाहिए कि हमें कहां पर क्या और कितना बोलना है, कहां पर मौन या चुप रहना है आदि।


जानिए किन 5 परिस्थितियों में हमें चुप रहना चाहिए (janiye kin 5 pristhithiyo me hame chup rahna chahiye)
चुप या मौन रहने के फायदे



दोस्तों आज के इस लेख में हम बात करेंगे कौन सी वह पांच परिस्थितियां है जहां पर हमें मौन या चुप रहना चाहिए। साथ ही मौन या चुप रहने के फायदे के बारे में भी हम आज के इस लेख में बात करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।




एक बार की बात है, जब किसी गुरु का एक शिष्य ज्यादा बोलने की आदत से परेशान था। वह जब भी अपने दोस्तों से मिलता तो उन्हें अपने विचारों को बताने लगता। उससे कोई व्यक्ति पूछे या ना पूछे वह सभी को अपने आस-पास की चीजों के बारे में राय देने लगता था। जब भी कोई आश्रम का अन्य छात्र उससे अपनी समस्या बताने आता तो है बिना पूरी बात सुने ही उसे अपनी राय या सलाह देने लग जाता था।

उसे अपने आस-पास की चीजों के बारे में जो भी आधा-अधूरा ज्ञान था उसे वह अपने दोस्तों के साथ बात करते समय उस ज्ञान का दिखावा करता था। उसकी इन्हीं हरकतों के कारण आश्रम का कोई भी छात्र या शिक्षक उसे गंभीरता से नहीं लेता था। उस लड़के की इन्ही आदतों के कारण आश्रम के अन्य साथी उसका मजाक बनाते थे।

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धीरे-धीरे उस लडके को भी समझ आने लगा कि उसकी इस ज्यादा बोलने की आदत के कारण कोई भी अन्य छात्र उससे बात करना पसंद नहीं करता है। वह स्वयं भी अपनी इस आदत से छुटकारा पाना चाहता था।

एक दिन वह अपने गुरु के पास गया और अपनी सारी समस्या अपने गुरु को बताई। गुरु ने कहा बेटा ज्यादा वही इंसान बोलता है जिसे लगता है कि वह सब कुछ जानता है। ऐसा इंसान जो यह जानता है कि वह बहुत थोड़ा ही जानता है और ऐसा बहुत कुछ है जो उसे सीखना है वह कभी भी जरूरत से ज्यादा नहीं बोलता है। और ना ही वह व्यक्ति बिना मांगे कभी अपनी राय या सलाह देता है। इसलिए सबसे पहले यह अभिमान हटाओ कि तुम्हें सब कुछ पता है।

इसके पश्चात गुरु ने कहा कि मैं एक दिन में तुम्हारी ज्यादा बोलने की आदत को खत्म तो नहीं कर सकता। यह आदत तुम्हें ही धीरे-धीरे खत्म करनी होगी। इसके बाद गुरुजी ने कहा कि मैं तुम्हें इतना जरूर बता सकता हूं कि किन परिस्थितियों में मनुष्य को चुप रहना चाहिए। ताकि इंसान खुद को किसी बड़ी मुसीबत में पढ़ने से बचा सके। तो आइए जानते हैं वह पांच परिस्थितियों या मौकों के बारे में जब इंसान को या चुप रहना ही फायदेमंद साबित होता है।

पांच परिस्थितियां जहां मनुष्य को चुप या मौन रहना चाहिए
(5 prithithiya jaha manushya ko chup ya moun rahna chahiye)


हम आपको जो पांच परिस्थितियों के बारे में बताने जा रहे हैं, उन परिस्थितियों में चुप रहकर आप भी अपने जीवन में आने वाले संकटों से बच सकते हैं।

1.) जब कोई भावनाओं को शब्दों से ना समझ सके


जब तुम्हें लगता है कि कोई व्यक्ति तुम्हारी भावनाओं को तुम्हारे शब्दों से नहीं समझ पा रहा है ऐसी परिस्थिति में इंसान का चुप रहना ही बेहतर है। अक्सर हम लोगों को अपने दुख व अपनी परेशानियां बताना शुरू कर देते हैं। जबकि हमारे आस-पास रहने वाले ज्यादातर लोगों को इससे कोई मतलब नहीं होता है।

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हर इंसान को केवल खुद से ही मतलब होता है। एक या दो बार कोई इंसान तुम्हारी दुख व तकलीफों को सुनेगा लेकिन उसके बाद वह तुमसे दूर भागना शुरू कर देगा। क्योंकि कोई भी व्यक्ति दुखी व असहाय इंसान के साथ रहना पसंद नहीं करता है। इसलिए अपने कुछ करीबी, खास मित्र व परिवार के सदस्यों को छोड़कर किसी ऐसे इंसान को अपनी परेशानियां ना बताएं जो तुम्हारी बातों को समझने की बजाय उसका मजाक बनाएं।

