शिव तांडव स्त्रोत (Shiva Tandava Stotra) की उत्पत्ति, पढ़ने से होने वाले लाभ व हिंदी में अर्थ (shiv taandav strot ki utpatti, padhane se hone waale laabh, hindi mein arth in hindi)

 नमस्कार,


                दोस्तों हमारे हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। आज हम बात करेंगे सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले हमारे भगवान जिन्हें भोलेनाथ कह कर भी पुकारा जाता है उन्हीं भगवान शिव जी के बारे में।

जैसा कि उनका नाम है भोलेनाथ। वह तो हमारे सरल भाव व भक्ति से मात्र एक लोटा जल चढ़ाने, बिल्वपत्र चढ़ाने व धतूरा आदि चढ़ाने पर ही प्रसन्न हो जाते हैं। पर आज के इस लेख में हम बात करेंगे शिव तांडव स्त्रोत के बारे में।

शिव तांडव स्त्रोत क्या है? इसकी रचना किसके द्वारा की गई थी? शिव तांडव स्त्रोत की उत्पत्ति कैसे हुई? शिव तांडव स्त्रोत को पढ़ने के क्या लाभ है? इसमें कुल कितने श्लोक हैं?
Shiva Tandava Stotra


मान्यता है कि शिव जी ने रावण को शिव तांडव के द्वारा स्तुति करने पर आशीर्वाद दिया था कि जो भी भक्त शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करेगा उस पर भगवान शिव की कृपा बनी रहेगी। तो आइए आज के इस लेख में हम जानते हैं शिव तांडव स्त्रोत क्या है? इसकी रचना किसके द्वारा की गई थी? शिव तांडव स्त्रोत की उत्पत्ति कैसे हुई? शिव तांडव स्त्रोत को पढ़ने के क्या लाभ है? इसमें कुल कितने श्लोक हैं? आदि के बारे में। तो चलिए शुरू करते हैं।

शिव तांडव स्त्रोत क्या है ?
(Shiv Taandav strot kya hai in hindi) ?


शिव तांडव स्त्रोत भगवान शिव जी को प्रसन्न करने वाला एक चमत्कारिक स्त्रोत है। जो भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए निर्मित किया गया था। यह छंद तथा अलंकारों से निर्मित एक काव्यात्मक स्तुति है।

शिव तांडव स्त्रोत की रचना किसने की ?
(Who composed the Shiva Tandava Stotra in hindi)?


शिव तांडव स्त्रोत की रचना लंका के राजा बहुत ही विद्वान पंडित रावण के द्वारा शिवजी को प्रसन्न करने के लिए की गई थी। रावण द्वारा रचित शिव तांडव स्त्रोत एक अद्वितीय काव्य रचना है।

शिव तांडव स्त्रोत की रचना क्यों की गई थी ?
(shiv taandav strot kee rachana kyon kee gaee thee in hindi) ?



एक समय की बात है जब शिव भक्त रावण के ह्रदय में कैलाश सहित भगवान शिव को लंका ले जाने की कामना उत्पन्न हुई और रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया। जिससे कि भगवान शिव क्रोधित हो गए। तब भगवान शिव ने रावण के अभिमान व उसके अहंकार को दूर करने के लिए अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को दबाया। जिससे कि रावण का हाथ भी उस केलाश पर्वत के नीचे दब गया।

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इतना बलशाली होने के बाद भी रावण के अनेक प्रयास करने पर भी वह अपने हाथ को उस पर्वत के नीचे से नहीं निकाल सका। जिसके कारण उसके शरीर में पीड़ा व ह्रदय में वेदना उत्पन्न हो गई। तब रावण ने उसी वेदना की अवस्था में तुरंत ही कुछ क्षणों के अंतर्गत शिवजी को प्रसन्न करने के लिए उनकी स्तुति में शिव तांडव स्त्रोत की रचना की थी।

रावण के द्वारा की गई इस स्तुति से भगवान शिव प्रसन्न हो गए और उन्होंने अपने पैर के अंगूठे को पर्वत से हटाकर रावण को कष्ट से मुक्त किया। भगवान शिव ने रावण को यह आशीर्वाद भी दिया कि तुम्हारे द्वारा गाया गया यह स्त्रोत सदा के लिए अजर व अमर रहेगा। तथा जो भी इस शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करेगा उसे मेरी कृपा प्राप्त होगी। शिव तांडव स्त्रोत की रचना के कारण ही शिव जी ने लंका नरेश को रावण की उपाधि से सम्मानित किया था।

शिव तांडव में कुल कितने श्लोक हैं ?
(shiv taandav mein kul kitane shlok hain in hindi) ?


