मेहंदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji rajasthan) की संपूर्ण जानकारी व प्रेतराज सरकार (Pretraj Sarkar) की कहानी

नमस्कार,

           दोस्तों हिंदू धर्म में अनेक देवी-देवताओं को का पूजन किया जाता है। हमारे भारत में अनेक मंदिर ऐसे हैं जो अपने आप में कई रहस्यो को छुपाए हुए हैं। हिंदू धर्म में भगवान हनुमान जी कलयुग के जागृत देवताओं में से एक हैं। इसलिए भगवान हनुमान जी के मंदिर भी कई स्थानों पर बने हुए हैं।

आज के इस लेख में हम भगवान हनुमान जी के ऐसे मंदिर के बारे में बात करेंगे जहां जाने पर आपको किसी भी प्रकार की नकारात्मक उर्जा, भूत, प्रेत, कष्टों व रोगों आदि से मुक्ति मिल जाती है। इस मंदिर में भगवान हनुमान जी को बालाजी के नाम से जाना जाता है।


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहां पर है? प्रेतराज सरकार कौन है? मेहंदीपुर में भगवान बालाजी की स्थापना कैसे हुई? यहां पर रुकने व ठहरने की क्या व्यवस्था है?

Mehandipur Balaji

जी हां दोस्तों अब तो आप समझ ही गए होंगे कि हम किस मंदिर के विषय में बात कर रहे हैं। हम राजस्थान में स्थित भगवान हनुमान जी के सुप्रसिद्ध मंदिर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के बारे में बात कर रहे हैं। जहां पर भगवान बालाजी अर्थात हनुमान जी के साथ प्रेतराज सरकार की भी पूजा की जाती है।

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आज के इस लेख में हम जानेंगे कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कहां पर है? प्रेतराज सरकार कौन है? मेहंदीपुर में भगवान बालाजी की स्थापना कैसे हुई? यहां पर रुकने व ठहरने की क्या व्यवस्था है? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।

मेहंदीपुर बालाजी कहां स्थित है?
(Where is Mehandipur Balaji located)?


दोस्तों मेहंदीपुर बालाजी मंदिर राजस्थान के दौसा जिले के अंतर्गत आता है। यह मंदिर दो पहाड़ियों के बीच बना हुआ है। जहां भक्त अपनी हर प्रकार की मनोकामना की पूर्ति हेतु आते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन यहां पर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

प्रेतराज सरकार कौन है?
(Who is Pretraj Sarkar)?


मेहंदीपुर बालाजी में भगवान बालाजी के साथ प्रेतराज सरकार की भी पूजा की जाती है। प्रेतराज सरकार ही है, जो मेहंदीपुर आने वाले भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा अर्थात भूत, प्रेत, आत्मा आदि को दूर करते हैं। तो प्रश्न यह उठता है कि आखिर प्रेतराज सरकार कौन है? इनकी उत्पत्ति की कहानी क्या है? आज के इस लेख में हम आपको प्रेतराज सरकार की उत्पत्ति की कहानी सुनाने जा रहे हैं तो चलिए शुरू करते हैं।

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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब हनुमान जी लंका माता सीता को खोजने गए तब वहां पर माता सीता का पता लगाने के बाद हनुमान जी को भूख लगी और उन्होंने अशोक वाटिका के वृक्षों से फलों को तोड़कर खाना शुरू कर दिया। इस बात की सूचना जब रावण को दी गई तब रावण के बेटे इंद्रजीत (मेघनाथ) के द्वारा हनुमान जी को ब्रह्मास्त्र में बांधकर लाया गया।

क्योंकि हनुमान जी लंका में श्री रामजी के दूत बनकर गए थे। इसलिए उन्हें उन्हें मृत्युदंड न देकर उनके पूछ में आग लगा दी गई। इस पूछ से हनुमान जी ने विभीषण का घर छोड़कर पूरी लंका नगरी में आग लगा दी। लंका में रावण की सेवा में लगे हुए एक महर्षि जिनका नाम निलासुर था। उन्होंने अपनी मायावी विद्या का प्रयोग करके अग्नि को बुझाने का बहुत प्रयास किया।

