नमस्कार,
दोस्तों हिंदू धर्म ग्रंथों के आधार पर सृष्टि को चार युगों के अंतर्गत विभाजित किया गया है। सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग, और कलयुग।
प्रथम तीन युग (सतयुग,त्रेता युग, द्वापर युग) में मनुष्य अपने पाप कर्मों से छुटकारा पाने के लिए दान, धर्म, यज्ञ, तप आदि किया करते थे।
परंतु कलयुग में अपने पाप कर्मों से मुक्ति प्राप्त करने हेतु तथा मोक्ष प्राप्त हेतु संत गोस्वामी तुलसीदास जी नाम जप का वर्णन करते हैं।
राम शब्द और ॐ शब्द एक ही प्रकार की ध्वनि ऊर्जा को उत्सर्जित करते हैं। ॐ शब्द जहां पर निर्गुण व निराकार स्वरूप का प्रतीक है। राम शब्द वहीं पर साकार स्वरूप को प्रदर्शित करता है।
राम शब्द का उच्चारण हमारे शरीर के सात चक्रों में से हृदय चक्र से लेकर सह्त्रार्थ चक्र तक को प्रभावित या क्रियान्वित करता है।
राम शब्द का उच्चारण नकारात्मक शक्तियों को दूर करता हैं। राम शब्द की महिमा के कारण ही हनुमान जी चिरंजीवी है और अमर होकर सर्वशक्तिमान हो गए हैं।
राम शब्द का उच्चारण हमारे शरीर के सात चक्रों में से हृदय चक्र से लेकर सह्त्रार्थ चक्र तक को प्रभावित या क्रियान्वित करता है।
राम शब्द का उच्चारण नकारात्मक शक्तियों को दूर करता हैं। राम शब्द की महिमा के कारण ही हनुमान जी चिरंजीवी है और अमर होकर सर्वशक्तिमान हो गए हैं।
आज के इस लेख में हम संत गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार नाम जप (राम) का क्या महत्व है ? इस विषय पर चर्चा करेंगे तो चलिए शुरू करते हैं।
संत गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार नाम जप का महत्व,महिमा
(और पढ़े :- संत सिंगाजी महाराज से जुड़ी जानकारी)
राम नाम की महिमा श्री कृष्ण के द्वारा
श्री कृष्ण जी अर्जुन को बताते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति राम नाम का नित्य स्मरण करता है वह सभी मनोकामना की पूर्ति करने में समर्थ है। उसके घर में सब कुछ मंगल ही होगा।
राम नाम की महिमा पर विभिन्न संतों के विचार
जैसे जल प्रज्वलित अग्नि को शांत करने में समर्थ है, जैसे घोर अंधकार को छिन्न - भिन्न करने में भगवान सूर्य समर्थ है; उसी प्रकार भगवान नाम अनेकों कालों के मद, मत्सर, दम्भ आदि समस्त दोषों को शांत कर देता है।
मेरे द्वारा जो कुछ समाज की सेवा हो सकी है, वह राम नाम की देन है। मेरे पास राम नाम के अलावा कोई शक्ति नहीं है। वही मेरा एकमात्र सहारा है।
नाम लेने से मनुष्य के सभी पाप उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जैसे दूध डालने से चीनी का मैल कट जाता है। राम नाम का प्रभाव हमारे चित्त को सर्वथा शांत कर देता है। अतः भगवान ही सबसे पूजनीय देव हैं और भगवान नाम का स्मरण ही सबसे बड़ा धर्म है।
घोर संचार बंधन में पड़ा हुआ मनुष्य विवश होकर भी यदि भगवान नाम का उच्चारण करता है तो वह तत्काल कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है और वह उस पद को प्राप्त कर लेता है जिससे भय भी भय मानता है।
इस संसार के मूल आधार परमात्मा ही है। अतः अनन्य भाव से उनके नाम का स्मरण, भजन, कीर्तन करना चाहिए। मनुष्य को प्रत्येक कर्म भगवान के नाम का स्मरण या उच्चारण करके ही प्रारंभ करना चाहिए।
आशा करती हूँ कलयुग में नाम जप का महत्त्व तुलसीदास जी के अनुसार (Sant Goswami Tulsidas ji k anusar naam jaap (ram) ka mahtaw in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
संत गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार नाम जप का महत्व,महिमा
(Sant Goswami Tulsidas ji k anusar naam jaap ka mahtaw in hindi)
- राम नाम की महिमा का वर्णन करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि राम नाम मन दिप धरु, जीव्ह दोहरी द्वार, तुलसी भीतर बाहरे जो चाहेसी उजियार। अर्थात जिस प्रकार किसी कोठी अर्थात कमरे की दहलीज पर रखा द्वीप उस कमरे के अंदर तथा बाहर दोनों तरफ प्रकाश करता है उसी प्रकार राम नाम का दीपक भी मन के अंदर व बाहर दोनों तरफ प्रकाश फैलाता है।