रावण द्वारा रचित भगवान शिव को प्रसन्न करने वाले शिव तांडव स्त्रोत में कुल 17 श्लोक हैं।

शिव तांडव पढ़ने से होने वाले लाभ के फायदे
(Benefits of reading Shiv Tandav in hindi)


  • शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने से होने वाला सबसे प्रमुख लाभ यह है कि उस व्यक्ति को भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

  • शिव तांडव का पाठ करने वाले व्यक्ति को बौद्धिक सुख सुविधाओं जैसे धन,संपदा आदि की प्राप्ति होती है।

  • शनि ग्रह से पीड़ित लोगों को शिव तांडव स्त्रोत करने से शनि से होने वाले कष्टों में आराम मिलता है।

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  • इस स्त्रोत का नियमित पाठ करने से व्यक्ति की वाणी भी सिद्ध होने लगती है।

  • कालसर्प योग अगर कुंडली में हो तो भी शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना फायदेमंद होता है।

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कब करें ?
(shiv taandav strot ka paath kab karen in hindi) ?


शिव तांडव स्त्रोत का पाठ वैसे तो हर समय किया जा सकता है परंतु कुछ विशेष अवसर जैसे सोमवार, श्रावण मास, प्रदोष काल, शिवरात्रि आदि के समय शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना विशेष फलदाई होता है।

इन समयों के अंतर्गत शिव तांडव स्त्रोत का पाठ किया जाए तो शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं व उनकी कृपा जल्दी से प्राप्त की जा सकती है।

शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कैसे करें ?
(shiv taandav strot ka paath kaise karen in hindi) ?


शिव तांडव स्त्रोत का पाठ आप सुबह दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर भगवान शिव जी के चित्र या शिवलिंग के सामने कर सकते हैं। अन्यथा प्रदोष काल के समय भी शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। भगवान शिव जी के चित्र के सामने घी या तेल का दीपक जलाकर उन्हें धूप, दीप व नैवेद्य जरूर अर्पित करें।


शिव तांडव स्त्रोत की एक काव्यात्मक रचना है इसलिए शिव तांडव स्त्रोत का पाठ गाकर करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिवजी से अपनी मनोकामना बोलकर शिवजी की आरती करे व प्रसाद को सभी लोगों में बाट दे।

शिव तांडव स्त्रोत का हिंदी में अर्थ
(shiv taandav strot ka hindee mein arth in hindi)


  • हे शिवजी! आपने अपनी जटाओं में माता गंगा, गले में सर्पों की लटकती हुए विशाल माला को धारण किया है। आपने ही डमरु की डम-डम ध्वनि पर तांडव नृत्य किया है। वे शिव शम्भु हमारे कल्याण का विस्तार करे।

  • जिन शिवाजी की जटाओं पर गंगा जी चंचल-तरंग व लताओं से शुशोभित हो रही हैं और उनके तीसरे नेत्र में अग्नि जल रही है। साथ ही उनके शीश पर चंद्रमा विराजमान हैं। उन भगवान शिव मे मेरा निरन्तर अनुराग हो।

  • जिन माता पार्वती के द्वारा समस्त दिशाओं को प्रकाशित होते देख जिनका मन आनंदित रहा है जिनकी कृपा दृष्टि से कठिन आपत्ति का भी निवारण हो जाता हैं। ऐसे दिगंबर तत्व में मेरा मन विनोद करे।

  • जिनके मुख पर भुजंगों  के द्वारा कुमकुम राग का अनुलेपन हो रहा है। व जिन्होंने मतवाले हाथी का चमड़े का चादर धारण किया हुआ है। ऐसे भूतनाथ में मेरा चित्त विनोद करें।

