मंगल ग्रह की उत्पत्ति की पौराणिक कथा,अन्य नाम,रत्न आदि ( mangal grah ki utpatti ki pauranik katha anay naam,ratan in hindi)

 नमस्कार,


दोस्तों आज हम एक ऐसे ग्रह के विषय में बात करेंगे जो कि हमारी जन्मकुंडली के लिए सर्वाधिक उपयोगी ग्रह है। जब यह ग्रह मजबूत होता है तो व्यक्ति को मान-सम्मान, धन, प्रतिष्ठा आदि सबकुछ प्रदान करता है। वही यदि यह ग्रह खराब हो तो धन-संपदा में हानि, कोर्ट में मुकदमा, विवाह में देरी आदि समस्याओं को उत्पन्न करता है।

तो दोस्तों आप समझ ही गए होंगे कि हम किस ग्रह के विषय में बात कर रहे हैं। जी हां दोस्तों हम मंगल ग्रह (mangal grah) के विषय में बात कर रहे हैं। मंगल ग्रह हमारे सौरमंडल का सर्वाधिक महत्वपूर्ण ग्रह है।

सौर मंडल में मंगल ग्रह का स्थान चौथे नंबर पर आता है। यह लाल रंग का प्रतीत होता है इसी कारण मंगल ग्रह को "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। पृथ्वी की तरह मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। जिस कारण से ही मंगल ग्रह पर नासा के वैज्ञानिकों द्वारा जीवन की खोज लगातार की जा रही है।

मंगल ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई ? मंगल ग्रह का मंदिर कहां पर है ? मंगल ग्रह किस राशि का स्वामी हैं ? मंगल ग्रह के को अन्य किन-किन नामों से जाना जाता है ?



दोस्तों आज के इस लेख में हम ग्रहों के सेनापति कहे जाने वाले पराक्रमी ग्रह, माता धरती के पुत्र मंगल ग्रह के विषय में चर्चा करेंगे। इसके अलावा इस लेख में हम जानेंगे कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई ? मंगल ग्रह का मंदिर कहां पर है ? मंगल ग्रह किस राशि का स्वामी हैं ? मंगल ग्रह के को अन्य किन-किन नामों से जाना जाता है ? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।

मंगल ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई ?
(Mangal grah ki utpatti kese hui in hindi)?


हमारे सौरमंडल में मंगल ग्रह को सेनापति के रूप में दर्शाया गया है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। मंगल ग्रह की उत्पत्ति की पौराणिक कथा स्कंद पुराण के अंतर्गत मिलती है।

एक समय की बात है जब उज्जैन नगरी जिसे उज्जैयनी तथा अवंतिका के नाम से भी जाना जाता है, में अंधकासुर नामक एक राक्षस रहता था जो कि बहुत ही क्रूर और अत्याचारी था। जिसका एक पुत्र था जिसका नाम कनक था।

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एक बार कनक युद्ध के लिए देवराज इंद्र को ललकारा जिससे कि इंद्र व कनक के बीच एक भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में देवराज इंद्र ने कनक की हत्या कर दी और विजई हुए। इस बात का पता जब कनक के पिता अंधकासुर को हुआ तब वह अपने पुत्र कनक की हत्या का बदला लेने के लिए देवराज इंद्र के पास पहुंचा।

तब देवराज इंद्र अंधकासुर की शक्तियों से भयभीत होकर भगवान शिव के पास मदद के लिए पहुंच गए। उसी समय अंधकासुर भी वहां पहुंच गया और भगवान शिव से युद्ध करने लगा।

युद्ध करते हुए भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद धरती पर गिर जाती है। भगवान शिव अंधकासुर का वध कर देते हैं। भगवान शिव के पसीने की बूंद उज्जैन नगरी की धरती पर गिरती है और वहाँ की धरती दो हिस्सों में बट जाती है।

