नमस्कार,
दोस्तों हम सभी गायत्री मंत्र से भलीभांति परिचित हैं। हम सभी ने कभी न कभी गायत्री मंत्र का पाठ जरूर किया होगा। जिस प्रकार गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन किया जाता है, ठीक उसी प्रकार माता गायत्री की चालीसा को पढ़ने से भी चमत्कारिक लाभ होते हैं। आज के इस लेख में हम माता गायत्री जी की चालीसा और गायत्री मंत्र के बारे में जानेंगे।![]() |
माता गायत्री |
वेदों में माता गायत्री की शक्ति को ही प्राण, आयु, शक्ति, तेज कीर्ति,व धन को देने वाली माना गया है। गायत्री मंत्र को वेदों में महामंत्र कहा गया है। जो आपके शरीर की अनेक शक्तियों को जागृत करने की ताकत रखता है।
गायत्री जी की साधना शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व भौतिक वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ है। गायत्री मंत्र में प्रयुक्त होने वाले 24 अक्षर 24 देव शक्तियों के प्रतीक हैं। जिनके नाम निम्नानुसार हैं।
- श्री गणेश
- श्री नरसिंह भगवान
- श्री विष्णु भगवान
- भगवान शिव
- भगवान कृष्ण
- राधा जी
- मां लक्ष्मी
- अग्नि देव
- इंद्र देव
- मां सरस्वती
- मां दुर्गा
- हनुमान जी
- माता पृथ्वी
- सूर्य देव
- भगवान राम
- माता सीता
- चंद्रमा
- यम
- भगवान ब्रह्मादेव
- वरुण देव
- भगवान नारायण
- भगवान हेग्रीव
- हंस
- तुलसी
गायत्री चालीसा के बारे में जानकारी
(Gaytri chalisa k bare me jankari in hindi)
गायत्री चालीसा जैसा कि नाम से ही ज्ञात हो गया हैं, चालीसा 40 पदों से मिलकर बनी होती है इसलिए गायत्री चालीसा में भी 40 पद होते हैं। गायत्री चालीसा में माता गायत्री का वर्णन किया गया है। माता गायत्री का वर्णन ऋग्वेद में भी मिलता है।
माँ गायत्री का स्वरूप
(Ma gaytri ka swroop)
माता गायत्री को बुद्धि व विवेक की देवी माना गया है। माता गायत्री को श्वेत वस्त्र पहने हुए हैं व हंस पर विराजमान हैं। माता गायत्री अपने हाथों में पुस्तक, पुष्प कमंडल व माला को धारण किये हुए है। इनका वर्ण श्वेत अर्थात गोरा हैं व नयन विशाल आकार के हैं।
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माता गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी कहा गया है। मां गायत्री को सभी वेदों की जननी व माता का स्थान प्राप्त है। माता गायत्री को माता सविता के नाम से भी जाना जाता है। गायत्री चालीसा में माता के स्वरूप का वर्णन उनकी पूजा से मिलने वाले फल आदि का वर्णन किया गया है।
गायत्री मंत्र की महिमा
(Gaytri mantr ki mahima in hindi)
गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन सदियों से ऋषि मुनि करते आ रहे हैं। गायत्री मंत्र ऋग्वेद में उपस्थित ऋचाओ का ही एक भाग हैं। गायत्री मंत्र में 24 अक्षर होते हैं। गायत्री मंत्र 24 अक्षर का बहुत ही चमत्कारी व प्रभावशाली मंत्र है।
गायत्री मंत्र को गुरु मंत्र भी कहा जाता है। गायत्री मंत्र को ऋग्वेद के तीसरे मंडल के 62 वे सूत्र का 10 वा श्लोक से लिया गया है। इसकी रचना ऋषि विश्वामित्र ने की है।
गायत्री मंत्र
(Gayatri Mantra in hindi)
ॐ भूभुर्व: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।।
गायत्री मंत्र का अर्थ
(Meaning of Gayatri Mantra in hindi)
ॐ :- सर्वशक्तिमान परमात्मा
भूर :- मनुष्य को प्राण प्रदान करने वाले
भुव: :- दुखों का नाश करने वाले
स्व: :- सुख प्रदान करने वाली
तत् :- वह
सवितुर :- सूर्य की भांति प्रकाशमान या उज्जवल
वरेण्यम :- सबसे उत्तम
भर्गो :- कर्मों का उद्धार करने वाले
देवस्य: :- प्रभु
धीमहि :- आत्म चिंतन के योग्य
धियो :- बुद्धि
