सही निर्णय लेने के 7 नियम भगवत गीता के अनुसार. (Sahi decision lene ke 7 niyam baghwat geeta ke anusar in hindi)

 नमस्कार,


दोस्तों हर व्यक्ति को अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए हर कदम पर कुछ निर्णय(Decision) लेने की आवश्यकता होती है। यदि आप निर्णय लेने में असमर्थ होते हैं तो आपके जीवन से जुड़े निर्णय दूसरे लोग लेने लग जाते हैं।

उदाहरण के लिए दसवीं कक्षा के बाद सभी छात्रों को एक विषय जिसमें वह अपना करियर बनाना चाहते हैं चुनना होता है। यदि आपको नहीं पता है कि मुझे किस विषय में रुचि है और मुझे आगे चलकर डॉक्टर बनना है, इंजीनियर बनना है, या बिजनेसमैन बनना है तो लोग अपने पसंद का विषय आपको चुनने के लिए कहेंग।

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दोस्त कहेंगे हम तो मैथ्स ले रहे हैं, तुम भी वही ले लो। इस प्रकार यदि आप में डिसीजन की क्षमता नहीं है तो आप अपने जीवन में के लक्ष्य से भटक सकते हैं। आज के इस लेख में हम बात करेंगे सही निर्णय लेने के 7 नियमों के बारे में जो भगवत गीता में बताए गए हैं।

सही निर्णय हमें हमारे लक्ष्य की ओर ले जाते हैं। वही गलत निर्णय हमें जीवन में कभी-कभी पछताने पर भी मजबूर कर देते हैं। तो आइए शुरू करते हैं।

सही निर्णय लेने के 7 नियम भगवत गीता के अनुसार
(Sahi decision lene ke 7 niyam baghwat geeta ke anusar)


• भगवत गीता के अनुसार हमें भावनाओं के आधार पर निर्णय नहीं लेना चाहिए क्योंकि भावनाएं अस्थाई होती है।

• भगवत गीता के अनुसार हमें बहुत अधिक खुशी या बहुत अधिक दुखी होने पर पर भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से बचना चाहिए। क्योंकि खुशी में आप लोगों से कुछ भी मांगो लोग दे देते हैं। 

वही यदि कोई इंसान दुखी होता है तो छोटी सी चीज मांगने पर भी मना कर देते हैं। ज्यादा खुशी व ज्यादा दुख की अवस्था में हमारा दिमाग नॉर्मल से अलग व्यवहार करता है। इसलिए इस अवस्था में निर्णय लेने से बचना चाहिए।


सही निर्णय लेने के 7 नियम भगवत गीता के अनुसार



• क्रोधित अवस्था में होने पर हमें निर्णय लेने से बचना चाहिए। क्रोध में व्यक्ति अपना अच्छा-बुरा भूल जाता है। उसकी मानसिक स्थिति उस समय सामने वाले की प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है। इसलिए ऐसी अवस्था में भी निर्णय नहीं लेना चाहिए।




• भगवत गीता के अनुसार कोई भी निर्णय उसके फल अर्थात परिणाम को देखकर नहीं लेना चाहिए। क्योंकि गीता के अनुसार फल हमारे हाथ में नहीं है। हम सिर्फ अपना कर्म कर सकते हैं। उसका अंतिम परिणाम हमारे हाथ में नहीं होता है।

• जब आप कोई निर्णय लेते हैं तो उस पर विश्वास और भरोसा बनाए रखें। आपको आप के निर्णय पर भरोसा होना चाहिए कि मैंने सही निर्णय लिया है और जो कि मेरे जीवन के लिए सही साबित होगा।

• निर्णय लेते समय अपनी सोच, मानसिकता, नजरिए व लक्ष्य को हमेशा ऊंचा रखना चाहिए।




• भगवत गीता के अनुसार यदि आप किसी समस्या से संबंधित निर्णय नहीं ले पा रहे है, तो उन्हें लोगों के साथ शेयर करें जिससे कि आपको कुछ सुझाव, ज्ञानी व अनुभवी लोगों से मिल सके। किंतु अंतिम निर्णय आप अपनी बुद्धि के अनुसार ही ले।


तो दोस्त यह थे भगवत गीता के अनुसार सही निर्णय लेने के 7 नियम।

आशा करती हूं अगली बार आप भी आप जब भी अपनी जिंदगी का कोई महत्वपूर्ण निर्णय लेने  तो भगवत गीता के इन नियमों को जरूर ध्यान में रखेंगे।

आपको हमारे आज के लेख सही निर्णय लेने के 7 नियम भगवत गीता के अनुसार. (Sahi decision lene ke 7 niyam baghwat geeta ke anusar in hindi) पर आधारित यह जानकारी पसंद आयी होगी। हमारे साथ अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद।

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