नमस्कार,
दोस्तों दुनिया में सफल होने के लिए किसी भी मनुष्य के अंदर आत्मविश्वास व अपने पर भरोसा होना बहुत जरूरी है। यदि आपके पास बहुत सारा ज्ञान व क्षमता है परंतु यदि आप में आत्मविश्वास (confidence) ही नहीं है तो आप अपने जीवन में कभी भी ज्यादा सफल नहीं बन पाएंगे।
आज के इस लेख में हम जानेंगे आत्मविश्वास क्या है? हम अपने आत्मविश्वास को किस तरह से बढ़ा सकते हैं आदि के बारे में।
आत्मविश्वास का होना एक अच्छी बात है किंतु अति आत्मविश्वास मनुष्य के पतन का कारण भी बन सकता है। उदाहरण के लिए महाभारत के पात्र दुर्योधन के पास आत्मविश्वास अत्यधिक था कि मैं जो करता हूं वह सही है और मैं पांडवों से श्रेष्ठ हूं, जो कि गलत था।
आत्मविश्वास क्या है ?
किसी भी कार्य को करने के लिए खुद पर यह भरोसा करना कि मैं इस कार्य को सफलतापूर्वक कर सकता हूं यही आत्मविश्वास (confidence) कहलाता है।
आत्मविश्वास क्या है ?
(aatmavishvaas kya hai in hindi) ?
किसी भी कार्य को करने के लिए खुद पर यह भरोसा करना कि मैं इस कार्य को सफलतापूर्वक कर सकता हूं यही आत्मविश्वास (confidence) कहलाता है।
आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 नियम भगवत गीता के अनुसार (aathmwishvas badhane k 5 niyam Bhagavad Gita k anusaarin hindi)
आइए अब हम आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 नियम जो की भगवत गीता में बताए गए हैं उन पर चर्चा करते हैं।
1.) श्रीमद भगवत गीता के 18 वे अध्याय के 47 वे श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि आप अपने स्वधर्म को ठीक से ना भी कर पा रहे हो पर दूसरों के स्वधर्म से वह सर्वश्रेष्ठ है। इसलिए आत्मविश्वास बढ़ाने का जो पहला नियम है वह यह है कि आप अपना काम सबसे अच्छे तरीके से व इमानदारी से कीजिए।
दूसरों को देखकर व्यर्थ के कार्यों में न लगें रहे। आपका मतलब केवल अपने कर्मों से ही होना चाहिए। आपकी प्रतिस्पर्धा केवल आपके साथ ही हैं। इसलिए अपनी तुलना कभी किसी दूसरे से मत कीजिए।
(और पढ़े :- लाइफ मैनेजमेंट गीता के अनुसार अध्याय एक)
2.) श्रीमद भगवत गीता की अच्छे कर्मों को हमारा आत्मविश्वास बढ़ाने वाला बताया है। जब आप अच्छे कर्म करते हैं, सत्य बोलते हैं तो आप सही होते हैं। जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार होता है।
3.) इंसान के स्वभाव के अनुसार उसका ध्यान अपनी खूबियों पर ना जाकर अपनी कमियों पर ही जाता है। यदि एक मां के दो बच्चे हैं और यदि उनमें से एक बाहर है तो मां अधिकतर उस बाहर गए हुए बच्चे के बारे में ही सोचेंगी।
उसी प्रकार यदि किसी के मुंह में 32 दांत हैं और एक दांत टूट गया है तो जीभ बार-बार उस टूटे हुए दांत को ही छूती रहेगी। श्रीमद भगवत गीता के 6 वे अध्याय के 7 वे श्लोक में श्रीकृष्ण बताते हैं यदि आपने अपने मन को जीत लिया है तो आप सर्दी-गर्मी, मान-सम्मान, सुख-दुख को समान भाव से देखोगे।
2.) श्रीमद भगवत गीता की अच्छे कर्मों को हमारा आत्मविश्वास बढ़ाने वाला बताया है। जब आप अच्छे कर्म करते हैं, सत्य बोलते हैं तो आप सही होते हैं। जो आपके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार होता है।
3.) इंसान के स्वभाव के अनुसार उसका ध्यान अपनी खूबियों पर ना जाकर अपनी कमियों पर ही जाता है। यदि एक मां के दो बच्चे हैं और यदि उनमें से एक बाहर है तो मां अधिकतर उस बाहर गए हुए बच्चे के बारे में ही सोचेंगी।
उसी प्रकार यदि किसी के मुंह में 32 दांत हैं और एक दांत टूट गया है तो जीभ बार-बार उस टूटे हुए दांत को ही छूती रहेगी। श्रीमद भगवत गीता के 6 वे अध्याय के 7 वे श्लोक में श्रीकृष्ण बताते हैं यदि आपने अपने मन को जीत लिया है तो आप सर्दी-गर्मी, मान-सम्मान, सुख-दुख को समान भाव से देखोगे।
(और पढ़े:- कुबरेश्वर धाम मंदिर सीहोर व पंडित प्रदीप जी मिश्रा की संपूर्ण जानकारी)
जिससे कि आपका मन अशांत नहीं होगा हम अपनी कमियों व दुःख के बारे में सोच कर अपने आत्मविश्वास को कम कर लेते हैं। इन सभी को समान भाव से देखने पर हम अपने आत्मविश्वास को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।
4.) जब हम किसी की मदद करते हैं यह सोचे बिना की जरूरत आने पर वह व्यक्ति भी हमारी मदद करेगा तब भी हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। श्री कृष्ण भगवत गीता के 17 वे अध्याय के 20 वे श्लोक में यही बताया है।
5.) श्रीमद् भगवत गीता के 18 वे अध्याय के 28 वे श्लोक के अनुसार हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आलस्य को छोड़ देना चाहिए। हमें अपने आज को ही अंतिम दिन बनकर जो करना है वह सब कार्य करना चाहिए। क्योंकि कल कभी नहीं आता है। जो करना है उसे आज ही शुरू कर देना चाहिए। जो कि हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
दोस्तों इन सबके अलावा ध्यान, प्राणायाम व भगवान पर विश्वास करने से भी हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
आशा करती हूं आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 नियम भगवत गीता के अनुसार (5 rules to increase confidence according to Bhagavad Gita in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
जिससे कि आपका मन अशांत नहीं होगा हम अपनी कमियों व दुःख के बारे में सोच कर अपने आत्मविश्वास को कम कर लेते हैं। इन सभी को समान भाव से देखने पर हम अपने आत्मविश्वास को कई गुना तक बढ़ा सकते हैं।
4.) जब हम किसी की मदद करते हैं यह सोचे बिना की जरूरत आने पर वह व्यक्ति भी हमारी मदद करेगा तब भी हमारा आत्मविश्वास बढ़ता है। श्री कृष्ण भगवत गीता के 17 वे अध्याय के 20 वे श्लोक में यही बताया है।
5.) श्रीमद् भगवत गीता के 18 वे अध्याय के 28 वे श्लोक के अनुसार हमें अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए आलस्य को छोड़ देना चाहिए। हमें अपने आज को ही अंतिम दिन बनकर जो करना है वह सब कार्य करना चाहिए। क्योंकि कल कभी नहीं आता है। जो करना है उसे आज ही शुरू कर देना चाहिए। जो कि हमारे आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
दोस्तों इन सबके अलावा ध्यान, प्राणायाम व भगवान पर विश्वास करने से भी हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
आशा करती हूं आत्मविश्वास बढ़ाने के 5 नियम भगवत गीता के अनुसार (5 rules to increase confidence according to Bhagavad Gita in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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