- तुलसीदास जी नाम जप की महिमा का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि राम जी का नाम राम जी से भी बड़ा है।
- तुलसीदास जी कहते हैं कि जिस प्रकार राम जी ने अहिल्या का उद्धार किया है उसी प्रकार राम नाम हजारों-लाखों लोगों का उद्धार करने में समर्थ है।
- जिस प्रकार राम जी ने शिव जी के धनुष को तोड़ा था। उसी प्रकार राम जी का नाम हमारे डर, क्रोध आदि को तोड़कर हमें निर्भरता प्रदान करता है।
- तुलसीदास जी नाम जप की महिमा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति राम नाम का स्मरण करता है उसे सपने में भी किसी भी प्रकार के कष्ट का भय नहीं रहता है।
- तुलसीदास जी लिखते हैं कि शिव राम नाम की महिमा से ही अविनाशी है व अमंगल वेशभूषा में भी परम मंगलमय हैं।
- तुलसीदास जी कहते हैं कि नारदमुनि, हनुमान जी, भक्त प्रहलाद, ध्रुव आदि सभी नाम के प्रताप से ही इतने ऊपर उठे हैं।
- तुलसीदास जी लिखते हैं कि भाव से, कुभाव से,खीझ से या आलस्य से किसी भी रुप में यदि आप नाम जप करते हैं, तो राम नाम की शक्ति आपको इस भवसागर से पार करने में सहायता प्रदान करती है।
राम नाम की महिमा श्री कृष्ण के द्वारा
(Ram naam ki mahima shree krishn k dwara)
श्री कृष्ण जी अर्जुन को बताते हुए कहते हैं कि जो व्यक्ति राम नाम का नित्य स्मरण करता है वह सभी मनोकामना की पूर्ति करने में समर्थ है। उसके घर में सब कुछ मंगल ही होगा।
श्री कृष्ण जी कहते हैं कि गया, पुष्कर आदि तीर्थ भी राम नाम की बराबरी नहीं कर सकते हैं।
जो राम नाम का स्मरण करता है वह चारों वेदों के ज्ञात के समान होता है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस धरती का सबसे बड़ा तीर्थ राम नाम ही है।
जो राम नाम का स्मरण करता है वह चारों वेदों के ज्ञात के समान होता है। भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इस धरती का सबसे बड़ा तीर्थ राम नाम ही है।
राम नाम की महिमा पर विभिन्न संतों के विचार
(Ram Naam ki Mahima per vibhinn santon ke vichar)
• श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी :-
जैसे जल प्रज्वलित अग्नि को शांत करने में समर्थ है, जैसे घोर अंधकार को छिन्न - भिन्न करने में भगवान सूर्य समर्थ है; उसी प्रकार भगवान नाम अनेकों कालों के मद, मत्सर, दम्भ आदि समस्त दोषों को शांत कर देता है।
• राष्ट्रपति महात्मा गांधी :-
मेरे द्वारा जो कुछ समाज की सेवा हो सकी है, वह राम नाम की देन है। मेरे पास राम नाम के अलावा कोई शक्ति नहीं है। वही मेरा एकमात्र सहारा है।
• महामना मदनमोहन मालवीय :-
नाम लेने से मनुष्य के सभी पाप उसी तरह नष्ट हो जाते हैं जैसे दूध डालने से चीनी का मैल कट जाता है। राम नाम का प्रभाव हमारे चित्त को सर्वथा शांत कर देता है। अतः भगवान ही सबसे पूजनीय देव हैं और भगवान नाम का स्मरण ही सबसे बड़ा धर्म है।
• श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार :-
घोर संचार बंधन में पड़ा हुआ मनुष्य विवश होकर भी यदि भगवान नाम का उच्चारण करता है तो वह तत्काल कर्म बंधन से मुक्त हो जाता है और वह उस पद को प्राप्त कर लेता है जिससे भय भी भय मानता है।
• स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज :-
इस संसार के मूल आधार परमात्मा ही है। अतः अनन्य भाव से उनके नाम का स्मरण, भजन, कीर्तन करना चाहिए। मनुष्य को प्रत्येक कर्म भगवान के नाम का स्मरण या उच्चारण करके ही प्रारंभ करना चाहिए।
आशा करती हूँ कलयुग में नाम जप का महत्त्व तुलसीदास जी के अनुसार (Sant Goswami Tulsidas ji k anusar naam jaap (ram) ka mahtaw in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
0 टिप्पणियाँ