सालासर बालाजी (Salasar Balaji Rajsthan) मंदिर राजस्थान से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तार से (salasar balaji mandir rajasthan se judi sampoorn jaanakaari vistaar se in hindi)

 नमस्कार,


               दोस्तों हमारे भारत में अनेक प्राचीन मंदिर अपने कुछ विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। आज हम राजस्थान के एक ऐसे ही चमत्कारी व अद्भुत मंदिर की बात करेंगे जहां पर हनुमान जी महाराज बालाजी के रूप में अपनी दाढ़ी व मूछों के साथ विराजमान हैं।

जी हां दोस्तों में बात कर रही हूं राजस्थान के प्रसिद्ध बालाजी मंदिर सालासर बालाजी के बारे में। हनुमान जी के अतुलनीय बलशाली होने के कारण उन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है।

राजस्थान में बालाजी के नाम से दो मुख्य मंदिर स्थित है। पहला जिसे मेहंदीपुर बालाजी के नाम से जाना जाता है, जो कि नकारात्मक शक्तियों को दूर करने हेतु प्रसिद्ध मंदिर है। और दूसरा सालासर बालाजी का मंदिर।

आइए जानते हैं सालासर बालाजी मंदिर से जुड़ी कुछ जानकारियों के बारे में।

सालासर बालाजी धाम कहां स्थित है?
(Where is Salasar Balaji Dham located)?


सालासर बालाजी मंदिर राष्ट्रीय राजमार्ग 65 के नजदीक राजस्थान के चुरू जिले के अंतर्गत सुजानगढ़ तहसील से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आज से लगभग 252 साल पहले श्रावण शुक्ल नवमी दिन शनिवार को हनुमान जी महाराज के बालाजी स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा इस मंदिर में हुई थी।

सालासर बालाजी महाराज की मूर्ति का स्वरूप
(Salasar Balaji miahaaraaj kee moorti ka svaroop in hindi)


बालाजी महाराज की प्रतिमा सन 1754 ई. में 18 वी शताब्दी में  आसौदा गांव के एक खेत से चमत्कारिक रूप से प्राप्त की गई थी। विश्व में यह एकमात्र मंदिर है जहां भगवान हनुमान जी दाढ़ी व मूछों के साथ विराजमान हैं।

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मान्यता के अनुसार हनुमान जी ने अपने भक्त मोहनदास को अपने इसी दाढ़ी व मूछ वाले स्वरूप में दर्शन दिए थे। भक्त मोहन दास की इच्छा अनुसार ही भगवान बालाजी यहां दाढ़ी मूछ वाले स्वरूप में विराजमान है।



बालाजी महाराज की मुख्य प्रतिमा यहां पर शालिग्राम पत्थर की है।  यहां पर बालाजी महाराज सोने के सिंहासन पर विराजमान है। भगवान सालासर बालाजी के सिर पर सोने व रत्नों से जड़ा भव्य मुकुट है। भगवान बालाजी के सिंहासन के चारों ओर सोने व चांदी से सजावट की गई है।

बालाजी की प्रतिमा के ऊपर 5 किलोग्राम सोने से सुशोभित स्वर्ण छत्र भी स्थित है। भगवान बालाजी के ऊपर श्री राम दरबार भी सजा हुआ है। बालाजी मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर माता अंजनी का मंदिर भी स्थित है।

सालासर बालाजी मंदिर की स्थापना की कथा
(Salasar Balaji mandir kee sthaapana kee katha in hindi)


मान्यताओं के अनुसार हनुमानजी के एक बहुत ही प्रिय भक्त जिनका नाम संत मोहनदास जी महाराज था। बालाजी जी ने उन्हें मूर्ति के रूप में विराजमान होने का वचन स्वप्न में दिया। असोटा गांव में एक जाट अपने खेतों में हल चला रहा था। तब उसके हल की नोक एक कठोर वस्तु से टकरा गई। उस व्यक्ति ने जब देखा तो वहां पर एक पत्थर निकला जिसमे बालाजी की तस्वीर बनी हुई थी।