2.) किसी चीज या घटना का आधा-अधूरा ज्ञान होने पर


जब तुम्हें यह ना पता हो कि किसी विशेष मौके पर क्या बोलना है या किसी विशेष घटना के बारे में तुम्हें आधा-अधूरा ही ज्ञान हो तो ऐसे मौके पर भी हमें चुप रहना चाहिए। अक्सर व्यक्ति अपने आधे अधूरे ज्ञान के कारण हंसी का पात्र बनता है।

ऐसे व्यक्ति को लोग गंभीरता से लेना भी पसंद नहीं करते हैं। हमें कभी भी आधी-अधूरी व इधर-उधर से मिलने वाली जानकारी के आधार पर लोगों से अपनी बात मनवाने की कोशिश नहीं करना चाहिए।

3.) जब कोई व्यक्ति किसी की बुराई कर रहा हो


जब कोई इंसान तुम्हारे सामने किसी तीसरे इंसान की बुराई कर रहा हो तब ऐसी परिस्थिति में भी तुम्हें चुप रहना चाहिए। तुम्हें कभी भी ऐसी नकारात्मक बातचीत का हिस्सा नहीं बनना चाहिए। क्योंकि आज जो इंसान तुम्हारे सामने किसी तीसरे इंसान की बुराई कर रहा है वही कल किसी और के सामने तुम्हारी भी बुराई करेगा।



इसीलिए जब भी कभी कोई किसी तीसरे इंसान की बुराई करें या उसके बुरे समय का मजाक उड़ाए तो तुम्हें सिर्फ उसकी बातों को सुनना है उस पर किसी भी प्रकार की अपनी राय या प्रतिक्रिया नहीं देना चाहिए।

4.) जब कोई तुम पर क्रोध या घृणा करें


जब कोई तुम्हारे ऊपर गुस्सा या घृणा से चिल्लाए, तुम्हारा अपमान करने की कोशिश करें ऐसी परिस्थिति में तुम चुप रह कर सामने वाले के गुस्से और घृणा को कम कर सकते हो। साथ ही तुम इस स्थिति को और अधिक खराब होने से भी बचा सकते हो। गुस्सा कम होने पर जब व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास होगा तब आपके चुप रहने के कारण ही वह हो सकता है आपसे माफी मांगने का प्रयास करें।

हर परिस्थिति में भी हमें चुप नहीं रहना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति गलत कर रहा है तो हमें चुप नहीं रहना चाहिए। क्योंकि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें चुप रहना हमारी कमजोर प्रतीत होता है। गुस्से के दौरान चुप रहने का यह तरीका हमारे सगे-संबंधी, हमारे परिवार व मित्रों के लिए ही सही है ना कि हर इंसान के लिए। हर जगह चुप रहने का कुछ लोग गलत फायदा भी उठा सकते हैं।

5.) जब कोई अपना दुख या परेशानी बताएं


जब कोई इंसान तुमसे अपने जीवन की कोई दुख भरी घटना या परेशानी साझा कर रहा हो ऐसी परिस्थिति में तुम्हें चुप रहकर सिर्फ उसकी बातों को सुनना चाहिए। कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें अपनी समस्या सुनाने पर वे तुरंत समाधान देने लगते हैं।




जबकि कोई इंसान जब अपनी परेशानियां बताता है तब वह चाहता है कि हम उसकी पूरी बात ध्यान से सुने। क्योंकि जब हम किसी की पूरी बात ध्यान से सुन लेते हैं तो उस इंसान को एक आत्मिक शांति का अनुभव होता है। उसे लगता है कोई तो है जो मेरी बातों को ध्यान से सुनना पसंद करता है।

चुप या मौन रहने के फायदे
(Chup ya moun rahne ke fayde)


  • चुप या मौन रहने से इंसान का व्यक्तित्व गंभीर व समझदार प्रतीत होता है।

  • जब हम कम बोलते हैं तो लोग हमारी तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं।

  • कम बोलने वाले व्यक्ति को लोग और अधिक जानना चाहते हैं कि वह कौन है ? वह क्या है ?वह क्या सोचता है ? आदि।

  • कम बोलने वाले लोगों को अन्य लोगों द्वारा गंभीरता से लिया जाता है।

  • कम बोलने से बोलने से होने वाली कई मुसीबतों से बचा जा सकता है।

आशा करती हूं किन 5 परिस्थितियों में हमें चुप या मौन रहना चाहिए पर (kin 5 pristhithiyo me hame chup ya moun rahna chahiye) आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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