किंतु वह अग्नि को बुझाने का जितना प्रयास करते अग्नि उतनी ही तीव्र रूप से फैलती जाती। हनुमान जी की लीला को देखकर ऋषि निलासुर जान गए कि यह कोई साधारण वानर नहीं है। और जब हनुमान जी अपनी पूछ में लगी अग्नि को बुझाने हेतु समुद्र में गए तब ऋषि निलासुर उनके पीछे गए और पूछने लगे आप कौन हैं? और मैं आपकी शरण में आना चाहता हूं।

तब हतबनुमान जी ने ऋषि निलासुर को अपना परिचय दिया और उन्हें रावण को समझाने के लिए कहा कि वह श्री राम जी की शरण में चले जाए। इतना सुनकर ऋषि निलासुर बोले यदि मैं रावण को समझाऊगा तो रावण मुझे तुरंत मृतुदण्ड दे देगा। इसलिए आप मुझे भी भगवान श्री राम की शरण में ले चले।

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तब हनुमानजी ने ऋषि निलासुर को यह आश्वासन दिया कि राम-रावण युद्ध के बाद वे उन्हें भी श्री राम जी की शरण में ले चलेंगे और हनुमानजी ने ऐसा ही किया।

जब श्री राम सरयू में गमन करने जा रहे थे तब उन्होंने हनुमान जी को पृथ्वी पर उनके भक्तों की रक्षा हेतु मृत्युलोक में ही रहने का आदेश दिया। तब हनुमानजी ने ऋषि निलासुर को अपना महामंत्री घोषित करते हुए आकाशगामी सूक्ष्म शक्तियों पर अपना आधिपत्य करने के लिए कहा और उन्हें प्रेतराज सरकार की उपाधि से विभूषित कर दिया। तब से ऋषि निलासुर को प्रेतराज सरकार कहकर पुकारा जाता है।

इस कलयुग में श्री मेहंदीपुर धाम में बैठकर प्रेतराज सरकार सभी भक्तों के ऊपर आने वाले संकटों का निवारण करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। मेहंदीपुर बालाजी में प्रेतराज सरकार दंडाधिकारी के रूप में विराजमान है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दंड देने वाले देवताओं के रूप में पूजा जाता है।

मेहंदीपुर में भक्ति भाव से उनकी आरती व पूजा की जाती है। यहां पर प्रेतराज सरकार को भगवान बालाजी (हनुमान जी) के सहायक देवता के रूप में पूजा जाता है। तो दोस्तों अब आप जान गए होंगे कि प्रेतराज सरकार की उत्पत्ति कैसे हुई थी।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर स्थापना की कहानी
(Story of Mehandipur Balaji Temple Establishment)


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर की स्थापना के पीछे एक कहानी है जिसे हम आपको बताने जा रहे हैं कि बालाजी मंदिर में हनुमान जी की स्थापना का क्या रहस्य है? तो चलिए शुरू करते हैं।

मान्यता के अनुसार जहां पर बालाजी का मंदिर स्थापित है वहां पर शुरुआत में घना जंगल हुआ करता था। जहां पर जंगली जानवरों का निवास था। उस समय वहां पर उपस्थित महंत अर्थात एक पुजारी जी को भगवान बालाजी अर्थात हनुमानजी ने स्वप्न में दर्शन दिए। महंत जी स्वप्न की अवस्था में ही उठ कर चल दिये और घने जंगल की दोनों पहाड़ियों के बीच पहुंच गए।

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वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि एक तरफ से हजारों दीपक जलते हुए आ रहे हैं। हाथी व घोड़े के साथ एक बड़ी फौज चली आ रही हैं। उस फौज ने श्री बालाजी महाराज की मूर्ति की तीन बार गोल- गोल घूम कर परिक्रमा की व सिर को झुकाकर उस मूर्ति को प्रणाम किया।

