शमी व मदार वृक्ष की पौराणिक कथा औऱ महत्व (Shami or Madar vriksh ki pouranik katha, mahtw in hindi)

 नमस्कार,

दोस्तों आपने हमेशा लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि कांटेदार वृक्ष व दूध वाले पौधों को घर में नहीं लगाना चाहिए। लेकिन आज हम यहां ऐसे दो वृक्षों की पौराणिक कथा के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे जिन्हें घर में लगाना अत्यंत ही शुभ माना जाता है।

जी हां दोस्तों में बात कर रही हूं शमी वृक्ष जिससे खेजड़ी के नाम से भी जाना जाता है, जो कि एक कांटे वाला वृक्ष है। दूसरा वृक्ष जिसके बारे में हम बात करेंगे वह है, मदार अर्थात सफेद अकाव का वृक्ष, जिसमें से दूध निकलता है।

आइये जानते हैं शमी व मदार वृक्ष की पौराणिक कथा के बारे में इनका महत्व क्या है ? क्यों यह इतने पूजनीय हैं? इत्यादि के बारे में तो चलिए शुरू करते है।



शमी व मदार वृक्ष की पौराणिक कथा
(Shami or Madar vriksh ki pouranik katha in hindi)


पौराणिक कथा के अनुसार शमी, ऋषि ओरा की पुत्री थी। ऋषि अपनी पुत्री से अत्यंत प्रेम करते थे। ऋषि ने अपनी पुत्री शमी का विवाह धौम्य ऋषि के पुत्र मदार के साथ किया था।

क्योंकि मदार उस समय ऋषि सोनक से शिक्षा प्राप्त कर रहे थे। इसलिए विवाह के पश्चात वेअपनी पत्नी शमी को अपने घर छोड़कर पुनः अपनी शिक्षा पूरी करने के लिए ऋषि सोनक के आश्रम चले गये। 

जब मदार युवावस्था में पहुंचे तब वे अपनी पत्नी शमी को लेकर ऋषि सोनक का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आश्रम की ओर निकल पड़े।




रास्ते में विघ्नहर्ता गणेश जी के अनन्य भक्त ऋषि भृसंदी का आश्रम में पढ़ता था। तब मदार व शमी ने उनके दर्शन व आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए ऋषि भृसंदी के आश्रम जाने का विचार किया।

शमी व मदार वृक्ष की पौराणिक कथा औऱ महत्व (Shami and Madar Tree ki pouranik katha mahtw)&
शमी वृक्ष


ऋषि भृसंदी जी ने गणेश जी को प्रसन्न कर उन्हीं के जैसे गजमुख होने का आशीर्वाद प्राप्त किया था। जिसके कारण उनका मुख गणेश जी के समान ही था। मदार को ऋषि के गजमुख होने का ज्ञान नहीं था। जब मदार व शमी ऋषि भृसंदी के आश्रम पहुंचे तो उन्हें उनके गजमुख को देखकर हंसी आ गई और वे ऋषि का उपहास करने लगे।

तब ऋषि भृसंदी ने उन्हें श्राप दे दिया कि तुम दोनों वृक्ष बन जाओ और ऐसे वृक्ष बनो जिसे कोई पशु-पक्षी भी ना खाए और ना ही उसके पास आए।



बहुत दिनों तक मदार सोनक ऋषि के आश्रम नहीं पहुंचे तो सोनक ऋषि उनकी खोज करते हुए ऋषि भृसंदी के आश्रम पहुंचे जहां उन्हें इस घटना के बारे में पता चला। तब सोनके ऋषि ने मदार व शमी को शाप मुक्त करने का अनुरोध किया।

तब शाप से मुक्त करने में असमर्थ ऋषि भृसंदी श्री गणेश के पास पहुंचे व मदार व शमी को शाप से मुक्त करने हेतु गणेश जी से प्रार्थना करने लगे। 

तब अपने भक्तों के शाप की लाज रखने व शमी व मदार के उद्धार के लिए श्री गणेश ने उन्हें वरदान दिया कि यह दोनों वृक्ष (शमी व मदार) तीनो लोको में पूजनीय होंगे व भगवान शिव की पूजा इन दोनों वृक्षों के बिना अपूर्ण होगी। यह दोनों पति-पत्नी अर्थात मदार व शमी जहां साथ में होंगे वहां मैं स्वयं रिद्धि-सिद्धि के साथ निवास करूंगा।

शमी व मदार वृक्ष का महत्व
(Shami or Madar vriksh ka mahtw)


• शमी व मदार वृक्ष के बिना गणपति जी व शिवजी की पूजा अधूरी मानी जाती है।

• आज भी सफेद मदार या सफ़ेद अकाव के वृक्ष की जड़ में 21 वर्ष के बाद जड़ का आकार गणेश जी का स्वरुप ले लेती है।




• जिस घर में मदार की जड़ के गणेश जी की पूजा होती है वहां गणेश जी रिद्धि-सिद्धि के साथ स्वयं निवास करते हैं। उस घर में कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

• भगवान राम के द्वारा अश्विन मास की दशमी तिथि अर्थात दशहरे के दिन शमी वृक्ष की पूजा के पश्चात ही लंका पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए दशहरे के दिन शमी वृक्ष का बहुत महत्व है।

• महाभारत काल में 1 वर्ष के अज्ञातवास जाने से पूर्व पांडवो ने भी अपने शस्त्रों को शमी वृक्ष के ऊपर ही छुपाया था।




•  खाटू श्याम बाबा अर्थात महात्मा बर्बरीक के कटे हुए सर को भी ऊंची पहाड़ी पर स्थित शमी वृक्ष पर ही रखा गया था।

•  शमी का वृक्ष अपने आर्थिक व पौराणिक मूल्यों के कारण राजस्थान का राजकीय वृक्ष भी है। जिसे लोग वहां की स्थानीय भाषा में खेजड़ी का वृक्ष के नाम से भी जानते हैं।

शमी वृक्ष की पूजा विधि
(Shami vriksh ki pooja vidhi in hindi)


शमी वृक्ष की पूजा हेतु जल का कलश लेकर नियमित रूप से इसका पूजन करें साथ ही संध्या के समय में शमी के वृक्ष के नीचे सरसों का तेल का दीपक जलाएं। शमी वृक्ष के पास सरसों की तेल का दिया लगाने पर न्याय के देवता शनि देव की कृपा परिवार पर बनी रहती है।

शमी वृक्ष की पहचान
(Shami vriksh ki pahchan in hindi)


जैसा कि हमने लेख के शुरू में भी बताया है कि शमी वृक्ष एक कांटेदार वृक्ष है जिसमें पीले व गुलाबी कलर के फूल लगते हैं यह मुख्य रूप से रेगिस्तान या सूखे प्रदेशों में पाया जाता है। इसलिए शमी वृक्ष राजस्थान का राजकीय वृक्ष भी है।


आशा करती हूं शमी व मदार वृक्ष की पौराणिक कथा औऱ महत्व (Shami or Madar vriksh ki pouranik katha, mahtw in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।


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