नमस्कार,
दोस्तों हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण तथा रामचरितमानस से तो सभी परिचित हैं। आज हम बात करेंगे रामचरितमानस या रामायण के एक भाग या कांड के बारे में जिसे हम सभी सुंदरकांड के नाम से जानते हैं।
सुंदरकांड के अंतर्गत हनुमान जी के बल, बुद्धि व शक्तियों का वर्णन देखने को मिलता है।
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आज के इस लेख में हम जानेंगे सुंदरकांड का अर्थ क्या है? सुंदरकांड में कितने दोहे हैं ? सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए ? सुंदरकांड का पाठ करने से होने वाले लाभ व फायदे ? सुंदरकांड का पाठ कैसे करें या पूजन विधि ? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।
सुंदरकांड का अर्थ क्या है ?
कभी-कभी हमारे दिमाग में यह प्रश्न आता है कि इसका नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया है? आज हम आपको इस सवाल का जवाब बताने जा रहे हैं। जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका जा रहे थे, लंका जो कि त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी।
त्रिकुटाचल से आशय जहां पर तीनों पर्वतों का मिलन हो रहा है से हैं। लंका नगरी तीनों पर्वतों क्रमशः सुबेल पर्वत जहां पर भगवान राम-रावण का युद्ध हुआ था, नील पर्वत जहां पर राक्षसों के महल बने हुए थे और तीसरा सुंदर पर्वत जहां पर अशोक वाटिका में माता सीता को रखा गया था से मिलकर बनी हुई थी।
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चूकि लंका के सुंदर पर्वत में अशोक वाटिका में जहां हनुमान जी की भेंट माता सीता से हुई थी। इसी कारण से इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है।
सुंदर कांड में कितने दोहे हैं ?
कलयुग के समस्त पापों का नाश करने वाले रामचरितमानस के पंचम सोपान या अध्याय सुंदरकांड में सफल जीवन जीने का उल्लेख किया गया है। सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं जिसे पढ़ने में लगभग 1 घंटे से लेकर सवा घंटे तक का समय लगता है।
सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए ?
सुंदरकांड का पाठ वैसे तो किसी भी समय किया जा सकता है किंतु शनिवार व मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना विशेष फलदाई माना जाता है। किसी विशेष प्रकार की समस्या होने पर 41 दिनों तक लगातार सुंदरकांड का पाठ आपको करना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ करने से होने वाले फायदे या लाभ
सुंदरकांड का पाठ करने से कई लाभ या फायदे हैं जिनमें से कुछ निम्नानुसार है।
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आज के इस लेख में हम जानेंगे सुंदरकांड का अर्थ क्या है? सुंदरकांड में कितने दोहे हैं ? सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए ? सुंदरकांड का पाठ करने से होने वाले लाभ व फायदे ? सुंदरकांड का पाठ कैसे करें या पूजन विधि ? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।
सुंदरकांड का अर्थ क्या है ?
(sundarakaand ka arth kya hai in hindi) ?
कभी-कभी हमारे दिमाग में यह प्रश्न आता है कि इसका नाम सुंदरकांड क्यों रखा गया है? आज हम आपको इस सवाल का जवाब बताने जा रहे हैं। जब हनुमान जी माता सीता की खोज करने के लिए लंका जा रहे थे, लंका जो कि त्रिकुटाचल पर्वत पर बसी हुई थी।
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sundarakaand |
त्रिकुटाचल से आशय जहां पर तीनों पर्वतों का मिलन हो रहा है से हैं। लंका नगरी तीनों पर्वतों क्रमशः सुबेल पर्वत जहां पर भगवान राम-रावण का युद्ध हुआ था, नील पर्वत जहां पर राक्षसों के महल बने हुए थे और तीसरा सुंदर पर्वत जहां पर अशोक वाटिका में माता सीता को रखा गया था से मिलकर बनी हुई थी।
(और पढ़े :- लाइफ मैनेजमेंट गीता के अनुसार अध्याय एक)
चूकि लंका के सुंदर पर्वत में अशोक वाटिका में जहां हनुमान जी की भेंट माता सीता से हुई थी। इसी कारण से इसका नाम सुंदरकांड रखा गया है।
सुंदर कांड में कितने दोहे हैं ?
