कर्म कितने प्रकार के होते हैं और कर्म का सिद्धांत किस प्रकार कार्य करता है (Karma kitne prakar ke hote h or karma ka siddhant kis prakar karay karta he in hindi)

 नमस्कार,


          दोस्तों यदि आपने हिंदू धर्म ग्रंथों के बारे में जाना है, पढ़ा है या उन्हें सुना है, तब तो आप इस बात को अच्छी तरह से जानते होंगे कि कर्म का हमारे जीवन में कितना महत्व है।

भगवत गीता के अंतर्गत भी भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" अर्थात आप सिर्फ कर्म कर सकते हो उस कर्म का फल या परिणाम आपके हाथ में नहीं होता है। इसलिए आपको फल की चिंता किए बिना सिर्फ अपना कर्म करते रहना चाहिए।

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श्री रामचरितमानस के रचयिता संत गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी अपनी काव्य रचना के अंतर्गत कर्म को प्रधान बताते हुए लिखा है "कर्म प्रधान विश्व प्रभु राखा" अर्थात इस जीवन में कर्म की प्रधानता है। यह विश्व कर्म प्रधान है।
आप अपने कर्मों के द्वारा अपने भाग्य को बदल सकते हैं। आज के इस लेख में हम बात करेंगे कर्म क्या है? कर्म कितने प्रकार के होते हैं ? कर्म का सिद्धांत कैसे कार्य करता है? और कर्म फल से मुक्ति किस प्रकार पाए? आदि विषयों पर तो आइए शुरू करते हैं।

कर्म क्या है
(karm kya hai in hindi)


कर्म कोई भी कार्य जिसे आप अभी कर रहे हैं। जैसे खाना, पीना, चलना आदि। मानसिक गतिविधियां जैसे किसी के बारे में अच्छा या बुरा सोचना यह भी कर्म के अंतर्गत ही आता है।

कर्म के प्रकार
(karm ke prakaar in hindi)


हमारे धर्म ग्रंथ में मुख्य रूप से तीन प्रकार के कर्म बताए गए हैं।

  • क्रियमान कर्म (kriyamaan karma)
  • संचित कर्म (sanchit karma)
  • प्रारब्ध कर्म (prabhash karma)


क्रियमान कर्म :- क्रियमान कर्मों से आशय ऐसे कर्मों से हैं जो कर्म हम अभी अर्थात इस जीवन में कर रहे हैं। हमारा सोचना, हमारी दैनिक दिनचर्या में होने वाली गतिविधियां जैसे भोजन करना, नहाना लोगों के प्रति अच्छा या बुरा व्यवहार करना यह सभी क्रियमान कर्म के अंतर्गत आते हैं।

संचित कर्म :- संचित कर्म से आशय हमने हमारे पूर्व जन्मों में जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं। वह सभी कर्म जिनका फल या परिणाम हमें नहीं मिला है। संचित कर्मों के अंतर्गत आते हैं।

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यह एक प्रकार के बैंक खाते के समाने जिसमें आप के पूर्व जन्म के अच्छे या बुरे कर्म संचित रहते हैं।

प्रारब्ध कर्म :- हमारे संचित कर्मों में से ही कुछ कर्म अब जिनका फल या परिणाम हमें मिलने वाला है वह हमारा प्रारब्ध कर्म कहलाता है। 

प्रारब्ध कर्म के अनुसार ही हमारे जन्म कहां, कैसे, किसके यहां होगा, हमारी शादी व मृत्यु कैसे होगी निर्धारित होता है। प्रारब्ध कर्मों को ही हम भाग्य या किस्मत के नाम से जानते हैं।

कर्म का सिद्धांत
(karma ka siddhaant in hindi)


कर्म का सिद्धांत "जैसे को तैसा" के आधार पर कार्य करता है। अगर बड़े-बुजुर्गों की भाषा में कहा जाए तो आपने जैसा बीज बोया है आपको वैसा ही फल भोगने को मिलेगा। अर्थात आप दूसरों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा ही व्यवहार आपके पास लौटकर आता है।

यदि आप दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो इसका फल आपको इस जन्म है या आपके आने वाले जन्म में अच्छा ही मिलेगा। ठीक इसी प्रकार यदि आप दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करते हैं तो कभी ना कभी आपको भी उसके अनुसार बुरा फल प्राप्त होगा।

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कर्म का फल क्रियमान कर्म और प्रारब्ध कर्म दोनों को मिलाकर भी प्राप्त होता है। जब कभी हम सोचते हैं कि इस जन्म में तो हमने बुरा कर्म किया ही नहीं है। हमारे जीवन में इतनी मुसीबत या कष्ट क्यों आ रहे हैं? तो हो सकता है आपने आपके पिछले जन्म में इस प्रकार के कुछ बुरे कर्म किए हो जिसका परिणाम या फल आपको इस जन्म में मिल रहा है।

तो दोस्तों अब आप समझ ही गए होंगे कि कर्म का सिद्धांत किस प्रकार से कार्य करता है।

कर्म फल से मुक्त कैसे हो ?

(Karmafal se mukt kese ho in hindi)?


कर्म फल से मुक्त होने के लिए आपको ऐसे कर्म करना चाहिए जिससे कोई बंधन ना हो तथा नए कार्मिक बंधन ना बने। भगवत गीता की भाषा में कहा जाए तो निष्काम भाव से फल की इच्छा किए बिना सिर्फ अपना कर्तव्य समझकर कर्म करना ही कर्म बंधन से मुक्ति पाने का एकमात्र उपाय है।

कर्मफल से मुक्ति पाने के लिए एक उपाय यह भी है कि आप अपने सभी कर्मो के लिए ईश्वर से प्रार्थना करें कि वह आपको आपके कर्मो के लिए माफ कर दे। साथ ही आपके साथ जो भी लोग बुरा करते हैं उन्हे अपना प्रारब्ध मानकर खुशी से स्वीकर कर ले और सभी लोगों को माफ कर दे।




जैसा कि भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को कहा है कि अर्जुन तुम अपने सभी कर्मों को मुझसे में समर्पित कर दो अर्थात हम अपने अच्छे और बुरे सभी प्रकार के कर्मों को भगवान को समर्पित कर भी कर्म बंधन से मुक्त हो सकते हैं।

आशा करती हूँ कर्म कितने प्रकार के होते हैं और कर्म का सिद्धांत किस प्रकार कार्य करता है (Karma kitne prakar ke hote h or karma ka siddhant kis prakar karay karta he in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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