धूनीवाले दादाजी व छोटे दादाजी खंडवा वाले की विस्तृत जानकारी ( Dhuniwale dadaji and chote dadaji Khandwa ki jankari in hindi)

 नमस्कार,


            दोस्तों भारत की भूमि को संतो की भूमि भी कहा जाता है इस भूमि पर साईं बाबा, संत सिंगाजी महाराज, संत बुखार दास जी महाराज, संत तुकाराम जी जैसे कई संतों ने जन्म लिया। आज हम पश्चिमी निमाड़ में पाए जाने वाले एक ऐसे ही संत के विषय में बात करेंगे। जिनके दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग खंडवा आते हैं।

जी हां दोस्तों में बात कर रही हूं खंडवा के प्रसिद्ध संत जिन्हें धूनी वाले दादाजी के नाम से जाना जाता है के बारे में।

धूनी वाले दादा जी को श्री श्री 1008 परमहंस केशवानंद जी महाराज के नाम से जाना जाता है। धूनी वाले दादा जी को भगवान शिव का अवतार माना गया है। इसके अलावा धूनी वाले दादाजी को रामफल वाले बाबा, धूनी वाले दादा जी, साईं खेड़ा वाले दादा जी आदि के नामों से भी जाना जाता है।



धूनी वाले दादा जी के गुरु का नाम श्री गौरीशंकर जी महाराज था। तथा गौरीशंकर जी महाराज के गुरु का नाम कमलभारती जी महाराज था। कमलभारती जी महाराज मां नर्मदा के बहुत बड़े भक्त थे। वे अपने साथ कुछ लोगों को लेकर मां नर्मदा की परिक्रमा किया करते थे। इन्होंने ही मां नर्मदा परिक्रमा की नींव रखी थी।

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उनका मानना था कि सरस्वती नदी में 3 दिन स्नान करने से, यमुना नदी में 7 दिन स्नान करने से, गंगा नदी में 1 दिन स्नान करने से जो पुण्य मिलता है वही पुण्य मनुष्य को मां नर्मदा के दर्शन मात्र से प्राप्त हो जाता है। कमलभारती जी महाराज का कहना था कि मां नर्मदा के दर्शन मात्र से व्यक्ति पवित्र हो जाता है।

महाराज कमलनाथ जी भारती के समाधि ओमकारेश्वर में सिद्धवरकूट के पास स्थित है जो बांध बनाने के समय उसमें समाहित हो गई है।

धूनीवाले दादा जी के गुरु का नाम गौरीशंकर जी महाराज था। धूनी वाले दादाजी इनके सानिध्य में रहकर रसोइए का कार्य किया करते थे। गोरीशंकर जी महाराज की समाधि होशंगाबाद के निकट स्थित एक गांव में स्थित हैं।

धूनीवाले दादा जी का वर्चस्व खण्डवा नगर में ठीक वैसा ही है जैसा कि शिर्डी में साईं बाबा का। धूनी वाले दादाजी का पर्याय खंडवा नगरी हैं व खंडवा नगरी का पर्याय धूनीवाले दादाजी हैं।

धूनीवाले दादाजी को बड़े दादा जी कहकर भी पुकारा जाता है। बड़े दादाजी जहां कहीं भी जाते थे अपने आस-पास धूनी प्रज्वलित कर लेते थे। इसीलिए इन्हें धूनीवाले दादाजी के नाम से भी जाना जाता है।

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दादा जी अपने पास एक डंडा, एक चिमटा, पानी व एक कंबल रखा करते थे। 3 दिसंबर 1930 को अगहन सुदी की तेरस तिथि को बड़े दादाजी ने निर्वाण प्राप्त कर खंडवा शहर में समाधि ले ली।

छोटे दादा जी जिन्हें हरिहरानंद के नाम से भी जाना जाता है राजस्थान के डिडवानी नामक स्थान के रहने वाले थे। इन्हें हरिहर का कर भी पुकारा जाता था। लोगों का मानना है कि हरिहरानंद जी महाराज अर्थात छोटे दादा जी भगवान विष्णु का स्वरूप हैं।

वह एक बार वह धूनीवाले दादा जी के दर्शन के लिए आए और उनके शिष्य बन कर ही खंडवा में रुक गए। छोटे दादा जी का असली नाम भंवरीलाल था। छोटे दादा जी धूनी वाले दादा जी के प्रिय शिष्यों में से एक थे।

बड़े दादा जी की समाधि के 12 साल बाद 4 फरवरी सन 1942 में छोटे दादा जी ने इलाहाबाद कुंभ में समाधि ले ली। छोटे दादा जी के पार्थिव शरीर को इलाहाबाद से लाकर खंडवा में बड़े दादा जी के पास समाधि के रूप में स्थापित किया गया।

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संत धूनीवाले दादा जी का दरबार खंडवा में लगभग 22 एकड़ में फैला हुआ है। यहां पर दादाजी के द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले वस्त्र, डंडा, गाड़ियां तथा उनके उपयोग की कुछ वस्तुएं रखी हुई है।
खंडवा के दादाजी दरबार में अखंड ज्योतअखंड धूनी दादा जी के समय से ही प्रज्वलित हो रही है। भक्तों को प्रसाद के रूप में यहां टिक्कड़ दिया जाता है। "भजलो दादाजी का नाम भजलो हरिहरि जी का नाम" पंक्ति के माध्यम से यहां पर छोटे व बड़े दादा जी को याद किया जाता है। यह दादाजी दरबार अपने भक्तों के लिए 24 घंटे खुला रहता है।

गुरु पूर्णिमा पर खंडवा में दादाजी के उपलक्ष में एक विशाल मेले का आयोजन होता है। वैसे तो हर समय दादाजी दरबार में भक्तों का आना-जाना लगा रहता है किंतु गुरु पूर्णिमा पर लाखों भक्त दूर-दूर से जैसे पांढुर्णा बैतूल, छिंदवाड़ा आदि जगहों से हाथ में ध्वजा रुपी निशान लेकर पैदल ही खंडवा दादाजी के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं।

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खंडवा के धूनी वाले दादाजी धाम को लोगों द्वारा पांचवा धाम भी कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन भक्तों के लिए यहां पर नि:शुल्क भंडारे की व्यवस्था की जाती है। रुकने के लिए यहां पर धर्मशाला है। केशव विनय नामक एक पुस्तक के अंतर्गत दादाजी से संबंधित सभी जानकारियां हमें देखने को मिलती है।

दादा जी धाम पहुंचने का मार्ग
(D
aada jee dhaam pahunchane ka maarg in hindi)


धूनीवाले दादा जी का धाम मध्य प्रदेश के खंडवा जिले (khandwa) में स्थित है। खंडवा मुंबई व दिल्ली दोनों रुट का प्रमुख रेलवे स्टेशन हैं। खंडवा पहुंचने के लिए आप ट्रेन या बस मार्ग का सहारा ले सकते हैं।

खंडवा पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा या एयरपोर्ट इंदौर का अहिल्या बाई होलकर हैं। इंदौर से खंडवा की दूरी लगभग 135 किलोमीटर है तथा भोपाल से खंडवा की दूरी लगभग 175 किलोमीटर है।

आशा करती हूं संत धूनीवाले दादाजी व छोटे दादाजी खंडवा वाले की विस्तृत जानकारी (Detailed information of Dhuniwale dadaji and chote dadaji Khandwa in hindi) आपको पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।




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