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  • जिनकी चरण पादुका इंद्र आदि देवताओं के सिर कुसुमों की धूलि से धूसरित हो रही है जिन्होंने नागराज अर्थात शेषनाग के हार से अपनी जटाओं को बाँध रखा है। ऐसे भगवान चंद्रशेखर मेरे लिए चिर स्थानीय संपत्ति के साधक हो।

  • जिन भगवान शिव ने अपने मस्तक पर प्रज्वलित हुई ज्वाला से ही कामदेव को नष्ट कर डाला था। जिन्हें इंद्र आदि देवता भी नमस्कार किया करते हैं। चंद्रमा की कला से सुशोभित मुकुट वाले व विशाल मष्तक वाले भगवान शिव हमारी संपत्ति के साधक हो।

  • जिन्होंने अपने ललाट की अग्नि से कामदेव की आहुति दे दी थी। जिन गिरिराज किशोरी के स्तनों पर पत्रभंगरचना करने के एकमात्र शिल्पकार भगवान शिव में मेरी धारणा लगी रहे।

  • जिन भगवान शिव के कंठ में अमावस्या की रात के समान श्यामता अंकित है जो की गजचर्म लपेटे हुए हैं। संसार के भार को धारण करने वाले चंद्रमा से मनोहर क्रांति वाले भगवान शिव मेरी संपत्ति का विस्तार करे।

  • जिनका कंठ खिले हुए नीलकमल के समान सुशोभित हो रहा हैं जो कामदेव, त्रिपुर, संसार, दक्ष-यज्ञ, गजासुर अंधकासुर और यमराज का भी उच्छेदन करने वाले है ऐसे भगवान शिव को मैं भजता हूं।

  • जो अभिमान रहित पार्वती जी की कला और उनके माधुर्य का पान करने वाले हैं तथा कामदेव, त्रिपुर, संसार, दक्ष-यज्ञ, गजासुर अंधकासुर और यमराज का भी अंत करने वाले हैं। उन्हें मैं प्रणाम करता हूं।

  • जिनके मस्तक पर भुजंग के फूक मारने पर ललाट पर स्तिथ अग्नि क्रमशः धधकती हुई फैल रही हैं व मृदंग के धीमे-धीमे बजते हुए जो प्रचंड तांडव नृत्य कर रहे हैं। ऐसे भगवान शिव की जय हो।

  • पत्थर और सुंदर बिछोने में, सर्प और मोतियों की माला में, बहुमूल्य रत्न एवं मिट्टी के ढ़ेले में, मित्र या शत्रु पक्ष में,  प्रजा और पृथ्वी के सम्राट सब में जो समान भाव रखते हैं। ऐसे भगवान शिव को मैं भजता हूं।

  • सुंदर ललाट वाले भगवान चंद्रशेखर में दत्तचित्त होकर अपने कुविचारों को त्याग कर गंगाजी तटवर्ती निकुंज के भीतर रहता हुआ व सिर पर हाथ जोड़कर, नेत्रों में आंसू लिए में कब शिव मंत्र का उच्चारण करते हुए सुखी हो पाऊंगा।

  • जो मनुष्य इस उत्तम स्त्रोत का नित्य पाठ, स्मरण व वर्णन करता है  वह सदा शुद्ध होता है व शीघ्र ही श्री शंकर जी की भक्ति को प्राप्त कर लेता है। वह दुर्गति को प्राप्त नहीं होता हैं। क्योंकि शिवजी का चिंतन प्राणी वर्ग के मोह का नाश करने वाला होता है।


  • सायंकाल के समय पूजा की समाप्त होने पर रावण द्वारा गाए गये इस शिव तांडव स्त्रोत का जो भी पाठ करता है  भगवान शिव उस मनुष्य को रथ, हाथी, घोड़ों से युक्त सदा स्थिर रहने वाली अनुकूल संपत्ति या स्थिर लक्ष्मी प्रदान करते हैं।

  • रावण द्वारा रचित शिवजी को प्रसन्न करने वाला शिव तांडव स्त्रोत की यहां पर समाप्त होता है।

आशा करती हूं शिव तांडव स्त्रोत (Shiva Tandava Stotra) की उत्पत्ति, पढ़ने से होने वाले लाभ व हिंदी में अर्थ (shiv taandav strot ki utpatti, padhane se hone waale laabh, hindi mein arth in hindi) आपको हमारी यह जानकारी पसंद आयी होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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