मौन या चुप या चुप रहने के चमत्कारिक फायदे (moun ya chup rahne ke chamatkarik fayde in hindi)

 


नमस्कार,
          दोस्तों हमने आपको हमारे पिछले लेख में हमें किन पांच परिस्थितियों में चुप रहना चाहिए इसके बारे में अवगत कराया था। आज के इस लेख में हम चुप रहने के फायदों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।




तो चलिए शुरू करते हैं हमारा आज का लेख मौन या चुप रहने के चमत्कारी फायदे के बारे में।


मौन खुद के अंदर उतरने की प्रथम सीढ़ी है। मौन हुए बिना खुद को जान पाना असंभव है।
चुप रहने के फायदे 

मौन या चुप रहने के चमत्कारी फायदे (moun ya chup rahne ke chamatkarik fayde)


जापान की एक बहुत ही प्रसिद्ध बौद्ध संत हुआ करते थे। वह एक जंगल में बहुत दूर एकांत में अपनी कुटिया बनाकर अपना जीवन यापन किया करते थे। वे बहुत ही प्रसिद्ध संत थे। उनकी प्रसिद्धि पूरे जापान में फैली हुई थी।

एक बार जापान के सम्राट उन बौद्ध संत के पास जाकर कहते हैं कि है संत महाराज मैं बहुत ही अशांत महसूस करता हूं। मेरे पास बहुत सारा धन, ऐश्वर्य एवं सारी सुख सुविधाएं हैं जिनके बारे में लोग सपने में देखते हैं, फिर भी मैं बहुत अशांत व व्याकुल रहता हूं।


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तब उस संत महात्मा ने जापान के सम्राट को एक प्रयोग करने के लिए कहा संत ने कहा आपको अगले 10 दिनों तक यहीं पर एक कुटिया बनाकर एक साधारण जीवन व्यतीत करना होगा और इन 10 दिनों में आप जितना हो सके उतना कम बोलने का प्रयास करेंगे व हमेशा ही अकेले एकांत में बैठे रहेंगे।

सम्राट ने संत की बात मान ली। पहले दिन सम्राट पहले की तुलना में और अधिक अशांत हो गया। उसके मन में सैकड़ों प्रश्न उठ रहे थे और सामान्य जीवन जीने में वह बहुत ही असहज महसूस कर रहा था। उसने पूरे दिन एक भी शब्द नहीं निकाला और चुपचाप एकांत में बैठा रहा।

रात होते-होते उसे एक अजीब सी खुशी का अनुभव होने लगा। उसके अंदर की बेचैनी कम होने लगी। अगले दिन सम्राट प्राकृतिक चीजों पौधो, पक्षियों आकाश आदि को निहारता रहा। इसी प्रकार उसने तीन-चार दिन गुजार लिए थे।




पांचवे दिन सुबह जब सम्राट एकांत में जाकर बैठा तो कुछ समय बाद अपने आप ही उसकी आंखें बंद हो गई और वह ध्यान में चला गया। वह पूरे दिन गहरे ध्यान में बैठा रहा सम्राट अंदर से अनंत शांति व आनंद से भर गया था।

बाकी के बचे हुए दिन भी ध्यान में गुजरने के बाद सम्राट  उस बौद्ध संत के सामने प्रस्तुत हुआ। सम्राट संत को प्रणाम करने के बाद कहने लगा कि मुझे जवाब मिल गया है कि मेरा मन इतना अशांत क्यों है?

तब संत ने सम्राट को जवाब बताने के लिए कहा। इस पर सम्राट ने बोला मैं जरूरत से अधिक शब्दों का प्रयोग करता था। अपने लोगों के साथ दिनभर बेमतलब की बातें किया करता था और फिर अकेले में उन्हीं बातों के बारे में सोचता रहता था।

जिसकी वजह से मेरा मन और बेचैन रहने लगा और इसी के साथ मेरा शरीर भी बेचैन रहने लगा। जिसके कारण मुझे अपने कार्य में असफलता मिलने लगी जिससे मैं और भी अधिक बेचैन रहने लगा।

लेकिन इन 10 दिनों में मैंने महसूस किया कि मैं अपने जीवन को गलत तरीके से जी रहा था। मैंने यह भी जाना कि ध्यान तो अपने आप होता है। जब आप मौन, स्थिर व शांत रहते हैं, तब स्वतः ही आप ध्यान की अवस्था में चले जाते हैं।

हमारे शब्द हमारे हथियार भी हैं और कमजोरी भी। यदि सही समय पर सही शब्दों का उपयोग किया जाए तो यह इंसान को सफल बना देते हैं अन्यथा यही शब्द आपकी जिंदगी को नर्क बना देते हैं।




मौन खुद के अंदर उतरने की प्रथम सीढ़ी है। मौन हुए बिना खुद को जान पाना असंभव है। ज्यादा बोलना दिमाग को अव्यवस्थित कर देता है जिससे हमारे मन पर हमारा नियंत्रण समाप्त हो जाता है। जो लोग ज्यादा बोलते हैं वे कभी भी केंद्रित नहीं हो सकते।

मौन से धैर्य आता है और धैर्य से ध्यान। ध्यान से हम अपने जीवन के प्रति जागरूक होते हैं। इस प्रकार मौन के अनेक चमत्कारिक फायदे होते हैं। हम मौन रहकर अपनी जिंदगी में शांति ला सकते हैं।

दोस्तों आशा करती हूं मौन या चुप रहने के चमत्कारी फायदे पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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