नमस्कार,
दोस्तों आपने अक्सर ऐसे लोगों को देखा होगा जो कि हर समय किसी ने किसी बात को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। जैसे घर कब बनेगा? भविष्य का क्या होगा? आदि।
आज हम आपको इस लेख में एक कहानी के माध्यम से चिंता (Anxiety) या तनाव(Stress) को दूर करने का एक बहुत ही साधारण सा उपाय बताने वाले हैं। जिसे आप अपनाकर हर समय चिंता से मुक्त रह सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं।
"चिंता से चतुराई घटे, घटे रूप और ज्ञान
चिंता बढ़ी अभागिनी, चिंता चिता समान"
यहां पर लेखक ने चिंता को चतुराई,रूप और ज्ञान को घटाने वाला बताया है। साथ ही चिंता को अभागिनी बताते हुए लेखक ने चिंता को चिता अर्थात मृत्यु की अग्नि के समान बताया है।
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Anxiety(चिंता) |
दोस्तों बहुत से लोग चिंता या तनाव को अपनी आदत बना लेते हैं किंतु जिन लोगों को अपने ऊपर व परमात्मा के ऊपर भरोसा होता है वे लोग चिंता कम करते हैं। वह लोग यह जानते हैं कि जीवन में जो कुछ भी होता है वह हमारे अच्छे के लिए ही होता है।
हमारे धर्म ग्रंथों में ईश्वर के लिए लिखा गया है "मंगल भवन अमंगल हारी" अर्थात भगवान सदैव मंगल अर्थात अच्छा करने वाले होते हैं। जब हम उस परमपिता परमात्मा पर भरोसा करते हैं, तो हम हर प्रकार की चिंता से मुक्त रहते हैं।
अब मैं आपको यहां पर महाभारत से संबंधित एक कहानी सुनाने जा रही हूं, और यह आशा करती हूं कि इस कहानी को सुनने के बाद आप भी चिंता या तनाव लेना छोड़ेंगे तो नहीं पर शायद कम जरूर कर लेंगे।
महाभारत युद्ध के समय जब पितामह भीष्म सेनापति थे, उसके बावजूद भी कौरवों की सेना पांडवों की सेना के सामने कमजोर प्रतीत हो रही थी। तब दुर्योधन ने भीष्म पितामह पर यह आरोप लगाया कि आप हमारी तरफ से युद्ध तो कर रहे हैं, लेकिन मन व हृदय से आप अभी भी पांडवों के साथ ही हैं, इसलिए आप किसी भी पांडव का वध नहीं कर रहे हैं। तब पितामह भीष्म ने प्रतिज्ञा की कि कल के युद्ध में या तो अर्जुन नहीं रहेगा या मैं।
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तब कौरवों ने सोचा कि पितामह भीष्म को तो इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त है, और अर्जुन का मरना अब लगभग तय या निश्चित है। तब पांडवों को जब पता चला कि पितामह भीष्म ने अर्जुन के वध के प्रतिज्ञा की है तब पांडवों में चिंता व तनाव का माहौल उत्पन्न हो गया।
श्री कृष्ण भी पितामह भीष्म की इस प्रतिज्ञा से परेशान हो गए और अर्जुन से मिलने उसके कक्ष में पहुंचे। जब श्री कृष्ण अर्जुन से मिलने पहुंचे तो देखा कि अर्जुन तो आराम से सो रहे हैं।
तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को जगाया और कहा कि पितामह भीष्म ने कल तुम्हारा वध करने की प्रतिज्ञा की है, इसके बावजूद भी तुम निश्चिंत होकर सो रहे हो। तब अर्जुन ने जवाब दिया मैं आज पूरा दिन युद्ध करने के पश्चात थक गया था। इसलिए थोड़ा आराम कर रहा हूं।
श्री कृष्ण ने कहा कि तुम्हें भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा के बारे में ज्ञात होने के बाद भी तुम इतने निश्चिंत होकर कैसे सो रहे हो ?
