क्या है गणेश जी के प्रथम पूज्य होने की पौराणिक कथा (Ganesha ji k prtham poojy hone ki katha in hindi)

 नमस्कार,


दोस्तों गणेश जी को विभिन्न नामों जैसे विघ्नहर्ता, एकदंत, विनायक, लंबोदर आदि के साथ-साथ प्रथम पूज्य गणपति के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में चाहे जैसा भी कार्य हो या घर में कोई भी मांगलिक कार्य हो तो सबसे पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश जी की ही पूजा की जाती है।

आज के इस लेख में हम जानेंगे कि गणेश जी के प्रथम पूज्य होने के पीछे की पौराणिक कथा क्या है? क्यों गणेश जी का पूजन सर्वप्रथम किया जाता है? इन सभी बातों के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।


जी के प्रथम पूज्य होने के पीछे की पौराणिक कथा क्या है? क्यों गणेश जी का पूजन सर्वप्रथम किया जाता है?

                       Ganesha


गणेश जी का पूजन सबसे पहले क्यों किया जाता है?
(Ganesh ji ka poojan sabse pahle kyo kiya jata h in hindi)?


गणेश जी विघ्नहर्ता है। अर्थात गणेश जी विघ्नों तथा कष्टों को हरने वाले देवता के साथ मांगलिक कार्यों के देवता भी माने गए हैं। गणेश जी को अथर्वशीर्ष में सभी दिशाओं का स्वामी भी कहा गया हैं।


जब भी हम कोई कार्य शुरू करते हैं जैसे नया व्यापार, शादी, गृह निर्माण आदि तो इन सभी कार्यों में बिना कोई विघ्न या बाधा पहुंचे हम अपने कार्य को पूरा कर अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके इसलिए गणेश जी की पूजा सबसे पहले की जाती है।

गणेश जी के प्रथम पूज्य होने की कथा
(Ganesha ji k prtham poojy hone ki katha in hindi)


जब सृष्टि की रचना हुई तब सभी देवताओं में आपस में इस बात को लेकर विवाद होने लगा कि प्रथम पूज्य किस देवता को माना जाए। तब सभी देवगण ब्रह्मा जी के पास गए। तब ब्रह्माजी ने एक शर्त रखी कि जो कोई भी अपने वाहन के साथ इस पृथ्वी लोक की परिक्रमा सर्वप्रथम पूर्ण करेगा वही प्रथम पूज्य कहलाएगा।

इतना सुनते ही सभी देवता अपने वाहन के साथ पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल पड़े परन्तु गणेश जी अपने भारी शरीर व छोटे वाहन मूषक के कारण अपनी बुद्धि से कुछ उपाय सोच निकाला।




उन्होंने धर्म तथा वेदों के आधार पर माता-पिता को ब्रह्मांड तुल्य समझकर मूषक पर बैठकर अपने माता-पिता अर्थात भगवान शिव पार्वती जी की सात परिक्रमा की। तब भगवान शिव ने उन्हें प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद दिया तब से गणेशजी प्रथम पूज्य देवता कहलाए।

एक और प्रचलित कथा के अनुसार जब माता पार्वती ने गणेश जी को उत्पन्न कर उन्हें अपना द्वारपाल बनाया था। तब भगवान शिव माता पार्वती से मिलना चाहते थे। परंतु गणेश जी ने माता पार्वती की आज्ञा के बिना शिवजी को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया।

तब भगवान शिव व गणेश जी के बीच एक युद्ध हुआ जिसमें भगवान शिव ने गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। बाद में उन्हें गज अर्थात हाथी का मुख लगाया गया। तब माता पार्वती ने कहा कि इस प्रकार के मुख के साथ मेरे पुत्र की पूजा कौन करेगा? तब शिवजी ने उन्हें गजानन नाम के साथ प्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद दिया।

तो दोस्तों आशा करती हूं गणेश जी के प्रथम पूज्य होने की पौराणिक कथा (Ganesha ji k prtham poojy hone ki katha in hindi) आपको पसंद आई होगी।

धन्यवाद

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