नरक चतुर्दशी(रूप चौदस)पौराणिक कथा और महत्व


नमस्कार,

दोस्तों दीपावली महापर्व जो कि 5 दिनों तक मनाया जाता है, उसमें हम आज बात करेंगे दूसरे दिन की जिसे नरक चतुर्दशी, नरक चौदस, काली चौदस, व रूप चौदस तथा छोटी दीपावली के नाम से भी जाना जाता है, के बारे में।

आज इस लेख में बात करेंगे नरक चतुर्दशी को स्नान का शुभ मुहूर्त क्या है? इसे काली चौदस क्यों कहा जाता है? इसे नरक चतुर्दशी के नाम से क्यों जाना जाता है? इस दिन क्या करना शुभ है? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।

नरक चतुर्दशी 2021 कब हैं?
(When is Narak Chaturdashi 2021)?


इस बार 2021 में नरक चतुर्दशी जिसे रूप चौदस, काली चौदस आदि नाम से भी जाना जाता है, वह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को 3 नवंबर 2021 को बुधवार के दिन मनाई जाएगी।

शुभ मुहूर्त 2021
(Shubh Muhurta 2021)


नरक चतुर्दशी को सुबह स्नान करने का शुभ समय 6:05 से लेकर 6:30 तक है।

 (और पढ़े :- हनुमान बाहुक की संपूर्ण जानकारी)

नरक चौदस को काली चौदस क्यों कहा जाता है?
( Narak Chaudas ko Kali Chaudas kyo kahte he)


पश्चिम बंगाल में आज का दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। पश्चिम बंगाल के लोग आज के इस दिन को मां काली के जन्म दिवस के रूप में मनाते हैं, इसलिए इसे काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। माता काली की आराधना करने से शत्रुओं पर विजय की प्राप्ति व मनोकामना की पूर्ति होती है।

नरक चौदस को रूप चौदस क्यों कहा जाता है ?
(Narak Chaudas is ko roop chaudas kyo kaha jata he)


दीपावली से 1 दिन पूर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नरक चौदस या नरका चतुर्दशी के साथ-साथ रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। अकाल मृत्यु व स्वास्थ्य रक्षा हेतु आज के दिन भगवान यमराज की पूजा की जाती है।

हिंदू मान्यता के अनुसार एक राजा जिनका नाम हिरण्यगर्भ था, वह अपना राजपाट छोड़कर तपस्या व भक्ति करने चले गए। तपस्या में लीन होने के कारण उनके शरीर में कीड़े लग गए। अपने शरीर की यह दुर्दशा देखकर राजा हिरण्यगर्भ को बहुत दुख हुआ। उसी समय नारदमुनि वहां आ पहुंचे। तब राजा ने नारदमुनि को अपने दर्द व व्याकुलता का कारण बताया तथा अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए व समस्या को दूर करने के लिए राजा हिरण्यगर्भ ने नारद मुनि से उपाय पूछा।


नरक चतुर्दशी को स्नान का शुभ मुहूर्त क्या है? इसे काली चौदस क्यों कहा जाता है? इसे नरक चतुर्दशी के नाम से क्यों जाना जाता है? इस दिन क्या करना शुभ है?

  Narak Chaturdashi



तब नारद मुनि ने समस्या के निवारण हेतु राजा हिरण्यगर्भ से कहा कि आप कार्तिक में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को शरीर पर तेल व औषधि युक्त लेप लगाकर सूर्योदय से पूर्व स्नान करें। साथ ही आप रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा अर्चना करें। जिससे आप पुनः अपने सौंदर्य को प्राप्त कर सकेंगे। राजा हिरण्यगर्भ ने नारद मुनि द्वारा बताए गए उपाय को किया व अपने सौन्दर्य को पुनः प्राप्त किया। तभी से इस चतुर्दशी को रूप चतुर्दशी या रूप चौदस (roop chaudas)
के नाम से भी जाना जाता है।


नरक चतुर्दशी पर क्या करें ?
(Narak Chaturdashi pr ky kare)


  • सर्वप्रथम आप इस दिन ब्रम्ह मुहूर्त से पहले उठकर अपने शरीर पर तिल के तेल की मालिश करें।
  • ब्रह्म मुहूर्त में सूर्योदय से पूर्व उबटन लगाकर स्नान करें।
  •  तिल के तेल का दीपक भगवान यमराज को समर्पित कर उनके लिए दक्षिण दिशा में रखें व अकाल मृत्यु के भय को दूर करने हेतु प्रार्थना करें।
  • आज के दिन तेल,उड़द, छाता, जूता व काले वस्त्र और काले कंबल का दान करें।

नरक चतुर्दशी का महत्व
(Narak Chaturdashi ka mahatw)


  • इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर से 16000 रानियों को नरकासुर के बंधन से मुक्त कराकर नरकासुर का वध किया था।
  • मान्यता के अनुसार आज तिल का तेल लगाकर सुबह ब्रह्ममुहूर्त में नहाने तथा व्रत करने वाले व्यक्ति को नर्क नहीं भोगना पड़ता हैं।
  • इस दिन यमराज के लिए दीपदान करने से अकाल मृत्यु नहीं होती हैं।

आशा करती हूं आपको नरक चतुर्दशी(रूप चौदस)पौराणिक कथा और महत्व पर हमारा लेख पसंद आया होगा।

धन्यवाद।

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