नमस्कार,
दोस्तों आज हम एक विश्व के सुप्रसिद्ध मंदिर जिसकी ख्याति देश से लेकर विदेश तक फैली हुई है के बारे में बात करेंगे। आज हम तिरुपति बालाजी जो कि एक अद्भुत मंदिर होने के साथ-साथ रहस्यमई मंदिर भी है कि बारे में बात करेंगे।
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे चमत्कारिक व रहस्यमई मंदिरों में से एक है। तिरुपति बालाजी मंदिर में गरीब व अमीर दोनों ही बड़ी श्रद्धा पूर्वक यहां अपनी मनोकामना को लेकर भगवान बालाजी के सामने शीश झुकाने के लिए आते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व के सबसे अमीर मंदिरों की गिनती में शामिल है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से बालाजी भगवान के दर पर प्रार्थना करते हैं, बालाजी भगवान उनकी सभी मनोकामनाएं को जरूर पूरा करते हैं। मनोकामना पूरी होने पर भक्त यहां पर अपनी श्रद्धा के अनुसार यहां दान या चढ़ावा चढ़ाते हैं या अपने बालों का दान करते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ निवास करते हैं। श्री रामानुज ने यहां पर स्थित सात पहाड़ियों में सातवीं पहाड़ी वेंकेटवरी की पहाड़ी पर चढ़ाई कर भगवान तिरुपति बालाजी का आशीर्वाद प्राप्त किया था। रामानुज भगवान के आशीर्वाद से लगभग 112 वर्षों तक जीवित रहे।
ऐसा माना जाता है कि तिरुपति बालाजी के गर्भ गृह में जो मूर्ति है उसे किसी ने नहीं बनवाया है बल्कि यह मूर्ति स्वयंभू अर्थात स्वयं प्रकट हुई है। भगवान विष्णु की काले रंग की यह मूर्ति देखने में बहुत ही भव्य, विशाल व आकर्षक हैं। मूर्ति को देखने पर ऐसा प्रतीत होता है मानो भगवान तिरुपति बालाजी (विष्णु) हमारे सामने खड़े हैं। यह मूर्ति इतनी वास्तविक प्रतीत होती है।
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Tirupati Balaji |
तिरुपति बालाजी मंदिर विश्व के सबसे अमीर मंदिरों में से एक हैं। इस मंदिर में चढ़ने वाले पैसों की गिनती के लिए पैसे गिनने वाली मशीन का उपयोग किया जाता है। साथ ही यहां पर पैसो को गिनने के लिए 50 से अधिक कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। यहां पर भगवान तिरुपति बालाजी की आठ करोड़ रुपए फीस डिपॉजिट किए गए हैं। जिसके ब्याज से ही मंदिर का खर्च निकल जाता है।
आइये अब जानते हैं तिरुपति बालाजी मंदिर कहां है? तिरुपति बालाजी के अन्य नाम क्या है? तिरुपति बालाजी मंदिर के अनसुलझे रहस्य क्या है? मंदिर जाने व ठहरने की क्या व्यवस्था है? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर कहां है?
( Tirupati Balaji Mandir kaha h in hindi)?
तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के दक्षिण में स्थित प्रमुख मंदिरों में से एक हैं। तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर समुद्र तल से 3200 फीट की ऊंचाइयों पर स्थित है।
तिरुमला की पहाड़ियों पर स्थित तिरुपति बालाजी अर्थात भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए देश-विदेश से करोड़ों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर द्रविड़ शैली का एक उत्तम उदाहरण प्रस्तुत करता है।
तिरुपति बालाजी के अन्य नाम
(Tirupati Balaji k anay naam in hindi)
भगवान तिरुपति बालाजी को भक्त अन्य कई नामों से भी जानते हैं। भगवान तिरुपति बालाजी को श्रीनिवास, श्री विष्णु, वेंकटेश्वर व गोविंदा के नाम से भी जाना जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़े रहस्य
(Tirupati Balaji mandir se jude rahasya in hindi)
तिरुपति बालाजी मंदिर एक अदभुत होने के साथ-साथ कई प्रकार के रहस्य से भी भरा पड़ा है। आज हम आपको इस लेख के अंतर्गत भगवान तिरुपति बालाजी के मंदिर से जुड़े रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइये शुरू करते हैं।
भगवान की मूर्ति के असली बाल :- जी हां दोस्तों मंदिर में जो तिरुपति बालाजी की मूर्ति है, उस पर जो बाल है वह असली है। यह बाल रेशमी व मुलायम है। भगवान की मूर्ति के बाल आपस में कभी भी नहीं उलझते है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोगों का मानना है कि यहां पर भगवान की मूर्ति नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु विराजमान है।
मूर्ति से आवाज आना :- तिरुपति बालाजी मंदिर के पुजारियों का मानना है कि मूर्ति के पास यदि कान लगाकर ध्यान से सुना जाता है तो मूर्ति में से समुद्र की लहरों की तरह आवाज आती है। जो कि किसी रहस्य से कम नहीं है।
मंदिर की छड़ी :- ऐसी मान्यता है कि बाल्यावस्था में भगवान तिरुपति बालाजी की माता द्वारा उनकी पिटाई की गई थी। जिसके कारण उनकी ठुड्डी में चोट लग गई थी। मंदिर के बाहर रखी छड़ी वही छड़ी है, जिससे की भगवान बालाजी की पिटाई की गई थी।
भगवान बालाजी के घाव को भरने के लिए प्रति शुक्रवार को भगवान की ठुड्डी पर चंदन का लेप लगाया जाता है। ताकि भगवान की ठुड्डी पर लगी चोट या घाव भर सकें।
अखंड ज्योति :- आमतौर पर जिन मंदिरों में अखंड ज्योति जलती है वहां पर दीए में तेल या घी का प्रयोग किया जाता है। परंतु तिरुपति बालाजी के मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति में ना तो किसी प्रकार का तेल डाला जाता है और ना ही किसी प्रकार का घी।
यह कोई नहीं जनता की मंदिर में जलने वाली अखंड ज्योति कब से चल रही है वह इसे किसने जलाया है।
मूर्ति की स्थिति :- भगवान तिरुपति बालाजी के मंदिर में मूर्ति की स्थिति भी विवादास्पद है। यदि गर्भ गृह से मूर्ति को देखा जाता है तो ऐसा प्रतीत होता है कि मूर्ति गर्भ गृह में एकदम बीच (मध्य) में स्थित है। परंतु गर्भ गृह से बाहर निकलकर मूर्ति को देखने पर मूर्ति दाई और स्थित प्रतीत होती है।
पचाई कपूर लगाना :- पचाई कपूर एक प्रकार का कपूर होता है वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी पत्थर पर यदि पचाई कपूर को लगाया जाता है तो वह पत्थर चटक जाता है। किंतु तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी की मूर्ति पर पचाई कपूर लगाने के पश्चात भी मूर्ति को किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचती है। जो कि किसी रहस्य से कम नहीं है।
ह्रदय में लक्ष्मी जी का वास :- प्रत्येक गुरुवार को भगवान बालाजी का श्रंगार उतारकर उनके संपूर्ण शरीर पर चंदन का लेप लगाया जाता है। बालाजी के शरीर पर जब चंदन का लेप हटाया जाता है तो उनके ह्रदय पर स्थित चंदन के लेप में माता लक्ष्मी की आकृति निर्मित हो जाती है। जो इस बात की ओर संकेत करती है कि भगवान तिरुपति बालाजी के ह्रदय में माता लक्ष्मी जी वास करती हैं।