तथा जिस रास्ते से वह सभी आये थे उसी रास्ते से वापस भी चले गए। गोसाई जी महाराज सपने में यह सब होता देख कुछ डर से गए। वह जिस रास्ते से आए थे उसी रास्ते से वापस अपने गांव चल दिए। स्वप्न में उन्हें तीन मूर्तियों ने दर्शन दिए। यह तीन मूर्तियां भगवान बालाजी, प्रेतराज सरकार व भैरव नाथ जी की थी। उन्हें स्वप्न में बालाजी भगवान यह कहने लगे कि उठो मेरी सेवा करो। मै यहां पर अपनी लीलाओं का विस्तार करना चाहता हूं।

गोसाई जी महाराज इसे एक सपना समझ कर भूल गए। किंतु कुछ दिन गुजरने के बाद अंत में स्वयं हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए और पूजा करने का आग्रह किया। दूसरे दिन गोसाई जी महाराज स्वप्न के अनुसार उस जंगल को पार करते हुए उस मूर्ति के पास पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद चारों ओर से घंटा, घड़ियाल व नगाड़ों की आवाजें आ रही थी किंतु कुछ दुख दिखाई नहीं पड़ रहा था।

उसके बाद गोसाई जी ने आसपास के लोगों को सपने के बारे में बताया और उनसे आग्रह कर साफ सफाई का कार्य चालू किया। तब सभी ने मिलकर वहां बालाजी भगवान का एक छोटा सा मंदिर बनाया जिसमें आज भगवान बालाजी विराजमान है। इस प्रकारमहंत गोसाई स्वामी जी महाराज को स्वप्न में दर्शन देकर मेहंदीपुर वाले बालाजी की स्थापना हुई। बालाजी की यह एक स्वयंभू मूर्ति है। इस मूर्ति को बनवाया नहीं गया है।


मेहंदीपुर बालाजी में अर्जी लगाने का नया तरीका 2022 
(Mehandipur Balaji me arji lagane ka naya tarika 2022)


मेहंदीपुर बालाजी में अब अर्जी नए तरीके से लगाई जाती है। उसके लिए आपको सवा किलो बेसन के लड्डू और पतासे दुकान से लेकर उसे 1 थाल में रखना है। उस थाल को अब सिर पर रखकर आप अपना नाम, गोत्र का नाम, जिस जगह निवास करते हैं वहां का नाम व अपनी मनोकामना को मन में बोलना है। फिर ₹10 की आने की दरख्वास्त लगाकर हनुमान जी के सामने अर्जी की थाल को आगे रखना है। 

अब वहां पर लड्डू को उतारकर फेकने की व्यवस्था का अंत कर दिया गया है। अब उन लडुडुओं में से दो लड्डू को उतार कर गाय को खिला दिया जाता है या किसी गरीब को बांट दिया जाता है।


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर कैसे पहुंचे
(How To Reach Mehandipur Balaji Temple)


मेहंदीपुर बालाजी मंदिर आप बस, ट्रेन या हवाईजहाज द्वारा भी जा सकते हैं। राजस्थान का बांदीकुई जंक्शन मेहंदीपुर बालाजी जाने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन है। बांदीकुई से 35 किलोमीटर की दूरी पर मेहंदीपुर बालाजी का मंदिर स्थित है। जहां बस, जीप टैक्सी आदि के माध्यम से जा सकते हैं।

जयपुर जंक्शन से भी आप बस या रेल से मेहंदीपुर बालाजी के लिए जा सकते हैं। जयपुर से मेहंदीपुर बालाजी धाम की दूरी लगभग 107 किलोमीटर हैं।

मेहंदीपुर बालाजी धाम में रुकने को ठहरने की व्यवस्था


श्री मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर के आसपास रुकने के लिए आपको कई होटल व धर्मशाला मिल जाती है  जहां आप अपनी आवश्यकता के अनुसार कमरे का चयन कर सकते हैं।

आशा करती हूं मेहंदीपुर बालाजी (Mehandipur Balaji) की संपूर्ण जानकारी व प्रेतराज सरकार(Pretraj Sarkar) की कहानी पर यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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