महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ लाभ पूजन विधि (Mahamrityunjaya Mantra ka arth,labh, poojan vidhi in hindi)

 नमस्कार,


                  दोस्तों आप सभी लोग भगवान शिव की महिमा से तो भली-भांति परिचित होंगे। हमारे हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का अत्यधिक महत्व है। यहीं कारण है कि आपको घर, गांव या शहर में शिवजी के मंदिर सर्वाधिक देखने को मिलते हैं।

आज के इस लेख के अंतर्गत हम भगवान शिव के शक्तिशाली मंत्र महामृत्युंजय मंत्र के बारे में बात करेंगे। दोस्तों इस लेख में हम महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ क्या है? महामृत्युंजय मंत्र को पढ़ने से कौन-कौन सी समस्याओं का समाधान होता है या लाभ मिलते हैं? आदि के बारे में जानेंगे तो चलिए शुरू करते हैं। महामृत्युंजय मंत्र के बारे में जानकारी इस लेख में।




महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है मृत्यु को जीतने वाला महान मंत्र।  इस मंत्र का जप करने से व्यक्ति के अकाल मृत्यु होने का डर समाप्त हो जाता है। महामृत्युंजय मंत्र की रचना ऋषि मार्कंडेय ने की थी।

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इस मंत्र का मतलब हैं भगवान शिव तीन नेत्रों वाले हैं जिनकी हम पूजा करते हैं जो हर सांस में जीवन शक्ति का संचार करते हैं और पूरे जगत का पालन पोषण करते हैं।

ऋग्वेद के सातवे अध्याय, यजुर्वेद के तीसरे अध्याय में तथा अथर्ववेद के 14 वे छन्द में महामृत्युंजय मंत्र का विवरण मिलता है। इसी के साथ-साथ शिव पुराण के अंतर्गत भी महामृत्युंजय मंत्र की महिमा के बारे में वर्णन किया गया है।

महामृत्युंजय मंत्र को रूद्र मंत्र जो कि शिवजी का एक नाम है और मृत संजीवनी मंत्र भी कहते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र
(Mahamrityunjaya Mantra)


ॐ त्र्यंबकम यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुकमिव बंधनात मृत्योर्मुक्षीय माsमृतात् ।।


महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ
(Mahamrityunjaya Mantra ka arth in hindi)


यजुर्वेद के तीसरे अध्याय के अंतर्गत महामृत्युंजय मंत्र के अर्थ का वर्णन मिलता है। आइए हम जानते हैं। महामृत्युंजय मंत्र के अर्थ के बारे में।

त्र्यंबकम :- इसका अर्थ होता है तीनों कालों में एक जैसा रहने वाला अर्थात ईश्वर

यजामहे :- इसका अर्थ होता है स्तुति करना

सुगंधिम :- जो कि शुद्ध व सुगंधित है तथा हमें भी सुगंधित व शुद्ध करता है।




पुष्टिवर्धनम :- जो हमारी आत्मा बुद्धि व बल को बढ़ाता है।

उर्वारुकमिव बंधनात :- जिस प्रकार खरबूजा पूर्ण रूप से पकने पर अपने आप अपनी बेला से अलग हो जाता है व पकने पर जिस प्रकार वह अमृत्तुल्य मीठा हो जाता है।

मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् :-  इस प्रकार मुझे भी आप पूर्ण आयु देकर मृत्यु से अलग कीजिए व मोक्ष प्रदान करें।


इस प्रकार महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ है तीनों कालों में एक समान रूप से रहने वाले इस सृष्टि में व्याप्त हे ईश्वर अर्थात भगवान शिव आप का स्वरूप शुद्ध व सुगंधित है ऐसे ईश्वर की हम सभी स्तुति, वंदना करते हैं। हे ईश्वर आपका स्वरूप हमारी आत्मा, बुद्धि व बल को बढ़ाता है। 


