नमस्कार,
दोस्तों हम में से अधिकांश लोग या तो अपने भूतकाल में जी रहे होते हैं या तो अपने भविष्यकाल में। बहुत ही कम लोग होते हैं जो कि अपने वर्तमान को जीना जानते हैं। अपने वर्तमान के पल का आनंद उठाना जानते हैं।कुछ लोग अपने भूतकाल में हुई चीजों को नहीं भूला पाते और वहीं कुछ लोग अपने भविष्य की चिंता में अपने वर्तमान को खराब कर लेते हैं। दोस्तों आज हम कुछ ऐसी आदतों के बारे में बात करेंगे जो आपको वर्तमान में जीना सिखा देंगे तो चलिए चलते हैं हमारे आज के इस लेख की ओर ।
वर्तमान में रहने के तरीके या आदतें
(vertmaan me rahne ke tarike ya aadte)
1.) ध्यान पूर्वक भोजन करना :-
ज्यादातर लोगों का ध्यान भोजन करते वक्त भोजन पर ना होकर बल्कि लोगों से बातें करने पर या कुछ अन्य सोचने में लगा रहता है या वे कुछ अन्य देख रहे होते हैं। जिससे भोजन करते वक्त उनका मन अशांत रहता है।
जबकि लोगों को चाहिए कि वह भोजन करते वक्त अपना ध्यान भोजन की ओर रखें। थाली में क्या परोसा गया है, थाली में भोजन की सुगंध को महसूस करना आदि के बारे में सोचे।
साथ ही व्यक्ति को भोजन ग्रहण करने से पूर्व अपने मन में ही भोजन बनाने वाले, भोजन को उगाने वाले तथा ईश्वर आदि को धन्यवाद देना चाहिए। यही कारण है कि हिंदू धर्म में भोजन मौन रहकर करने के बारे में बताया गया है।
2.) अपनी सांसों पर ध्यान देना :-
सांस लेना प्राकृतिक रूप से होने वाली एक स्वाभाविक व लयबद्ध प्रक्रिया है। जब हम अपनी आती-जाति सांसों पर ध्यान देते हैं तो परिणाम स्वरूप हम अनावश्यक चिंता,भय व तनाव से दूर हो जाते हैं।
बुद्ध द्वारा बताई गई विपस्ना ध्यान विधि में भी अपनी आती जाती सांसों पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में ही बताया गया है। यदि हम लंबे समय तक अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करने की आदत डाल लेते हो तो हम खराब से खराब परिस्थिति में भी शांत रहकर वर्तमान पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
3.) अपनी इंद्रियों से जुड़े :-
मनुष्य के शरीर में पांच इंद्रियां होती है आंख,नाक,कान, त्वचा व जीभ। यह इंद्रियां हमारे शरीर के प्रवेश द्वार है। जब हम विचारों में खोए रहते हैं तब हम अपनी इंद्रियों का अनुभव नहीं कर पाते हैं।
इसलिए अपने आस-पास की चीजों को ध्यान से देखना ,सुनना, महसूस करना हमें वर्तमान में रहने के लिए मजबूर करता है। जैसे आस-पास के खिले फूलों की सुगंध को अनुभव करना, पशु पक्षियों की आवाज को सुनना, मौसम में घुली हुई है हवाओं की ठंडक को महसूस करना आदि।
4.) अपने नकारात्मक विचारों या भावनाओं का निरीक्षण करना :-
मनुष्य में घबराहट होना, क्रोध आना, उदास होना ये सभी आम बातें हैं, परंतु मनुष्य को चाहिए कि हम इस प्रकार की नकारात्मक भावनाओं में ना उलझे।
मनुष्य को अपने अंदर उठने वाली नकारात्मक भावनाओं और विचारों पर ध्यान देना चाहिए। अपने अंदर उठने वाले नकारात्मक भावनाओं और विचारों पर ध्यान देने से हम एक दिन उन नकारात्मक भावनाओं पर नियंत्रण पा लेंगे।
5.) आभार व्यक्त करना:-
वर्तमान में रहने के लिए आवश्यक है कि आज हमारे पास जो कुछ भी है उसके लिए हम ईश्वर का आभार व्यक्त करें। धन्यवाद से भरा हुआ मनुष्य का मन समस्याओं से हटकर समाधान की ओर केंद्रित होने लगता है। इसलिए जो भी तुम्हारे पास है उसके लिए ब्रह्मांड का धन्यवाद जरूर करें।
6.) महत्वपूर्ण कामों के लिए समय निर्धारित करना:-
जो लोग वर्तमान में जीना पसंद करते हैं वे लोग अपने महत्वपूर्ण कामों के लिए एक समय को निर्धारित करते हैं और उन कामों को उसी समय में पूरा भी करते हैं। उदाहरण के लिए उठने का समय, खाने का समय, नहाने का समय आदि।
अपने महत्वपूर्ण कामों को समय के साथ बांटने का अर्थ यह है कि वे सभी काम बिना किसी बाधा के अपने समय पर पूरे किए जा सके। अपने कामों को सही समय पर करना हमारे जीवन में अनुशासन लाता है और अनुशासन से जीवन में शांति व खुशी का अनुभव होता है।
7.) अपने काम जागरूकता के साथ करना :-
हम जब भी कोई कार्य को करें उसे पूरी जागरूकता के साथ करना चाहिए। जागरूकता से आशय अभी व इसी पल वर्तमान का होकर करना।
किसी भी कार्य को करते समय हमारा मन फिर से भूतकाल या अपने भविष्य काल में चला जाता हैं। परंतु हमे पुनः पूरी जागरूकता के साथ वर्तमान में केंद्रीत होकर उस कार्य को पूरा करना चाहिए।
आशा करती हूं 7 आदतें जो आपको वर्तमान में रहना सिखाएगी पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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