नमस्कार,
दोस्तों यदि हम गीता ग्रंथ के बारे में बात करें और मन के बारे में बात न करें तो कहीं ना कहीं हम गीता को समझने में चूक कर रहे हैं। आज के इस लेख के अंतर्गत हम बात करेंगे गीता के अनुसार मन को वश में करने के उपाय क्या है? मन को वश में करने के लिए गीता में किन उपायों का वर्णन किया गया है?
इसे हम एक कहानी के माध्यम से समझेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं हमारे आज के लेख पर चर्चा।
कहानी (Story):-
लोग कहते हैं कि मैं वह करता हूं जो मेरा मन (mind) करता है पर गीता कहती है कि आप वह कीजिए जो आपको करना चाहिए। श्रीमद भगवत गीता में मन को वश में करने के उपाय के बारे में बताया उपाय बताए गए हैं।
यदि आप विद्यार्थी हैं और आपको पता है कि आपको 1 st रैंक लाने के लिए पढ़ना जरूरी है। इसके बावजूद भी यदि आप अपना कीमती समय टीवी, मोबाइल, या खेलने में बिताते हैं तो समझ लीजिए कि आपका मन आपके वश में नहीं है। तो चलिए अब शुरू करते हैं हमारी कहानी।
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एक छोटा सा गांव था जहां पर एक नाई रहता था। संपूर्ण गांव में वह अकेला ही नाई था। इसलिए सभी लोग इसी के पास अपने बाल कटवाने के लिए आते थे। उसकी दुकान खूब चलती थी।
उसका 12 साल का एक बेटा लोगों के बाल काटने में उसके पापा की मदद करता था। और जो छोटा पुत्र था उसने बस एक महीने पहले से ही दुकान पर आना शुरू किया था, कि उसके पापा का निधन हो गया।
नाई का जो बड़ा लड़का था उसे बाल काटने का अनुभव था। किंतु पिता की मृत्यु के बाद वह वह गलत संगत में पड़ गया और दुकान से होने वाली कमाई से वह नशा करने लगा।
पहले तो वह सिर्फ रात को नशा करता था लेकिन धीरे-धीरे उसने दिन में भी नशा करना शुरू कर दिया। वह अपने छोटे भाई से भी झगड़ा करने लगा।
एक दिन उसने अपने छोटे भाई को दुकान से निकाल दिया। तब छोटे भाई ने अपनी एक अलग दुकान खोल ली। क्योंकि बड़े भाई को अनुभव था इसलिए सभी लोग उसी से बाल कटवाना पसंद करते थे। उसकी दुकान खूब चलती थी।
एक दिन उसने अपने छोटे भाई को दुकान से निकाल दिया। तब छोटे भाई ने अपनी एक अलग दुकान खोल ली। क्योंकि बड़े भाई को अनुभव था इसलिए सभी लोग उसी से बाल कटवाना पसंद करते थे। उसकी दुकान खूब चलती थी।
किंतु छोटा भाई जिसमें अनुभव की कमी थी वह बाल ठीक से नहीं काट पाता था। जिसके कारण उसके पास जाना कोई पसंद नहीं करता था।
बड़े भाई कि नशे की आदत के कारण वह अपना सारा पैसा नशे में खर्च करने लगा व जो लोग बाल कटवाने आते थे। उनसे भी गलत व्यवहार करने लगा।
बड़े भाई कि नशे की आदत के कारण वह अपना सारा पैसा नशे में खर्च करने लगा व जो लोग बाल कटवाने आते थे। उनसे भी गलत व्यवहार करने लगा।
परिणाम स्वरुप अब वही लोग छोटे भाई के यहां बाल कटवाने के लिए जाने लगे। परन्तु अभ्यास की कमी के कारण शुरू में वह लोगों के बाल ठीक से नहीं काट पाता था।
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श्री कृष्ण ने भगवत गीता के अंतर्गत एक और उपाय के बारे में बात की है जो है मेडिटेशन अर्थात ध्यान लगाना। दोस्तों हमारा माइंड अर्थात मन एक बेलगाम घोड़े की तरह होता है। यह वही पर सबसे ज्यादा दौड़ता है, जहां पर इसे जाने से मना किया जाता है।
श्रीमद भगवत गीता के छठवें अध्याय के 34 वे श्लोक में अर्जुन श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि यह मन चंचल, बलवान व जिद्दी है। तथा इस मन को वश में करना वायु को वश में करने के समान है।
किन्तु बड़े भाई के लोगों के साथ गलत व्यवहार से छोटे भाई की दुकान चल पड़ी और धीरे-धीरे अभ्यास से उसने बाल काटने पर महारत हासिल कर ली। बड़े भाई कि नशे की आदत के कारण वह बर्बाद हो गया ।
श्री कृष्ण ने भगवत गीता के अंतर्गत जो उपाय बताए हैं उसमें उन्होंने पहला उपाय अभ्यास को बताया है। श्री कृष्ण कहते हैं आपको बार-बार प्रयास कर अभ्यास करना होगा। पहली बार में आप सफल नहीं होंगे। निरंतर अभ्यास ही आपको मन को वश में करने में सफलता प्रदान करेगा।
जो दूसरा उपाय है वह है वैराग्य। जिसका वर्णन श्री कृष्ण भगवत गीता में करते हैं। वैराग्य से तात्पर्य मन में किसी के भी प्रति राग भाव न होने से है।
श्री कृष्ण ने भगवत गीता के अंतर्गत जो उपाय बताए हैं उसमें उन्होंने पहला उपाय अभ्यास को बताया है। श्री कृष्ण कहते हैं आपको बार-बार प्रयास कर अभ्यास करना होगा। पहली बार में आप सफल नहीं होंगे। निरंतर अभ्यास ही आपको मन को वश में करने में सफलता प्रदान करेगा।
जो दूसरा उपाय है वह है वैराग्य। जिसका वर्णन श्री कृष्ण भगवत गीता में करते हैं। वैराग्य से तात्पर्य मन में किसी के भी प्रति राग भाव न होने से है।
वैराग्य से आशय चीजों के प्रति अति लगाव या मोह को न रखने से हैं। वैराग्य तभी संभव हो सकता है जब आपको पता हो की लालसा व कामना का कोई अंत नहीं है। तभी आप वैराग्य को प्राप्त कर सकते हैं।
श्री कृष्ण ने भगवत गीता के अंतर्गत एक और उपाय के बारे में बात की है जो है मेडिटेशन अर्थात ध्यान लगाना। दोस्तों हमारा माइंड अर्थात मन एक बेलगाम घोड़े की तरह होता है। यह वही पर सबसे ज्यादा दौड़ता है, जहां पर इसे जाने से मना किया जाता है।
श्रीमद भगवत गीता के छठवें अध्याय के 34 वे श्लोक में अर्जुन श्रीकृष्ण से पूछते हैं कि यह मन चंचल, बलवान व जिद्दी है। तथा इस मन को वश में करना वायु को वश में करने के समान है।
श्रीमद्भगवद्गीता के अगले श्लोक अर्थात अध्याय 6 के 35 वें श्लोक के अंतर्गत श्री कृष्ण मन को वश में करने के लिए अभ्यास करने की सलाह देते हैं।
आशा करती हूं श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार मन को वश में करने के उपाय के बारे में आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
आशा करती हूं श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार मन को वश में करने के उपाय के बारे में आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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