पसीना आना :- मंदिर के गर्भ गृह का तापमान अत्यंत ठंडा रखने के बाद भी मूर्ति का तापमान 110 ०F तक बना रहता है। यही नहीं मूर्ति के पीछे का हिस्सा हमेशा नम बना रहता है। जिसे पुजारी जी समय-समय पर पोछते रहते हैं। लोगों की मान्यता है कि यह पानी की बूंदे नहीं बल्कि भगवान तिरुपति बालाजी को आने वाला पसीना है।
तुलसी व पुष्प को कुएं में डालना :- भगवान तिरुपति बालाजी को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए यहां पर भी भगवान को तुलसी चढ़ाने का रिवाज है। चढ़ाए गए तुलसी वह पुष्प को यहां पर मंदिर से बाहर न लाकर मंदिर के पीछे स्थित कुएं में बिना देखे विसर्जित कर दिया जाता है। डाले गए पुष्प व तुलसी पत्र को पीछे पलट कर देखना अपशकुन माना जाता है।
श्रृंगार :- तिरुपति बालाजी का श्रंगार भी अद्भुत होता है तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान को नीचे दोस्ती के ऊपर शायरी का श्रंगार किया जाता ऐसी मान्यता है कि तिरुपति बालाजी लक्ष्मी जी के साथ ही निवास करते हैं।
तिरुपति बालाजी में रहने व ठहरने की व्यवस्था :-
(Tirupati Balaji me rahne w thahrne ki vyawastha):-
तिरुपति बालाजी मंदिर के पास रहने व ठहरने के लिए कई सारी होटल एवं धर्मशाला उपस्थित हैं। जो यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। कुछ धर्मशाला निशुल्क भी यहां पर उपलब्ध है। यहां पर कमरे ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों तरह से आप बुक कर सकते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे :-
तिरुपति बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे :-
(Tirupati Balaji Mandir kese pahuche) :-
यदि आप ट्रेन के द्वारा तिरुपति बालाजी मंदिर तक पहुंचना चाहते हैं तो सीधे ट्रेन से तिरुपति बालाजी तक आप जा सकते हैं। यह चेन्नई से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां के लिए आपको चेन्नई, हैदराबाद तथा बेंगलुरु से ट्रेन तथा बस दोनों सुविधाएं उपलब्ध है।
हैदराबाद से तिरुपति बालाजी की दूरी लगभग 562 किलोमीटर तथा बेंगलुरु से लगभग 246 किलोमीटर है। तिरुपति में एक छोटा सा हवाई अड्डा भी है। जहां के लिए आपको मंगलवार व शनिवार को हैदराबाद से फ्लाइट मिल सकती है। इसके बाद बस द्वारा आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
(और पढ़े:- गायत्री चालीसा व गायत्री मंत्र के चमत्कार)
हैदराबाद से तिरुपति बालाजी की दूरी लगभग 562 किलोमीटर तथा बेंगलुरु से लगभग 246 किलोमीटर है। तिरुपति में एक छोटा सा हवाई अड्डा भी है। जहां के लिए आपको मंगलवार व शनिवार को हैदराबाद से फ्लाइट मिल सकती है। इसके बाद बस द्वारा आप मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
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मंदिर में दर्शनों के लिए लंबी लाइन लगती है। जिसके लिए आपको 5 से 6 घंटे तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है। जल्दी दर्शनों हेतु एक विशेष एंट्री की भी व्यवस्था की गई है। आप जिस की ऑनलाइन बुकिंग भी www.tttsevaonline. com पर जाकर कर सकते हैं।
सबसे अमीर होकर भी गरीब क्यों है भगवान तिरुपति बालाजी ?
(Sabse amir ho kar bhi garib kyo h bhagwan tirupati balaji) ?
जी हां दोस्तों अगर चढ़ावे के हिसाब से देखा जाए तो तिरुपति बालाजी की गिनती सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है। किंतु क्या आप जानते हैं कि मंदिर के इतने अमीर होने के बाद भी भगवान तिरुपति बालाजी को गरीब क्यों कहा जाता है? आइए हम आपको बताते हैं इसके पीछे की असल कहानी क्या है?