जिस प्रकार एक खरबूजा या ककड़ी पूर्ण रूप से पकने के बाद अमृत्तुल्य मीठा हो जाता है व खुद ही अपनी बेला से अलग हो जाता है ठीक उसी प्रकार हे ईश्वर हम भी इस संसार में रहते हुए स्वस्थ रहें और अपनी पूर्ण आयु को प्राप्त होने के बाद ही मृत्यु के पश्चात मोक्ष को प्राप्त करें।

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ
(Mahamrityunjaya Mantra k labh in hindi)


महामृत्युंजय मंत्र को पढ़ने से व्यक्ति को कई लाभ होते हैं जो निम्नलिखित हैं।

  • महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म होने के साथ-साथ अकाल मृत्यु भी टलती है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से असाध्य रोगों में भी लाभ प्राप्त होता है।

  • यदि आपको संपति-संपदा आदि खोने का भय बना रहता है तब भी आपको महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से फायदा होता है।

  • यदि आपको कोई मृत्युतुल्य कष्ट अर्थात मृत्यु के समान कष्ट हो तब भी आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।

  • महामृत्युंजय मंत्र का जाप अचानक आने वाली विपदाओं से हमारी रक्षा करता हैं।

  • प्रियजनों के वियोग, भाई-बहनों से विद्रोह या विवाद, धन का अभाव, कोर्ट-कचहरी आदि मामलों में भी महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से साधक की मनोकामना पूरी होती है।

  • ग्रह संबंधित पीड़ा होने पर महामृत्युंजय मंत्र का जप करना साधक को लाभ प्रदान करता है।

महामृत्युंजय मंत्र में को मिलाकर 33 शब्दों का प्रयोग किया गया है। जिसके कारण इस त्रयअक्षरी मंत्र भी कहा जाता है। जब आप किसी मनोकामना की पूर्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करते हैं तो आपको शुभ मुहूर्त जैसे सावन का कोई सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, मासिक शिवरात्रि या चौघड़िया के अनुसार शुभ, लाभ, या अमृत के अंतर्गत महामृत्युंजय मंत्र का जप करना शुभ माना जाता है।

महामृत्युंजय मंत्र की जप विधि
( Mahamrityunjaya Mantra ki jap vidhi in hindi)


महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने के लिए सर्वप्रथम आप आचार-विचार आदि की शुद्धि के बाद अपने दैनिक कार्यों को पूर्ण कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। महामृत्युंजय मंत्र जप के लिए शुभ मुहूर्त जैसे सावन का कोई सोमवार, प्रदोष, शिवरात्रि, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, मासिक शिवरात्रि या चौघड़िया के अनुसार शुभ, लाभ, या अमृत के अंतर्गत महामृत्युंजय मंत्र का जप करना शुभ माना गया हैं।


एक आसन बिछाकर उसके सामने शिवलिंग या पार्थिव शिवलिंग का पूजन करने के पश्चात अपना नाम व गोत्र बोलकर अपनी मनोकामना पूरी करने हेतु महामृत्युंजय मंत्र का संकल्प करना चाहिए। आप इस अनुष्ठान को किसी ब्राह्मण के द्वारा भी पूर्ण करवा सकते हैं।

आप नित्य प्रति दिन की पूजा में भी अपनी इच्छा अनुसार महामृत्युंजय मंत्र का जप कर सकते हैं यदि साधक का मुख पूर्व दिशा या ईशान कोण की तरफ हो तो मंत्र जप का फल जल्दी प्राप्त होता है। 

मंत्र का जप रुद्राक्ष की माला से करना शुभ माना जाता है। महामृत्युंजय मंत्र का सवा लाख जप आपको सभी कष्टों से मुक्ति प्रदान करने वाला होता हैं।

आशा करती हूं आपको हमारी महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ, लाभ, पूजन विधि  (Mahamrityunjaya Mantra ka arth,labh, poojan vidhi in hindi) पर यह जानकारी पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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