जिसके बाद धरती के अंदर से लाल रंग का एक ग्रह जन्म लेता है, जिसे हम भूमि पुत्र मंगल के नाम से जानते हैं। मान्यता यह है कि मंगल को ग्रहों के बीच स्थान मिलने के बाद जिस स्थान पर मंगल का जन्म हुआ वहां पर स्वयं ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर नामक एक शिवलिंग की स्थापना की। जिसे वर्तमान समय में मंगलनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है।

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इस मंदिर में हर मंगलवार भक्तों की भीड़ लगी होती है। लोगों का मानना है जो व्यक्ति मंगल दोष से पीड़ित होता है या जो लोग मांगलिक होते हैं, मंगलनाथ मंदिर में पूजा करने के पश्चात उनके मंगल ग्रह से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।

मार्च महीने में पड़ने वाली अंगारक चतुर्थी को मंगलनाथ मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। मंगलनाथ मंदिर में भात (चावल) पूजा का भी विशेष महत्व है।

मंगल ग्रह किस राशि का स्वामी है?
(Mangal grah kis rashi ka swami h in hindi)?


व्यक्ति की जन्म कुंडली के अनुसार हर व्यक्ति का कोई न कोई राशि स्वामी होता है। मंगल ग्रह को मेष तथा वृषभ राशि का स्वामी माना गया है।

मंगल ग्रह का मंदिर कहां पर स्थित है?
(Mangal grah ka mandir kaha pr h in hindi)?


मंगल ग्रह का मंदिर उज्जैन जिसे अवंतिका, उज्जैयनी तथा महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है में स्थिति हैं। यह लाल पत्थरों से निर्मित मंदिर है, जिसे वर्तमान में मंगलनाथ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वर्ष भर यहां पर मंगल ग्रह की शांति हेतु पूजा-अर्चना की जाती है।

मंगल ग्रह के अन्य नाम
(mangal grah k naam in hindi)


ऋण मोचन मंगल स्त्रोत के अंतर्गत हमें मंगल के अन्य नामों का उल्लेख मिलता है जो कि निम्नलिखित हैं। 

  • मंगल
  • भूमिपुत्र
  • ऋण हर्ता
  • धनप्रद
  • स्थिरासन
  • सर्वकर्मावरोधक
  • जरेहित
  • लोहितांग
  • सामांगनकृपाकर(सब ब्राह्मणों के ऊपर कृपा करने वाले) धरात्मज
  • कुंज
  • भौम
  • भूतिद (ऐश्वर्य को देने वाले)
  • भूमिनंदन (पृथ्वी को आनंद देने वाले)
  • अंगारक
  • यम 
  • सर्वरोगापहारक (संपूर्ण रोगों को दूर करने वाले)
  • वृष्टिकर्ता (वर्षा करने वाले)
  • सर्वकामफलप्रद (संपूर्ण कामनाओ का फल देने वाले)

मंगल ग्रह का स्वरूप कैसा है?
(Mangal grah ka swroop pauranik kathao k anusar in hindi)?


मंगल ग्रह के स्वरूप का वर्णन करते हुए हमारे पुराणों में बताया गया है कि मंगल देव के चार हाथ है, जिसमें भगवान मंगल गदात्रिशूल धारण किए हुए हैं। यह लाल वर्ण के हैं।

मंगल ग्रह से संबंधित रत्न
(Mangal grah se sanbandhit ratna in hindi)


यदि कोई व्यक्ति मंगल ग्रह की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे मूंगा रत्न धारण करना चाहिए।

नोट :-  किसी भी प्रकार का रत्न धारण करने से पूर्व अपने ज्योतिषाचार्य से सलाह अवश्य प्राप्त कर ले।

आशा करती हूं मंगल ग्रह की उत्पत्ति, राशि स्वामी, मंगल ग्रह के अन्य नाम, रत्न व मंगल ग्रह के स्वरूप ( mangal grah ki utpatti,rashi swami,mangal grah k anay naam,ratan tatha mangal grah k swaroop) से संबंधित यह जानकारी आपको पसंद आई होगी।

हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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