तब कौरवों ने सोचा कि पितामह भीष्म को तो इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त है, और अर्जुन का मरना अब लगभग तय या निश्चित है। तब पांडवों को जब पता चला कि पितामह भीष्म ने अर्जुन के वध के प्रतिज्ञा की है तब पांडवों में चिंता व तनाव का माहौल उत्पन्न हो गया।
श्री कृष्ण भी पितामह भीष्म की इस प्रतिज्ञा से परेशान हो गए और अर्जुन से मिलने उसके कक्ष में पहुंचे। जब श्री कृष्ण अर्जुन से मिलने पहुंचे तो देखा कि अर्जुन तो आराम से सो रहे हैं।
तब श्री कृष्ण ने अर्जुन को जगाया और कहा कि पितामह भीष्म ने कल तुम्हारा वध करने की प्रतिज्ञा की है, इसके बावजूद भी तुम निश्चिंत होकर सो रहे हो। तब अर्जुन ने जवाब दिया मैं आज पूरा दिन युद्ध करने के पश्चात थक गया था। इसलिए थोड़ा आराम कर रहा हूं।
श्री कृष्ण ने कहा कि तुम्हें भीष्म पितामह की प्रतिज्ञा के बारे में ज्ञात होने के बाद भी तुम इतने निश्चिंत होकर कैसे सो रहे हो ?
तब अर्जुन ने बहुत ही विनम्रता पूर्वक भगवान श्री कृष्ण के सामने हाथ जोड़कर प्रार्थना की कि जिसकी चिंता आप स्वयं, परमात्मा श्री कृष्ण भगवान कर रहे हैं उसको भी यदि अपनी चिंता करना पड़े तो मेरे बड़े अभाग्य हैं। अर्थात जिनकी चिंता स्वयं भगवान करते हैं उन्हें अपनी चिंता भगवान पर ही छोड़ देना चाहिए।
(और पढ़ें :- महाभारत से जुड़े 7 सबक जो जीवन बदल)
यहीं विश्वास कि भगवान, परमात्मा स्वयं हमारी चिंता करते हैं व्यक्ति को इतना स्ट्रांग ( Strong), मजबूत बना देता है कि उसके प्रभु उसके साथ हैं और जो भी हमारी जिंदगी में होगा वह हमारे अच्छे के लिए ही होगा।
परमपिता ईश्वर हमारे लिए जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे। यदि आप भी अपनी सारी चिंता, परेशानियां भगवान को समर्पित कर दे तो आप भी आज से और अभी से चिंता व तनाव से मुक्त हो सकते हैं। और अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगी कि :-
"हमारे हैं श्री गुरुदेव हमें किस बात की चिंता
मेरे भगवान को ही रहती मेरी हर बात की चिंता"
दोस्तों आशा करती हूं ,आपको चिंता या तनाव को कम करने में हमारा यह लेख आपकी मदद करेगा।
हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
यहीं विश्वास कि भगवान, परमात्मा स्वयं हमारी चिंता करते हैं व्यक्ति को इतना स्ट्रांग ( Strong), मजबूत बना देता है कि उसके प्रभु उसके साथ हैं और जो भी हमारी जिंदगी में होगा वह हमारे अच्छे के लिए ही होगा।
परमपिता ईश्वर हमारे लिए जो भी करेंगे अच्छा ही करेंगे। यदि आप भी अपनी सारी चिंता, परेशानियां भगवान को समर्पित कर दे तो आप भी आज से और अभी से चिंता व तनाव से मुक्त हो सकते हैं। और अंत में बस इतना ही कहना चाहूंगी कि :-
"हमारे हैं श्री गुरुदेव हमें किस बात की चिंता
मेरे भगवान को ही रहती मेरी हर बात की चिंता"
दोस्तों आशा करती हूं ,आपको चिंता या तनाव को कम करने में हमारा यह लेख आपकी मदद करेगा।
हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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