नमस्कार,
दोस्तों हिंदू धर्म के नाते हमारी शिव जी में बहुत आस्था है। हर व्यक्ति किसी न किसी प्रकार से शिवजी का पूजन अर्चन जरूर करता है।
दोस्तों आज के इस लेख में हम बात करेंगे शिवजी के अत्यंत प्रिय वृक्ष बिल्व वृक्ष(bilva tree)के बारे में जिसे बेल का वृक्ष भी कहते हैं। बेल वृक्ष की पत्ती, फूल, फल सभी किसी न किसी प्रकार से उपयोग में लाए जाते हैं परंतु बिल्वपत्र का पूजा में एक विशेष स्थान है।
तो आइए शुरू करते हैं बिल्ववृक्ष के बारे में क्या कहती है हमारी पौराणिक कथाएं और बिल्वपत्र का महत्व क्या है?
बिल्व वृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा
एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी, देवी गंगा व देवी सरस्वती वैकुंठ में श्री हरि नारायण के साथ निवास करती थी। तब श्री हरि विष्णु देवी सरस्वती के सुरों की प्रशंसा करते थे।
बिल्व वृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा
(Bilva tree se judi puranik katha in hindi)
एक पौराणिक कथा के अनुसार देवी लक्ष्मी, देवी गंगा व देवी सरस्वती वैकुंठ में श्री हरि नारायण के साथ निवास करती थी। तब श्री हरि विष्णु देवी सरस्वती के सुरों की प्रशंसा करते थे।
एक समय बाद देवी लक्ष्मी के मन में विकार उत्पन्न हुआ कि श्री हरि विष्णु मुझसे प्रेम नहीं करते और माता लक्ष्मी ने शिवजी की 1000 कमल पुष्पों से पूजा करने का निश्चय किया।
(और पढ़े :- हनुमान बाहुक की संपूर्ण जानकारी)
माता लक्ष्मी ने शिवजी की हजार कमल पुष्पों से पूजा प्रारंभ कर दी। पूजा करते हुए दो कमल पुष्प कम पड़ जाने पर माता लक्ष्मी ने अपने कमल स्वरूप वक्षो को शिव जी को अर्पण करने का निर्णय लिया।
एक वक्ष अर्पण करने के पश्चात जब माता लक्ष्मी दूसरा वक्ष अर्पण करने लगी तभी शिव जी वहां प्रकट हुए और उन्हें रोक दिया। फिर महादेव की कृपा से देवी लक्ष्मी स्वस्थ हो गई व उनका कटा हुआ वक्ष बेल के फल के रूप में परिवर्तित हो गया।
तब माता लक्ष्मी जी ने शिव जी से वरदान स्वरुप यह मांगा कि श्री हरि मेरी अनन्य भक्ति व प्रेम को महसूस करे व उन्हें प्रेम करे। तब शिवजी ने उन्हें वरदान दिया कि बेल फल को श्री फल नाम से भी जाना जाएगा। जो व्यक्ति मुझे बेलपत्र के साथ बेल फल अर्पित करेगा उसे अचल लक्ष्मी अखंड सौभाग्य प्राप्त होगा।
बेल या बिल्ववृक्ष का महत्व या लाभ
बिल्वपत्र चढ़ाने का तरीका
दोस्तों बिल्वपत्र महादेव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए सभी की कामना होती है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाए। परंतु बिल्व पत्र चढ़ाने का एक तरीका होता है।
आशा करती हूं बिल्ववृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा व उसके लाभ (Bilva tree se judi puranik katha and labh in hindi) से संबंधित आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा।
हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
(और पढ़े :- हनुमान बाहुक की संपूर्ण जानकारी)
माता लक्ष्मी ने शिवजी की हजार कमल पुष्पों से पूजा प्रारंभ कर दी। पूजा करते हुए दो कमल पुष्प कम पड़ जाने पर माता लक्ष्मी ने अपने कमल स्वरूप वक्षो को शिव जी को अर्पण करने का निर्णय लिया।
एक वक्ष अर्पण करने के पश्चात जब माता लक्ष्मी दूसरा वक्ष अर्पण करने लगी तभी शिव जी वहां प्रकट हुए और उन्हें रोक दिया। फिर महादेव की कृपा से देवी लक्ष्मी स्वस्थ हो गई व उनका कटा हुआ वक्ष बेल के फल के रूप में परिवर्तित हो गया।
तब माता लक्ष्मी जी ने शिव जी से वरदान स्वरुप यह मांगा कि श्री हरि मेरी अनन्य भक्ति व प्रेम को महसूस करे व उन्हें प्रेम करे। तब शिवजी ने उन्हें वरदान दिया कि बेल फल को श्री फल नाम से भी जाना जाएगा। जो व्यक्ति मुझे बेलपत्र के साथ बेल फल अर्पित करेगा उसे अचल लक्ष्मी अखंड सौभाग्य प्राप्त होगा।
बेल या बिल्ववृक्ष का महत्व या लाभ
(Bilva tree ka mahtw ya labh in hindi)
- जिस स्थान पर भी बिल्व वृक्ष पाया जाता है उस स्थान को पुराणों में काशी के समान पवित्र माना गया है।
- वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के प्रांगण में बेल का वृक्ष होंने से किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा घर में प्रवेश नहीं कर सकती है।
- बेल के वृक्ष में नियमित रूप से जल अर्पित करने पर पितरों को तृप्ति मिलती है।
- घर के आस-पास बेल का वृक्ष होने पर जहरीले जीव-जंतु नहीं आते हैं।
- बिल्ववृक्ष के पत्ते, फलों व बीजों को कई प्रकार की बीमारियों को दूर करने हेतु औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है।
- बिल्ववृक्ष लगाने पर वंश वर्द्धि होती है।
- शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने पर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है तथा जिस घर में बेल का वृक्ष लगा होता है वहां पर माता लक्ष्मी सदैव वास करती है।
बिल्वपत्र चढ़ाने का तरीका
(Bilvapatra chadhane ka tarika in hindi)
दोस्तों बिल्वपत्र महादेव को अत्यंत प्रिय है। इसलिए सभी की कामना होती है कि भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाया जाए। परंतु बिल्व पत्र चढ़ाने का एक तरीका होता है।
- कटे-फटे या कीड़े लगे बिल्वपत्र भगवान पर अर्पण नहीं करना चाहिए।
- बेलपत्र को हमेशा उल्टा अर्थात उसका चिकना भाग भगवान के ऊपर चढ़ाना चाहिए।
- बिल्वपत्र चढ़ाने से पूर्व उसके पीछे के हिस्से जिसे पुराणों में वज्र कहा गया है, तोड़ देना चाहिए। उसके बाद ही भगवान को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहिए।
आशा करती हूं बिल्ववृक्ष से जुड़ी पौराणिक कथा व उसके लाभ (Bilva tree se judi puranik katha and labh in hindi) से संबंधित आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा।
हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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