नमस्कार,
दोस्तों आज हम सुरों की देवी माता सरस्वती के बारे में बात करेंगे। आपने घर में लोगों को अक्सर यह कहते सुना होगा कि हमें हमेशा शुभ या अच्छा ही बोलना चाहिए।
क्योंकि दिन भर में एक बार या 24 घंटे में एक बार मां सरस्वती आपकी जिव्हा पर जरूर बैठती है और उस समय बोला गया आपका वाक्य या शब्द सच हो जाता है। इसलिए हमें हमेशा अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
आज के इस लेख में हम माता सरस्वती को प्रसन्न करने की पूजन विधि व उस समय के बारे में जानेंगे जब माता सरस्वती हमारी मनोकामना को पूरा करती है। तो आइए चलिए शुरू करते है।
मां सरस्वती जिन्हें विद्या, बुद्धि व सुरों की देवी भी कहा जाता है। माता सरस्वती ही है जो मनुष्य को मनुष्य के लिए सबसे आवश्यक वस्तु जो कि ज्ञान है वह प्रदान करती है।
माता सरस्वती की उत्पत्ति की पौराणिक कथा
(maata sarasvatee kee utpatti kee pauraanik katha in hindi)
मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्यों की रचना की। इसके बाद ब्रह्मा जी को यह एहसास हुआ कि अभी भी प्रकृति में कुछ अपूर्णता है। तब ब्रह्माजी ने भगवान विष्णु की अनुमति से एक चतुर्भुज स्वरूप स्त्री जिसे हम माता सरस्वती के नाम से जानते हैं उनकी रचना की।
मां सरस्वती का स्वरूप
(maan sarasvatee ka svaroop in hindi)
माता सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं। माता सरस्वती के एक हाथ में वीणा दूसरा हाथ वर मुद्रा लिए हुए हैं। मां सरस्वती के अन्य दो हाथों में क्रमशः पुस्तक व माला है। मां सरस्वती हंस पर विराजमान है।
माता सरस्वती ने ही पृथ्वी पर अपनी वीणा के द्वारा ध्वनि का संचार किया था। माता सरस्वती ने जैसे ही वीणा के तारों को छुआ तो सर्वप्रथम "स" ध्वनि का संचार हुआ। जो कि संगीत के सात सुरों में सर्वप्रथम सुर है।
इस प्रकार ब्रह्मा जी द्वारा रचित मूक संसार में शब्दों व ध्वनि का संचार हुआ। तथा पशु-पक्षियों व मनुष्यों को वाणी मिल गई। नदियां भी संगीतमय कल-कल की ध्वनि द्वारा प्रवाहित होने लगी। जिससे ब्रह्माजी अत्यधिक प्रसन्न हुए। ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती को वाणी की देवी के नाम से संबोधित करते हुए बागेश्वरी नाम प्रदान किया।
दोस्तों पुराणों के अंतर्गत माता सरस्वती माता सरस्वती को श्वेत कमल या हंस पर विराजमान बताया है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि 24 घंटे में एक बार माता सरस्वती मनुष्य की जिह्वा पर विराजमान होती है।
दोस्तों पुराणों के अंतर्गत माता सरस्वती माता सरस्वती को श्वेत कमल या हंस पर विराजमान बताया है। मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि 24 घंटे में एक बार माता सरस्वती मनुष्य की जिह्वा पर विराजमान होती है।
इस दौरान बोला गया कोई भी शब्द या वाक्य जो सकारात्मक या नकारात्मक हो सत्य हो जाता है। इसीलिए घर में लोगों को बुरे या अपशब्द कहने से मना किया जाता है।
लोगों का मानना है कि क्या पता कब हमारी जुबान पर माता सरस्वती बैठ जाए और हमारा कहा हुआ वाक्य सत्य हो जाए। इसलिए हमें भी हमेशा अच्छे व सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।
लोगों का मानना है कि क्या पता कब हमारी जुबान पर माता सरस्वती बैठ जाए और हमारा कहा हुआ वाक्य सत्य हो जाए। इसलिए हमें भी हमेशा अच्छे व सकारात्मक शब्दों का इस्तेमाल करना चाहिए।
एक मान्यता के अनुसार रात को 3:10 मिनट से लेकर रात के 3:15 तक माता सरस्वती के जीव्हा पर बैठने का सर्वोत्तम समय माना गया है इन 5 मिनट में के बीच बोली के कोई भी बात अवश्य सिद्ध होती है।
माता सरस्वती की पूजन विधि
(maata sarasvatee kee poojan vidhi in hindi)
सरस्वती मां का सच्चे मन से पूजन करने पर माता सरस्वती अपने भक्तों पर जरूर प्रसन्न होती है और उस व्यक्ति को विद्या और बुद्धि की प्राप्ति होती है। सरस्वती पूजन के समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा या चित्र को सामने रखें। इसके बाद कलश स्थापित करके श्री गणेश व नवग्रहों की विधिवत पूजन व स्मरण करें।
इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करते हुए आचमन व स्नान कराने के पश्चात अक्षत, पुष्प, रोली व चंदन आदि अर्पित करते हुए धूप, दीप व नैवेद्य चढ़ाएं।
हमारे शास्त्रों में माता सरस्वती के पूजन के लिए बसंत पंचमी का दिन सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सरस्वती वंदना गाकर माता सरस्वती की आरती करें।
आशा करती हूं मां सरस्वती की उत्पत्ति की पौराणिक कथा उनका स्वरूप व पूजन विधि पर (ma saraswati ki utpatti ki pauraanik katha, unaka svaroop, poojan vidhi in hindi) आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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