नमस्कार,
दोस्तों यदि आप हिंदू धर्म की जानकारी रखते हैं तो दो ऐसे महाकाव्य है जिनका जिक्र अक्सर किया जाता है, रामायण और महाभारत । आज के इस लेख के अंतर्गत था महाभारत काल में दिए गए श्राप के बारे में चर्चा करेंगे जिसका असर आज भी इस धरती पर मौजूद हैं, तो चलिए शुरू करते हैं।
एक समय की बात है जब कुंती अपने पिता के यहां रहती थी तथा उसका विवाह नहीं हुआ था। एक बार जब दुर्वासा ऋषि आए तब कुंती ने उनका बहुत आदर- सत्कार किया व ह्रदय से ऋषि दुर्वासा की बहुत सेवा की। जिसके परिणाम स्वरुप ऋषि दुर्वासा प्रसन्न हो गए और कुंती को आशीर्वाद के रूप में एक मंत्र दिया।
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इस मंत्र से वह जिस भी देवता का आह्वान करके बुलाएगी, उससे उसी देवता से एक पुत्र की प्राप्ति होगी। तब कुंती ने जिज्ञासा वश उस मंत्र से सूर्य देव का आह्वान किया जिससे कुंती को सूर्यपुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई। क्योंकि उस समय कुंती कुँवारी थी। इसलिए उन्होंने इस पुत्र को जल में प्रवाहित कर दिया।
तब एक नि:संतान दंपत्ति ने उसका पालन पोषण कर उसे माता-पिता के रूप में अपना नाम प्रदान किया। इस प्रकार कर्ण की माता का नाम राधा होने के कारण कर्ण राधेय के नाम से भी जाने जाते हैं। आइए आप जानते हैं उससे आपके बारे में।
स्त्री जाति को युधिष्ठिर द्वारा दिया गया श्राप
महाभारत काव्य के अनुसार महाभारत के पात्र दानवीर कर्ण के बारे में तो आप सभी जानते हैं। जब महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की धरती पर हो रहा था तब अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया। तब पांडवों की माता कुंती कर्ण के शव के पास बैठ कर रोने लगी या विलाप करने लगी।
इस मंत्र से वह जिस भी देवता का आह्वान करके बुलाएगी, उससे उसी देवता से एक पुत्र की प्राप्ति होगी। तब कुंती ने जिज्ञासा वश उस मंत्र से सूर्य देव का आह्वान किया जिससे कुंती को सूर्यपुत्र कर्ण की प्राप्ति हुई। क्योंकि उस समय कुंती कुँवारी थी। इसलिए उन्होंने इस पुत्र को जल में प्रवाहित कर दिया।
तब एक नि:संतान दंपत्ति ने उसका पालन पोषण कर उसे माता-पिता के रूप में अपना नाम प्रदान किया। इस प्रकार कर्ण की माता का नाम राधा होने के कारण कर्ण राधेय के नाम से भी जाने जाते हैं। आइए आप जानते हैं उससे आपके बारे में।
स्त्री जाति को युधिष्ठिर द्वारा दिया गया श्राप
(Curse given to women by Yudhishthira)
महाभारत काव्य के अनुसार महाभारत के पात्र दानवीर कर्ण के बारे में तो आप सभी जानते हैं। जब महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र की धरती पर हो रहा था तब अर्जुन ने कर्ण का वध कर दिया। तब पांडवों की माता कुंती कर्ण के शव के पास बैठ कर रोने लगी या विलाप करने लगी।
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तब पांडवों ने पूछा कि माँ आप हमारे शत्रु के लिए क्यों विलाप कर रही हो? तब कुंती ने कहा यह कौन्तेय हैं, और तुम सब का ज्येष्ठ अर्थात बड़ा भाई हैं। माता का उत्तर सुनकर पांडव दुखी हो गए और बोले जब आप यह बात जानती थी तो हमें बताया क्यों नहीं? अगर हमें पता होता तो हम युद्ध में कर्ण का वध नहीं करते।
तब युधिष्ठिर ने कहा कि आपके एक मौन ने हम सभी को अपने बड़े भाई का हत्यारा बना दिया। इसलिए मैं युधिष्ठिर संपूर्ण नारी जाति को यह श्राप देता हूं कि आज के बाद कोई भी स्त्री अपने अंदर कोई रहस्य को नहीं छुपा सकेगी। युधिष्ठिर के इस श्राप का प्रभाव आज भी इस धरती पर देखा जा सकता है।
आशा करती हूं आपको हमारी यह जानकारी महाभारत काल का युधिष्ठिर द्वारा कुंती को दिया गया श्राप जिसका असर आज भी है पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
तब पांडवों ने पूछा कि माँ आप हमारे शत्रु के लिए क्यों विलाप कर रही हो? तब कुंती ने कहा यह कौन्तेय हैं, और तुम सब का ज्येष्ठ अर्थात बड़ा भाई हैं। माता का उत्तर सुनकर पांडव दुखी हो गए और बोले जब आप यह बात जानती थी तो हमें बताया क्यों नहीं? अगर हमें पता होता तो हम युद्ध में कर्ण का वध नहीं करते।
तब युधिष्ठिर ने कहा कि आपके एक मौन ने हम सभी को अपने बड़े भाई का हत्यारा बना दिया। इसलिए मैं युधिष्ठिर संपूर्ण नारी जाति को यह श्राप देता हूं कि आज के बाद कोई भी स्त्री अपने अंदर कोई रहस्य को नहीं छुपा सकेगी। युधिष्ठिर के इस श्राप का प्रभाव आज भी इस धरती पर देखा जा सकता है।
आशा करती हूं आपको हमारी यह जानकारी महाभारत काल का युधिष्ठिर द्वारा कुंती को दिया गया श्राप जिसका असर आज भी है पसंद आई होगी हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।
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