यो :- जो
न: :- हमारी
प्रचोदयात :- शक्ति दे
अर्थात हे प्रभु आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुखों व कष्टों का निवारण करने वाली हैं। आप हमें सुख व शांति प्रदान करने वाली है। हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम अपनी उर्जा से शक्ति प्राप्त कर सके। कृपा करके हमारी बुद्धि को सही मार्ग दिखाइए।
भर्गो :- कर्मों का उद्धार करने वाले
देवस्य: :- प्रभु
धीमहि :- आत्म चिंतन के योग्य
धियो :- बुद्धि
यो :- जो
न: :- हमारी
प्रचोदयात :- शक्ति दे
अर्थात हे प्रभु आप हमारे जीवन के दाता हैं। आप हमारे दुखों व कष्टों का निवारण करने वाली हैं। आप हमें सुख व शांति प्रदान करने वाली है। हे संसार के विधाता हमें शक्ति दो कि हम अपनी उर्जा से शक्ति प्राप्त कर सके। कृपा करके हमारी बुद्धि को सही मार्ग दिखाइए।
गायत्री मंत्र व गायत्री चालीसा से होने वाले लाभ
(Gaytri mantr and gaytri chalisa se hone wale labh in hindi)
• माता गायत्री को बुद्धि की देवी कहा गया है इसलिए गायत्री मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति की बुद्धि तीव्र व कुशाग्र होती है।
• गायत्री चालीसा व गायत्री मंत्र के जप से व्यक्ति के रोग नष्ट होते हैं।
• गायत्री मंत्र का पाठ करने से व्यक्ति को आलस्य नहीं आता है।
• गायत्री चालीसा व गायत्री मंत्र का जाप करने से दरिद्रता का नाश होता है।
• गायत्री मंत्र व गायत्री चालीसा के प्रभाव से व्यक्ति सुकर्मों अर्थात अच्छे कर्मों को करने की बुद्धि को प्राप्त करता है।
गायत्री मंत्र का जप करने से क्या होता है?
(Gaytri mantr ka jap karne se ky hota he in hindi)
यदि आप माता गायत्री के गायत्री मंत्र की रोजाना 21 माला का जप करते हैं तो उससे आपके शरीर के चारों ओर उपस्थित आभामंडल शुद्ध होता है। गायत्री मंत्र का जप करने से रोग तथा नकारात्मक विचार आपसे दूर हो जाते हैं, साथ ही व्यक्ति की प्रगति के रास्ते खुलने लगते हैं।
गायत्री मंत्र का वैज्ञानिक रहस्य
(Gaytri mantr ka wegyanik rahasy in hindi)
एम्स(AIMS) की रिपोर्ट के अनुसार जो व्यक्ति गायत्री मंत्र को पढ़ते हैं उनका बौद्धिक स्तर बढ़ जाता है साथ ही मस्तिष्क की सक्रियता का स्तर भी बढ़ जाता है।
वैज्ञानिकों ने भी गायत्री मंत्र को बुद्धि को बढ़ाने वाला मंत्र बताया है। एम्स (AIIMS) के डॉक्टर आईआईटी (IIT) के वैज्ञानिकों ने रिसर्च करके यह पता लगाया है कि हर दिन कुछ मिनटों तक गायत्री मंत्र का जाप करने से बौद्धिक क्षमता का अनंत विस्तार किया जा सकता है। AIIMS ने MRI मशीन जो कि दिमाग की क्षमता को नापती है जिसमें गायत्री मंत्र पढ़ने वालों का बौद्धिक स्तर गायत्री मंत्र न पढ़ने वालों के बौद्धिक स्तर से अधिक पाया गया है।
गायत्री उपासना की विधि
(Gaytri upasana ki vidhi in hindi)
गायत्री उपासना के लिए सबसे पहले अपने दैनिक कर्मों से निवृत्त होकर, स्नान कर, शरीर को शुद्ध करने के बाद किसी भी आसन पर सुख आसन लगाकर बैठ जाएं। गायत्री जी का चित्र सामने रखे। उसके बाद पवित्रीकरण, आचमन, शिखाबंधन, प्राणायाम व न्यास करने के बाद माता गायत्री के चित्र पर चंदन, अक्षत व सफेद, पुष्प की माला गायत्री जी को समर्पित करें।
उसके बाद धूप, दीप व नैवेद्य अर्पित करें। उसके पश्चात गायत्री चालीसा व गायत्री मंत्र का कम से कम 24 बार जब अवश्य करें।
आशा करती हूं गायत्री चालीसा व गायत्री मंत्र ( Gayatri Chalisa and Gayatri Mantra in hindi) पर आपको हमारी जानकारी पसंद आई होगी कृपया इसे शेयर जरूर करें।
धन्यवाद।
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