(sundar kaand mein kitane dohe hain in hindi) ?
कलयुग के समस्त पापों का नाश करने वाले रामचरितमानस के पंचम सोपान या अध्याय सुंदरकांड में सफल जीवन जीने का उल्लेख किया गया है। सुंदरकांड के पाठ में 60 दोहे हैं जिसे पढ़ने में लगभग 1 घंटे से लेकर सवा घंटे तक का समय लगता है।
सुंदरकांड का पाठ कब करना चाहिए ?
(sundarakaand ka paath kab karana chaahie in hindi) ?
सुंदरकांड का पाठ वैसे तो किसी भी समय किया जा सकता है किंतु शनिवार व मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करना विशेष फलदाई माना जाता है। किसी विशेष प्रकार की समस्या होने पर 41 दिनों तक लगातार सुंदरकांड का पाठ आपको करना चाहिए।
सुंदरकांड का पाठ करने से होने वाले फायदे या लाभ
(sundarakaand ka paath karane se hone vaale phaayade ya laabh in hindi)
सुंदरकांड का पाठ करने से कई लाभ या फायदे हैं जिनमें से कुछ निम्नानुसार है।
- सुंदरकांड केमाता के अंतर्गत ही माता सीता के शोक का अंत हनुमान जी के मिलने से हुआ था। इसलिए जो कोई भी सुंदरकांड का पाठ करता है उसके समस्त दुखों का नाश हो जाता है।
- यदि आपके जीवन में कई बाधाएं आ रही है व कोई मार्ग नहीं दिख रहा है तब आपके लिए सुंदरकांड का पाठ करना विशेष फलदाई होता है।
- ग्रहों के कारण विशेषकर शनि व मंगल ग्रह के कारण आपको जीवन में संघर्ष करना पड़ रहा हो तो आप को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए।
- यदि शत्रु या विरोधी आपको परेशान कर रहे हैं तब सुंदरकांड का पाठ आपके लिए विशेष फलदाई होता है।
- ऑपरेशन बीमारी या दुर्घटना के भय से बचने के लिए भी सुंदरकांड का पाठ करना फायदेमंद होता है।
- आत्मविश्वास में वृद्धि हेतु भी सुंदरकांड का पाठ किया जा सकता है।
सुंदरकांड का पाठ कैसे करें या पूजन विधि
(sundarakaand ka paath kaise karen ya poojan vidhi in hindi)
सुंदरकांड का पाठ करने के लिए आप अपने दैनिक कर्मों से निवृत्त होकर साफ व स्वच्छ वस्त्र धारण करें। अगर हो सके तो लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके पश्चात लाल आसन पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाइए।
अपने सामने भगवान राम व हनुमानजी का चित्र रखकर कुछ समय राम नाम का स्मरण करें। इसके बाद चमेली के तेल का दिया प्रज्वलित करें। भोग में बेसन के लड्डू, गुड़-चना, बूंदी के लड्डू, या यथासंभव मिष्ठान अर्पित करें।
इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ करने के बाद सुंदरकांड का पाठ आरंभ करें। पाठ के लिए हो सके तो ऐसी पुस्तक का प्रयोग करें जिसके अक्षर लाल रंग से छपे हो।
पाठ की समाप्ति पर कपूर जलाकर हनुमान जी व रामायण जी की आरती करें और अपनी मनोकामना की पूर्ति की प्रार्थना हनुमान जी व राम जी से करें। भगवान आपकी मनोकामना को जरूर पूरा करेंगे।
आशा करती हूं हनुमान जी का अतिप्रिय पाठ सुंदरकांड की महिमा, लाभ व फायदे, पढ़ने की विधि (hanumaan jee ka atipriy paath sundarakaand kee mahima, laabh va phaayade, padhane kee vidhi in hindi) पर आपको हमारी यह जानकारी पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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