एक प्राचीन मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान बालाजी कलयुग के अंत तक कर्ज में रहेंगे। बालाजी के उसी कर्ज को चुकाने के लिए यहां पर भक्त सोना और बहुमूल्य धातुओं को चढ़ावे के रूप में चढ़ाते हैं।
शास्त्रों की मानें तो कर्ज में डूबा हुए व्यक्ति के पास चाहे कितना भी धन क्यों न हो वह गरीब ही होता है। इस नियम के अनुसार यह माना जाता है कि भगवान बालाजी मंदिर में इतना दान आने के बाद भी भगवान बालाजी गरीब ही है।
आइए अब जानते हैं कि आखिर भगवान बालाजी किस कर्ज में डूबे हुए हैं इस कथा के अनुसार एक बार महर्षि भृगु भगवान विष्णु के निवास स्थान बैकुंठ पर पधारे थे, और भगवान विष्णु शेषनाग की शैय्या पर लेटे हुए थे। तब महर्षि भृगु के स्वागत या आदर न करने पर महर्षि भृगु ने भगवान विष्णु की छाती पर एक लात मारी थी।
तब भगवान विष्णु ने महर्षि भृगु के पांव पकड़कर पूछा कि कहीं आपके पैर में चोट तो नहीं लग गई है। तब महर्षि भृगु ने हाथ जोड़कर माफी मांगी और कहने लगे कि आप ही सबसे सहनशील भगवान है, इसलिए यज्ञ भाग के प्रमुख अधिकारी आप ही हैं।
किंतु देवी लक्ष्मी जो कि भगवान विष्णु के ह्रदय में वास करती हैं उन्हें महर्षि भृगु का यह व्यवहार पसंद नहीं आया इसलिए देवी लक्ष्मी श्री हरि विष्णु से नाराज हो गई कि उन्होंने महर्षि भृगु को उनके इस अपराध के लिए दंड क्यों नहीं दिया? तब देवी लक्ष्मी नाराज होकर बैकुंठ छोड़ कर चली गई।
भगवान विष्णु जब देवी लक्ष्मी को ढूंढने निकले तो उन्हें पता चला कि देवी लक्ष्मी ने मृत्यु लोक में कन्या पद्मावती के रूप में जन्म लिया है तब भगवान विष्णु (वेंकटेश्वर) भी रूप बदलकर देवी पद्मावती से विवाह की इच्छा से उनके सम्मुख पहुंच गए। तब देवी पद्मावती ने उनका विवाह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
किंतु समस्या यह थी कि विवाह हेतु धन कहां से आएगा तब भगवान विष्णु ने भगवान ब्रह्मा व भगवान शिव को साक्षी रखकर भगवान कुबेर से कर्ज लिया। इस कर्ज से भगवान विष्णु और लक्ष्मी स्वरूप देवी पद्मावती का विवाह संपन्न हुआ।
कर्ज लेते समय भगवान विष्णु ने भगवान कुबेर को यह वचन दिया कि वह अपना सारा कर्ज कलयुग के अंत तक ब्याज समेत चुका देंगे। भगवान विष्णु के कर्ज में डूबे होने की इस मान्यता के कारण ही भक्त यहां पर बड़ी मात्रा में रुपया, सोना, चांदी व बाल आदि दान करते हैं। ताकि भगवान कर्ज से मुक्त हो सके। अब आप समझ चुके होंगे कि मंदिर के इतने अमीर होने पर भी भगवान वाले जी इतने गरीब क्यों हैं?
आशा करती हूँ भगवान तिरुपति बालाजी से जुड़ी जानकारी व उनके 10 रहस्य (Tirupati Balaji ki sampoorn jankari v mandir se jude adbhut 10 rahasay in hindi) पर हमारी यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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