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जब यह मूर्ति प्रकट हुई उस समय जाट की पत्नी उसके लिए खाने में बाजरे का चूरमा लेकर आई थी। तब उस जाट ने सबसे पहले बालाजी की मूर्ति को चूरमे का भोग लगाया था। तब से लेकर आज तक सालासर बालाजी मंदिर में चूरमे का भोग लगता है।

मान्यता के अनुसार जिस दिन यह मूर्ति प्रकट हुई उस दिन बालाजी ने असोटा गांव के ठाकुर साहब को सपने में मूर्ति को सालासर ले जाने के लिए कहा। बालाजी ने संत मोहनदास जी को भी सपने में यह कहा कि जिस बैलगाड़ी से यह मूर्ति सालासर पहुंचेगी जब यह बैलगाड़ी खुद रुक जाए वहां पर इस मूर्ति की स्थापना कर देना  संत मोहन दास जी ने सपने में मिले निर्देश अनुसार ही कार्य किया।

सालासर बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य
(Salasar Balaji Mandir se jude rahasy in hindi)


मान्यताओं के अनुसार मंदिर के अंदर उपस्थित प्राचीन कुएं के जल में स्नान करने से अनेक रोगों व कष्टों से मनुष्य को मुक्ति मिलती है। मंदिर के अंदर एक अखंड ज्योत भी जलती है। कहा जाता है कि हनुमानजी के भक्त मोहनदास जी ने यहां पर एक धूनी जलाई थी। जो आज भी  यहा प्रज्वलित है।

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भक्त मोहन दास ने अपनी बहन की मृत्यु के पश्चात यहां पर जीवित समाधि ले ली थी। जो आज भी मंदिर परिसर में उपलब्ध है। इसके साथ ही यह मान्यता भी है कि हर दिन चिड़ियों का समूह आरती शुरू होने के साथ यहां आता है, व आरती खत्म होने के बाद चला जाता है। कहते हैं कि यह चिड़िया भी बालाजी की आरती करने के लिए यहां पर उपस्थित होती है।

चैत्र मास (अप्रैल) की पूर्णिमा व अश्विन मास (अक्टूबर) पूर्णिमा को यहां पर मेले का आयोजन होता है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण यहां पर आते हैं। 

मंदिर में चढ़ने वाला प्रसाद
(mandir mein chadhane vaala prasaad in hindi)


सालासर बालाजी हनुमान मंदिर में विशेष रुप से बाजरे के चूरमे का भोग लगाया जाता है। इसके अलावा गुड़- चना, बेसन के लड्डू, मोतीचूर के लड्डू, बूंदी के लड्डू, पेड़े आदि चीजों का भोग भी लगाया जाता है। 

सालासर मंदिर में सवामणी प्रसाद का प्रचलन बहुत दिनों से चला आ रहा है। सवामणी अर्थात 50 किलो प्रसाद। यहां पर सवामणी प्रसाद चढ़ाने की मान्यता है। यह प्रसाद बालाजी को चढ़ाने के पश्चात भक्तों में बांट दिया जाता है।

सालासर बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे?
(Salasar Balaji mandir kaise pahunche in hindi)?


सालासर पहुंचने के लिए आप बस,ट्रेन याहवाई मार्ग का साधन अपना सकते हैं। सालासर पहुंचने के लिए सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन सुजानगढ़ (26 किलोमीटर) रतनगढ़ (50 किलोमीटर) और सीकर है। 


सालासर पहुंचने के लिए नजदीकी हवाई अड्डा जयपुर है जो कि 185 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग जयपुर बीकानेर हाईवे पर बस या अन्य किसी साधन द्वारा आप सालासर बालाजी हनुमान जी के दर्शन कर सकते हैं।

सालासर बालाजी धाम में रुकने को ठहरने की व्यवस्था

श्री सालासर बालाजी के मंदिर के आसपास रुकने के लिए आपको कई होटल व धर्मशाला मिल जाती है  जहां आप अपनी आवश्यकता के अनुसार कमरे का चयन कर सकते हैं। 

आशा करती हूं सालासर बालाजी (Salasar Balaji Rajsthan) मंदिर राजस्थान से जुड़ी संपूर्ण जानकारी विस्तार से पर यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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