भक्त के साथ संत धूनीवाले दादाजी खंडवा वाले का चमत्कार ( bhakt ke sath sant dhuniwale dadaji ka chamtkar in hindi)

 नमस्कार,


             दोस्तों भारत भूमि ऐसी भूमि है जहां पर कई प्रकार के संत-महात्माओं ने जन्म दिया है यही कारण है कि भारत की इस भूमि को संतो की भूमि भी कहा जाता है। इस भारत भूमि पर जन्म लेने वाले महान संतों में से एक थे धूनी वाले दादाजी खंडवा वाले जो समय के अनुसार अपने भक्तों के साथ चमत्कार किया करते थे।

आज के इस लेख में हम एक भक्त के साथ धूनी वाले दादा जी के चमत्कार का एक सच्चा अनुभव साझा करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

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एक कथावाचक जिनका नाम राधेश्याम था। अपनी कथा के चलते वह भारत भूमि के कई क्षेत्रों में आवागमन किया करते थे। एक बार की बात है जब वह कथा करने के उद्देश्य से खंडवा पहुंचे तो जहां पर वह रुके हुए थे वहां पर उन्होंने एक अद्भुत शिवलिंग को देखा।






इस प्रकार का शिवलिंग उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था। जब कथावाचक राधेश्याम जी ने उस शिवलिंग के बारे में पूछा तो पता चला कि इस शिवलिंग को नर्मदेश्वर शिवलिंग कहा जाता है।

नर्मदेश्वर शिवलिंग नर्मदा नदी से मिलने वाला एक प्राकृतिक रूप से बना हुआ शिवलिंग हैं। यह नर्मदा नदी में पाया जाने वाला प्राकृतिक एवं स्वयंभू शिवलिंग ही नर्मदेश्वर शिवलिंग कहलाता है।




नर्मदेश्वर शिवलिंग मध्यप्रदेश के ओम्कारेश्वर, मंडलेश्वर, जबलपुर आदि तथा गुजरात राज्य में नर्मदा नदी के अंदर पाए जाते हैं। नर्मदेश्वर शिवलिंग की पूजा अत्यधिक फलदायी व विशेष मानी जाती है।

नर्मदेश्वर शिवलिंग को देखकर व उसके बारे में जानकर कथावाचक राधेश्याम जी के मन में भी उस शिवलिंग को प्राप्त करने की इच्छा उत्पन्न हुई।

तब राधेश्याम जी ने पूछा कि नर्मदेश्वर शिवलिंग किस शिवलिंगको किस प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है। तब उन्होंने कहा कि यह शिवलिंग बड़े ही भाग्य से मिलता है। तथा इसे प्राप्त करना अति दुर्लभ है।


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राधेश्याम जी खंडवा में धूनी वाले दादाजी के मंदिर गए तब उन्होंने वहां पर दादाजी से कहा कि वह नर्मदेश्वर शिवलिंग प्राप्त करना चाहते हैं। ऐसा कहकर वह घर को आ गए।

कथा के संपूर्ण होने के बाद दूसरे क्षेत्र के लिए जब वह प्रस्थान करने हेतु रेलवे स्टेशन गए तभी वहां पर उन्हें एक बूढ़ा आदमी मिला। जिसके पास एक नर्मदेश्वर शिवलिंग था। कथावाचक राधेश्याम जी ने कहा यह तो वही शिवलिंगे है जिसे वह प्राप्त करना चाहते थे।

तब राधेश्याम जी ने उस बूढ़े आदमी के पास पहुंचे और उन्होंने उनसे कहा कि यह शिवलिंग को मैं खरीदना चाहता हूं। उसके लिए मुझे आपको कितना मूल्य देना होगा।

तब उस बूढ़े आदमी ने राधेश्याम जी से कहा कि यह नर्मदेश्वर शिवलिंग अमूल्य है। मैं इसे बेच नही सकता पर आपका प्रेम देखकर मैं आपको यह नर्मदेश्वर शिवलिंगलेने के शिवलिंगदेने के लिए तैयार हूं।


इतना कहकर वह बूढ़ा आदमी वहां से चला गया। जब कथावाचक राधेश्याम जी ने उस आदमी को धन्यवाद देने के लिए देखा तो वह उन्हें स्टेशन पर कहीं भी नजर नहीं आया।

बहुत देर सोचने के बाद राधेश्याम जी को समझ आया कि यह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि धूनी वाले दादाजी ही थे। जो उनके नर्मदेश्वर शिवलिंग की मनोकामना की पूर्ति हेतु स्वयं आए थे।

कथावाचक राधेश्याम जी के घर में आज भी वह नर्मदेश्वर शिवलिंग प्राणप्रतिष्ठित हैं।और वह रोज इस शिवलिंग की पूजा करते हैं। तो दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे हमारे भारत भूमि के संत अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं।

आशा करती हूं भक्त के साथ संत धूनीवाले दादाजी खंडवा वाले का चमत्कार ( bhakt ke sath sant dhuniwale dadaji ka chamtkar in hindi) पर आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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