नमस्कार,
दोस्तों हम सभी को किसी न किसी चीज का डर हमेशा सताता रहता है। सबसे बड़ा डर तो मृत्यु का होता है जो हर किसी को अपने जीवन में सताता है। इसलिए हर माता-पिता अपनी मृत्यु से पहले उन सब सुख- सुविधाओं या आवश्यकताओं को उपलब्ध कराना चाहते हैं जो उनके संतान के जीवन में आवश्यक है।
दोस्तों आज के इस लेख में हम जानेंगे क्या है डर ? और भगवत गीता के अनुसार का इलाज क्या है ? आदि के बारे में तो चलिए शुरू करते हैं।
भगवत गीता में अर्जुन को भी युद्ध क्षेत्र में डर लग रहा था कि दोनों और मेरे अपने ही प्रियजन खड़े हैं। इस डर के कारण कि दोनों ही और मेरे प्रियजन और सगे-संबंधि हैं इसलिए अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता था।
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Bhagavad Gita |
तब श्री कृष्ण के समझाने पर अर्जुन ने सबसे पहले अपने डर को जीता और फिर बाद में युद्ध को जीतकर विजयी हुआ।
डर क्या है?
(Dar ky h)?
जब भी हम जो कार्य पहले से करते आ रहे हैं उससे अलग कुछ करते हैं तो हमें हमारी असफलता या हार का डर सताता है। बिना परिणाम के मन से ही कुछ बुरा ना हो जाए यह सोचना ही डर है। भगवत गीता के अनुसार डर अज्ञानता से पैदा होता है।
भगवत गीता के अनुसार डर का इलाज
(Bhagavad Gita k anusar dar ka ilaj in hindi)
भगवत गीता में बताया गया है, कि यदि हम डर से पीछा छुड़ाना चाहते हैं तो हमें अपने कंफर्ट जोन से बाहर आना होगा या हम ऐसा भी कह सकते हैं कि डर का इलाज खुद डर का सामना करने में ही छुपा है।
युद्ध से पहले अर्जुन भी डरा हुआ था परंतु जब वह युद्ध के लिए मैदान में उतरा और युद्ध शुरू किया तो उसका सारा डर अपने आप समाप्त हो गया। इसके अलावा डर पर विजय पाने के लिए हमें बिना फल या परिणाम की चिंता किए बगैर सिर्फ कर्म करना चाहिए। क्योंकि जब हम फल की चिंता नहीं करते हैं तो हम डर से स्वतंत्र रहते हैं।
आशा करती हूं भगवत गीता के अनुसार डर पर विजय प्राप्त करने की यह हमारी छोटी सी कोशिश आपको पसंद आई होगी।
धन्यवाद।
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